दर्शकों के मस्तिष्क पटल पर आज भी तरोताजा हैं ललिता पवार का अभिनय

Lalita Pawar
Prabhasakshi

बतौर हीरोइन ललिता पवार की पहली फिल्म 1927 में बनी ‘पतितोद्धार’ एक मूक फिल्म थी। 1932 में मूक फिल्म ‘कैलाश’ में ललिता पवार ने तिहरी भूमिका निभाई, इस फिल्म में नायिका, माँ और खलनायिका तीनो ही रोल में वह खुद थीं और इन तीनों रूप में उन्हें बहुत पसंद किया गया।

ललिता पवार बॉलीवुड का एक ऐसा नाम है जिन्होंने फिल्मी पर्दे पर अपनी भूमिकाएं इतनी शिद्दत से निभायीं जिसकी चर्चा आज भी लोगों के बीच आम है। फिल्मो में उनकी भूमिकाएं दर्शकों के मस्तिष्क पटल पर अमिट हैं। 

अपने जीवन के रिकॉर्ड  70 साल फिल्मों को समर्पित करने वाली बॉलीवुड कलाकार ललिता पवार का आज 18 अप्रैल को जन्मदिन है  इस अवसर पर आइये जानते हैं उनके बारे में कुछ सुनी, कुछ अनसुनी बातें-

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ललिता पवार का जन्म 1916 में इंदौर के अंबा मंदिर में हुआ था, उनका बचपन का नाम अंबिका था। महज 9 साल की उम्र से ही ललिता पवार ने फिल्मों में अभिनय  करना शुरू कर दिया था । बाल कलाकार के रूप में उनकी पहली फिल्म ‘राजाहरिश्चंद्र’ थी।

बतौर हीरोइन ललिता पवार की पहली फिल्म 1927 में बनी  ‘पतितोद्धार’ एक मूक फिल्म थी। 1932 में मूक फिल्म ‘कैलाश’ में ललिता पवार ने तिहरी भूमिका निभाई, इस फिल्म में नायिका, माँ और खलनायिका तीनो ही रोल में वह खुद थीं और इन तीनों रूप में उन्हें बहुत पसंद किया गया। 

- 1930 में बनी फिल्म ‘चतुर संदरी’ में ललिता ने 17 रोल किए थे जो एक रिकार्ड है। 

- 1935 में ललिता पवार ने बोलती फिल्म ‘हिम्मते मर्दा’ में अभिनय के साथ एक गीत ‘नील आभा में प्यारा गुलाब रहे, मेरे दिल में प्यारा गुलाब रहे’ भी गाया,जो उस समय का काफी हिट गीत रहा। 

- 1941 में बनी फिल्म ‘अमृत’ में ललिता पवार ने मोची का किरदार निभाया, उनका यह रोल इतना सजीव था कि अपनी असली जाति बताने के लिए ललिता को जाति प्रमाण पत्र बनवाना पड़ा। 

- 1942 में ललिता की जिन्दगी में एक ऐसा हादसा हुआ जिसने एक आकर्षक हीरोइन के उनके कॅरियर को खत्म कर दिया। फिल्म जंग-ए-आजादी में जब वह अभिनेता भगवान दादा के साथ काम कर रही थीं, इस - फिल्म के एक सीन में भगवान दादा को ललिता को थप्पड़ मारना था। यह थप्पड़ ललिता को इतनी जोर का लगा कि इस हादसे में उनकी एक आंख खराब हो गई। 

- 1944 में ललिता पवार ने फिल्मों में वापसी तो की किन्तु हीरोइन के रूप में नहीं बल्कि चरित्र भूमिकाओं से। फिल्म गृहस्थी, दहेज, सौ दिन सास के में उन्होंने एक कठोर, दुःख पहुंचाने वाली क्रूर सास की भूमिका अदा की जो इतनी सजीव थीं कि ललिता एक क्रूर सास के रूप में स्थापित हुईं।

- 1955 में बनी राजकपूर की फिल्म श्री 420 में ललिता पवार ने क्रूर सास की इमेज से हटकर नरम दिल की औरत बन सबका दिलजीत लिया. इस फिल्म में ललिता पवार केलेवाली बनी थीं और राजकपूर उन्हें दिलवाली कहते थे।

- 1959 में ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म अनाड़ी में ललिता पवारने ऊपर से क्रूर और अंदर से नरम मिसेज डिसूजा की अपनी सराहनीय अदाकारी के लिएबेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर अवॉर्ड जीता।

- ललिता पवार की शादी फिल्म मेकर गणपतराव पवार से हुई थी किन्तु कुछ कारणों के चलते उनका डिवोर्स हो गया, बाद में उन्होंने फिल्म प्रोडयूसर राजप्रकाश गुप्ता से शादी की। 

- ललिता पवार ने 70 साल से भी ज्यादा समय तक फिल्मो में काम किया जो गिनीज वर्ल्ड में रिकॉर्ड दर्ज है. उन्होंने 700 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया जिनमें हिंदी, मराठी और गुजराती भाषा की फिल्में भी शामिल हैं।

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बड़े पर्दे के अलावा ललिता पवार ने छोटे पर्दे पर भी काफी वाह-वाही बटोरी, रामानंद सागर के लोकप्रिय धारावाहिक रामायण में टेढ़ी चाल वाली मंथरा का किरदार उन्होंने इतना बखूबी निभाया कि हर घर में बच्चा-बच्चा भी उन्हें मंथरा के नाम से जानने लगा।

ललिता पवार की जिन्दगी का अंतिम समय काफी कष्टप्रद बीता उन्हें जबड़े का कैंसर हो गया था जिसके बाद उनकी हालत लगातार गिरती गई। अपनी तबियत और अंतिम परिस्थितियों को देखकर कई बार ललिता पवारमजाक में कहती थीं कि शायद इतने खराब रोल की सजा भुगत रही हूं।

ललिता पवार ने जिस समय अंतिम सांस ली थी वे अपने बंगले में अकेली थीं। 24 फरवरी 1998 को 82 साल की उम्र में पुणे के अपने बंगले आरोही में उनका निधन हुआ। असल जिंदगी में ललिता पवार बहुत ही नरम दिल की खुशमिजाज महिला थीं। उनकी अन्तिम फिल्म सुनील शेट्टी और पूजा बत्रा की 1997 में बनी फिल्म ‘भाई’ थी।

- अमृता गोस्वामी

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