Mahatma Gandhi Birth Anniversary: महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर लड़ी थी आजादी की लड़ाई

Mahatma Gandhi
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आज ही के दिन यानी की 02 अक्तूबर को महान स्वतंत्रता सेनानी और 19वीं सदी के सबसे सम्मानित राजनेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। गांधीजी के करिश्माई नेतृत्व के कारण ही भारत में 200 सालों से राज कर रही ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था।

महान स्वतंत्रता सेनानी और 19वीं सदी के सबसे सम्मानित राजनेता राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 02 अक्तूबर को जन्म हुआ था। महात्मा गांधी के त्याग और देश की आजादी में उनके अहम योगदान के लिए उनको 'राष्ट्रपिता' का दर्जा दिया गया। वहीं देश के लोग उनको प्यार से बापू कहकर पुकारते हैं। महात्मा गांधी के करिश्माई नेतृत्व के कारण ही भारत में 200 सालों से राज कर रही ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर महात्मा गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और परिवार

गुजरात के पोरबंदर में 02 अक्तूबर 1869 को महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनके पिता का नाम करमचंद गांधी और मां का नाम पुतलीबाई था। वहीं महज 13 साल की उम्र में महात्मा गांधी की शादी कस्तूरबा से कर दी गई। कस्तूरबा गांधी ने स्वतंत्रता आंदोलन में गांधीजी का पूरा सहयोग किया था।

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सत्य और अहिंसा के पुजारी थे गांधीजी

महात्मा गांधी की ताकत सत्य और अहिंसा के सिद्धांत थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाकर आजादी की लड़ाई में कई आंदोलन किए। महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, चंपारण सत्याग्रह, दांडी सत्याग्रह ने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर करने में अहम रोल अदा किया था।

स्वतंत्रता के बाद गांधी जी के कार्य

देश की आजादी के बाद भी महात्मा गांधी ने सामाजिक और आर्थिक सुधार के लिए कई काम किए। वह देश की शांति और सौहार्द को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे। उन्होंने लोगों को संयम, सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

सादगी भरा जीवन जीते थे

महात्मा गांधी ने अपना पूरा जीवन सादगी के साथ जिया। क्योंकि उनका मानना था कि सादगी की जीवन का असली सौंदर्य है। वह एक धोती पहनकर पदयात्रा करते थे और आश्रम में रहते थे। महात्मा गांधी के इसी सादगीपूर्ण जीवन से प्रभावित होकर लोगों ने उनको 'बापू' कहना शुरूकर दिया था।

ऐसे बने 'राष्ट्रपिता'

बता दें कि सबसे पहले सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गांधी को 'राष्ट्रपिता' का सम्मान दिया था। सुभाष चंद्र बोस ने गांधी जी को यह उपाधि इसलिए दी थी, क्योंकि वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता था और उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से आजादी पाने के लिए पूरे देश को एकजुट करने का काम किया था। 

मृत्यु

देश की आजादी के कुछ समय बाद नाथुराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

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