यशवंत सिन्हा ने छोड़ा भाजपा का साथ, कहा- आज लोकतंत्र खतरे में है

Yashwant Sinha, left with BJP, said - Today democracy is in danger
[email protected] । Apr 21 2018 6:58PM

अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्रालय का जिम्मा संभाल चुके भाजपा के दिग्गज नेता यशवंत सिन्हा मे पार्टी छोड़ने की घोषणा की है।

नई दिल्ली। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्रालय का जिम्मा संभाल चुके भाजपा के दिग्गज नेता यशवंत सिन्हा ने पार्टी छोड़ने की घोषणा की है। काफी दिनों से भाजपा आलाकमान से नाराज  चल रहें यशवंत सिन्हा ने कहा, "मैं सभी पार्टी राजनीति से संन्‍यास ले रहा हूं और अब मेरा भाजपा से कोई नाता नहीं।" सिन्हा ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने मीड‍िया पर भी सरकार के ख‍िलाफ खबरें नहीं दिखाने का आरोप लगाया। संसद नहीं चलने देने के लिए उन्होंने मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। 

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और नरेंद्र मोदी सरकार की अक्सर खुलकर आलोचना करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने आज भाजपा से अलग होने का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा कि वह अब ‘देश में लोकतंत्र’ बचाने के लिए काम करेंगे। सिन्हा ने कहा, ‘‘भाजपा के साथ मेरा लंबा संबंध रहा है। आज मैं भाजपा के साथ अपना संबंध खत्म कर रहा हूं।’’ उन्होंने यहां एक बैठक में भाजपा छोड़ने की घोषणा की। इस बैठक में कांग्रेस , राजद और कुछ अन्य विपक्षी दलों के नेता तथा भाजपा के खिलाफ बागी रुख रखने वाले पार्टी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा भी मौजूद थे। भाजपा से अलग होने के ऐलान के साथ ही यशवंत सिन्हा ने कहा कि वह किसी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस मंच से घोषणा कर रहा हूं कि चार साल पहले मैंने चुनावी राजनीति छोड़ी थी और आज मैं दलगत राजनीति से संन्यास ले रहा हूं।’’

सिन्हा द्वारा गठित ‘राष्ट्रीय मंच’ द्वारा आज विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक का आयोजन किया गया था। इसमें आम आदमी पार्टी , समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। सिन्हा ने कहा, ‘‘मैं अब किसी राजनीतिक दल का सदस्य नहीं बनूंगा।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचक सिन्हा ने कहा कि वह देश में ‘लोकतंत्र बचाने के लिए’ मजबूत आंदोलन शुरू करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार के तहत लोकतंत्र खतरे में है।

जीवन परिचय

नौकरशाही से राजनीति में कदम रखने वाले सिन्हा का जन्म छह नवंबर 1937 को पटना में हुआ था। वह 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी बने और बिहार सरकार तथा केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया। बतौर नौकरशाह अपने 24 साल की अवधि के दौरान वह 1977 में बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के प्रधान सचिव रहे। ।लोकनायक जयप्रकाश नारायण से प्रभावित सिन्हा ने 1984 में आईएएस की नौकरी छोड़ दी और जनता पार्टी के सदस्य के तौर पर सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए। वह 1986 में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बने और 1988 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। ।वह 1989 में जनता दल का गठन होने पर इसके महासचिव बने। वह चंद्रशेखर की सरकार में नवंबर, 1990 से जून, 1991 तक वित्त मंत्री रहे। 

जनता दल में बिखराव के बाद सिन्हा भाजपा में शामिल हो गए और जून, 1996 में पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाये गए। वह अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे। सिन्हा ने 2014 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। इस चुनाव में उनके पुत्र जयंत सिन्हा झारखंड की हजारीबाग सीट से भाजपा के टिकट पर लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। जयंत सिन्हा मौजूदा समय में नरेंद्र मोदी सरकार में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री हैं। इससे पहले वित्त राज्य मंत्री भी थे। 

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