Gopal Krishna Gokhale Birth Anniversary: भारत के 'ग्लेडस्टोन' कहे जाते थे गोपाल कृष्ण गोखले, जानिए रोचक बातें

Gopal Krishna Gokhale
Prabhasakshi

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में 09 मई 1866 को गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्णा राव गोखले और मां का नाम वलूबाई गोखले था। वह एक साधारण परिवार में जन्मे थे। बता दें कि गोखले मेधानी छात्र थे और इनके पिता पेशे से क्लर्क थे।

आज ही के दिन यानी की 09 मई को महान समाज सुधारक, शिक्षाविद, नरम दल के नेता गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म हुआ था। यह एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। गोखले ने सामाजिक सशक्तिकरण, शिक्षा के विस्तार और तीन दशकों तक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया। बता दें कि खुद राष्ट्रपित महात्मा गांधी गोखले को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग' में उन्होंने इसका उल्लेख किया है। आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर गोपाल कृष्ण गोखले के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

महाराष्ट्र के रत्नागिरी में 09 मई 1866 को गोपाल कृष्ण गोखले का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्णा राव गोखले और मां का नाम वलूबाई गोखले था। वह एक साधारण परिवार में जन्मे थे। बता दें कि गोखले मेधानी छात्र थे और इनके पिता पेशे से क्लर्क थे। गोखले को पराधीनता का भाव बहुत सताता था। लेकिन उनके अंदर राष्ट्रभक्ति की धारा हमेशा प्रवाहित होती थी।

इसे भी पढ़ें: Maharana Pratap Birth Anniversary: महाराणा प्रताप ने विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं मानी हार, हमेशा की मेवाड़ की रक्षा

वहीं साल 1881 में गोपाल कृष्ण गोखले ने मैट्रिक की परीक्षा पास की। जिसके बाद साल 1882 में कोल्हापुर के राजाराम कॉलेज में एडमिशन लिया। लेकिन कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए गोखले को एलफिंस्टन कॉलेज जाना पड़ा था। पढ़ाई में अच्छे और जुनूनी रवैया होने के कारण हर महीने उनको स्कॉलरशिप भी मिलती थी।

कांग्रेस के अध्यक्ष बने गोखले

साल 1889 में गोपाल कृष्ण गोखले अपने गुरू समाज सुधारक एम जी रानाडे से प्रभावित होकर कांग्रेस में शामिल हो गए। वह हमेशा 'नरम दल' के नेता के रूप में काम करते रहे। वहीं साल 1893 में वह बंबई प्रांतीय सम्मेलन के सचिव बने। फिर साल 1895 में उनको बाल गंगाधर तिलक के साथ संयुक्त सचिव के तौर पर कार्य किया। साल 1905 में हुए बनारस अधिवेशन में गोखले को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।

इसी अधिवेशन के दौरान काशी हिंदु विश्वविद्यालय की नींव पड़ी थी। हालाँकि बाद में नरम और गरम दल के बीच हुए मतभेदों के बाद साल 1907 में पार्टी के दो टुकड़े हो गए। वैचारिक मतभेद होने के बाद भी गोखले ने 'गरम दल' के नेता लाला लाजपत राय की रिहाई के लिए अभियान चलाया था। बता दें कि गोखले को वित्तीय मामलों की अद्वितीय समझ और उस पर अधिकारपूर्वक बहस करने की क्षमता के कारण उनको भारत का 'ग्लेडस्टोन' कहा जाता है।

मृत्यु

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे बड़ा योगदान देने वाले गोपाल कृष्ण गोखले का 9 फरवरी साल 1915 को मुंबई में निधन हो गया था।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़