Pandit Jasraj Birth Anniversary: गायिकी के 'रसराज' कहे जाते थे पंडित जसराज, संगीत को दिए जीवन के 75 साल

आज ही के दिन यानी की 28 जनवरी को जन्म को पंडित जसराज का जन्म हुआ था। उनको गायिकी का 'रसराज' कहा जाता था। उन्होंने संगीत को अपने जीवन के 75 साल दिए थे। इसीलिए पं. जसराज के नाम के बिना शास्त्रीय संगीत का इतिहास अधूरा माना जाता है।
गायिकी के 'रसराज' कहे जाने वाले पंडित जसराज का आज ही के दिन यानी की 28 जनवरी को जन्म हुआ था। अपने अनूठे गायिकी से पंडित जसराज दुनियाभर में प्रसिद्धि पाई थी। बता दें कि सुरों से रसराज कहे जाने वाले पं. जसराज ने संगीत को अपने जीवन के 75 साल दिए थे। इसीलिए पं. जसराज के नाम के बिना शास्त्रीय संगीत का इतिहास अधूरा है। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर पंडित जसराज के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
हरियाणा के हिसार में 28 जनवरी 1930 को पंडित जसराज का जन्म हुआ था। इनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जिसे 4 पीढ़ियों तक हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत को एक से बढ़कर एक शिल्पी देने का गौरव प्राप्त है। इनके पिता का नाम पंडित मोतीराम था और वह खुद मेवाती घराने के एक विशिष्ट संगीतज्ञ थे। महज 4 साल की उम्र में पंडित जसराज के सिर से उनके पिता का साया उठ गया था।
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पंडित जसराज ने शुरूआती दिन हैदराबाद में बिताए और फिर गुजरात में मेवाती घराने के संगीतकारों के साथ संगीत का अध्ययन किया। पंडित जसराज ने साणंद के ठाकुर साहब महाराज जयवंत सिंह वाघेला के लिए प्रस्तुति दी थी। फिर साल 1946 में वह कलकत्ता चले गए और रेडियो के लिए शास्त्रीय संगीत गाने लगे।
करियर
बता दें कि बहुत कम उम्र में जसराज को उनके पिता ने गायन की शिक्षा दी थी। फिर उनके भाई पंडित प्रताप नारायण ने पंडित जसराज को तबता कलाकार के रूप में प्रशिक्षित करने का काम किया था। वह अपने भाई मनीराम के साथ एकल गायन प्रदर्शन में शामिल होते थे। इसी दौरान बेगम अख्तर ने पंडित जसराज को शास्त्रीय संगीत में अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। वहीं 22 साल की उम्र में उन्होंने नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह के दरबार में गायक के तौर पर प्रस्तुति दी। साल 1952 में पंडित जसराज का यह पहला स्टेज परफॉर्मेंस था।
सम्मान
पंडित जसराज को शास्त्रीय संगीत में अहम योगदान देने के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। साल 1975 में उनको भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री दिया गया था। इसके अलावा साल 1987 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1990 में भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण, साल 2000 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उनको भारत रत्न, लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए सुमित्रा चरत राम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मृत्यु
वहीं 17 अगस्त 2020 को कार्डियक अरेस्ट की वजह से अमेरिका के न्यू जर्सी में पंडित जसराज का निधन हो गया था।
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