14 वर्ष की आयु में ग्रेजुएशन कर लिया था सी. वी. रमन ने

CV Raman
Prabhasakshi

रमन ने अपने रिसर्च के द्वारा दुनिया को यह बताया, जब प्रकाशक किरणें किसी भी पारदर्शी पर पड़ती है तो उसके व्यवहार में परिवर्तन आता है। अथवा जब प्रकाश की किरणे किसी पारदर्शी तरल पर पड़ती है तो उनमें फ्रेक्शन होता है और यह अपना रंग परिवर्तन कर लेता है।

रमन प्रभाव की खोज करने वाले भारतीय वैज्ञानिक सी. वी. रमन का नाम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। रमन ने अपने रिसर्च से दुनिया को यह बताया कि समुद्र का पानी नीला क्यों होता है। सी. वी. रमन का पूरा नाम चंद्र शेखर वेंकट रमन था। इनका जन्म 1888 में त्रिचिनापल्ली में हुआ था। इनके पिता का नाम चंद्र शेखर अय्यर था और वह एक शिक्षक थे। सी.वी. रमन अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे। मात्र चार वर्ष की आयु से ही रमन में असाधारण प्रतिभा थी। सबसे बड़ी बात यह है कि पहली बार किसी भारतीय को विज्ञान जगत में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ। 

क्या है रमन प्रभाव 

रमन ने अपने रिसर्च के द्वारा दुनिया को यह बताया, जब प्रकाशक किरणें किसी भी पारदर्शी पर पड़ती है तो उसके व्यवहार में परिवर्तन आता है। अथवा जब प्रकाश की किरणे किसी पारदर्शी तरल पर पड़ती है तो उनमें फ्रेक्शन होता है और यह अपना रंग परिवर्तन कर लेता है। इसीलिए प्रतिवर्ष 28 फरवरी को विज्ञान दिवस मनाया जाता है।

सी. वी. रमन नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई थे जिनको साइंस की दुनिया में प्राइज मिला। इनके पिता विशाखापट्टनम में प्रोफेसर थे। रमन की स्कूली शिक्षा भी यही से पूरी हुयी। 1907 में रमन का विवाह लोकसुंदरी अम्मल से हुआ। 

रमन का योगदान पूरी साइंस की दुनिया में बहुत बड़ा है। अपने रिसर्च के माध्यम से उन्होंने पूरी दुनिया में भारत का गौरव बढ़ा दिया।

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सी. वी. रमन की उपलब्धियां 

1924 में रमन को लन्दन 'रॉयल सोसायटी का मेम्बर बनाया गया। 

28 फरवरी 1928 को रमन प्रभाव की  खोज की घोषणा आधिकारिक रूप से की गयी। 

1934 में रमन को भारतीय विज्ञान संस्थान का डाइरेक्टर बनाया गया। 

रमन ने पहली बार मृदंगम और तबले के हॉर्मोनिक नेचर की खोज की। 

1948 में इन्होने रमन अनुसंधान संस्थान की स्थापना की। यह संस्थान बंगलुरु में स्थित है। 

1954 में इनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 

1957 में लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 


सी. वी. रमन से जुडी रोचक बातें  

सी.वी रमन मात्र 14 वर्ष की आयु में ग्रेजुएशन कर लिया था। 

विज्ञान जगत में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय है। 

रमन खोज उपकरण की का मूल्य मात्र 200 आइ एन आर था। आज लाखो रूपये के उपकरण से रमन प्रभाव पर शोध किया जाता है। 

21 नवंबर 1970 को सी.वी रमन ने 82 वर्ष की आयु में संसार को अलविदा कह दिया।

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