ईमानदारी के ''प्रताप'' से चमकेगा मोदी कैबिनेट का आभामंडल

honesty-will-shine-with-the-glory-in-modi-cabinet
अभिनय आकाश । May 31 2019 12:34PM

सियासत के सबसे निःस्वार्थ, निर्धन साधक के रुप में उभरे प्रताप सारंगी का जीवन सरलता से भरा है। वह लंबे समय से संघ से जुड़े रहे हैं। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे सारंगी को ओडिशा का मोदी भी कहा जाता है। प्रताप सारंगी रामकृष्ण मठ में साधु बनना चाहते थे। जिसके लिए वो कई बार मठ भी गए थे।

हिन्दी का एक लोकप्रिय मुहावरा है पैसा पानी की तरह बहाना। राजनीति के इस दौर में जहां चुनावी किला फतह करने के लिए धन-बल के प्रयोग का चलन पूरे जोर-शोर से होता है। राजनेता चुनाव जीतने के लिए पैसा पानी की तरह बहाते हैं। पैसों के बल पर चुनाव जीते जाते हैं। जिस दौर में गरीबों का चुनाव लड़कर जीतना वास्तविकता के धरातल पर बेहद मुश्किल है। उस वक्त में एक शख्स ने एक पैसा खर्च किए बिना न सिर्फ चुनाव लड़ा बल्कि एक अरबपति उम्मीदवार को हराकर ऐसे मिथकों को भी किनारे लगा दिया। 

इसे भी पढ़ें: मोदी कैबिनेट में सबसे ज्यादा भागीदारी यूपी की रही

टूटे घर को निहारते, सरकारी हैंड पंप पर नहाते, दातुन लेकर जाते, बच्चों के साथ खेलते, कभी साइकिल चलाते तो कभी मंदिर के बाहर बैठकर साधना करते प्रताप सारंगी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी पूरे चुनाव खूब वायरल हुई। फकीर की तरह दिखने वाले श्वेत वस्त्रधारी सारंगी ने ओडिशा के बालासोर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए बीजू जनता दल के प्रत्याशी रबींद्र कुमार जेना को 12 हजार 956 मतों से हराया। सारंगी की इस सादगी भरी जीत को नरेंद्र मोदी ने और अमित शाह ने गले लगाते हुए मंत्रीमंडल में जगह भी दे दी। प्रताप सारंगी को मोदी सरकार पार्ट-2 में राज्य मंत्री बनाया गया है।

इसे भी पढ़ें: शपथ ग्रहण से पहले NDA में दरार, मोदी कैबिनेट में शामिल नहीं होगी जदयू

सियासत के सबसे निःस्वार्थ, निर्धन साधक के रुप में उभरे प्रताप सारंगी का जीवन सरलता से भरा है। वह लंबे समय से संघ से जुड़े रहे हैं। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे सारंगी को ओडिशा का मोदी भी कहा जाता है। प्रताप सारंगी रामकृष्ण मठ में साधु बनना चाहते थे। जिसके लिए वो कई बार मठ भी गए थे। लेकिन मठ वालों को पता लगा कि उनके पिता नहीं है और उनकी मां अकेली हैं, तो मठ वालों ने उन्हें मां की सेवा करने को कहा। जिसके बाद वो घर लौट आए।

इसे भी पढ़ें: इन चेहरों को मिलेगी मोदी कैबिनेट में जगह, अमित शाह संभालेंगे गृह या रक्षा मंत्रालय

लोकसभा चुनाव 2019 के दौर में जहां विरोधी कार से चलते थे वहीं सारंगी अधिकतर साइकिल का प्रयोग करते थे। जनता से जुड़ाव के लिए सारंगी ने ऑटो रिक्शा किराए पर लेकर भी चुनाव प्रचार किया था। गौरतलब है कि प्रताप सारंगी पहली बार लोकसभा के रण में नहीं उतरे थे। इससे पहले साल 2014 में भी उन्होंने लोकतंत्र के मंदिर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश की थी लेकिन उस वक्त उन्हें रबींद्र कुमार जेना के हाथों पराजय मिली थी। सारंगी 2004 से 2014 तक ओडिशा विधानसभा के सदस्य रहे हैं।

बहरहाल, राजनीति में सादगी का प्रतिबिंब बनने वाले इस शख्सियत ने धन विहीन राजनीति के ब्रांड एम्बेसडर बनकर उभरे हैं। दौलत की दीवार को गरीबी और ईमानदारी की चोट से ढाहने वाले सारंगी के कर्तव्यनिष्ठा की प्रताप से लोकसतंत्र की सबसे बड़ी चौखट का आभामंडल जरूर गौरवमयी होगा।

 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़