बच्चों में देश का भविष्य देखते थे पंडित जवाहर लाल नेहरू

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बच्चों के बेहतर विकास, कल्याण और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बाल दिवस की शुरूआत हालांकि दुनिया के कई देशों में 1925 से हो चुकी थी किन्तु 1953 से यह दुनिया भर में मनाया जाने लगा, संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 20 नवबंर के दिन इसे मनाने की घोषणा की।

बच्चे देश का भविष्य होते हैं, बच्चों के प्रति हर किसी को जागरूक होना चाहिए ताकि एक सुन्दर सुदृढ देश का निर्माण हो सके... यह सोचना था हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जिन्होंने न सिर्फ एक नए उज्ज्वल भारत का सपना देखा बल्कि देश के नोनिहालों के प्रति लोगों को जागरूक भी किया। यह नेहरू जी का बच्चों के प्रति प्रेम ही था कि उनके जन्म दिन 14 नवम्बर को भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

बच्चों के बेहतर विकास, कल्याण और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बाल दिवस की शुरूआत हालांकि दुनिया के कई देशों में 1925 से हो चुकी थी किन्तु 1953 से यह दुनिया भर में मनाया जाने लगा, संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 20 नवबंर के दिन इसे मनाने की घोषणा की। भारत में भी बाल दिवस पहले 20 नवंबर को मनाया जाता था। 27 मई 1964 को जवाहर लाल नेहरू जी के निधन के बाद सर्वसहमति से यह फैसला लिया गया कि उनके जन्मदिन के दिन बाल दिवस मनाया जाएगा और यही हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी की इच्छा भी थी। 

जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) में हुआ था। इनकी माता का नाम स्वरूपरानी और पिता का नाम पंडित मोतीलाल नेहरू था, जो एक जाने माने वकील थे। जवाहर लाल नेहरू की शुरूआती शिक्षा उनके घर पर ही हुई, पढ़ाई में वे बहुत होशियार थे। घर पर रहकर ही उन्होंने अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत भाषा का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। उच्च शिक्षा के लिए 1905 में उन्हें इंग्लैंड के हैरो स्कूल में दखिला दिलाया गया और उसके बाद कैंब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से नेहरू जी ने नेचुरल साइंस में उपाधि हासिल की। इसके बाद दो साल उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की। वर्ष 1916 में जवाहर लाल नेहरू की शादी कमला नेहरू से हुई थी और 1917 में इनकी बेटी इंदिरा का जन्म हुआ जो आगे चलकर देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनीं।

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आज 14 नवम्बर को भारत देश बाल दिवस के साथ-साथ अपने प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिन भी मना रहा है। आइए जानते हैं बच्चों के प्रति उनके स्नेह और देश के लिए किए उनके योगदान की कुछ मिलीजुली खास बातें। 

नेहरू जी ने भारत की स्वतंत्रता और उसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महात्मा गांधी के साथ मिलकर उन्होंने देश की आजादी के लिए काफी संघर्ष किया और इसके लिए कई बार जेल भी गए। आजादी के संघर्ष के दिनों में ही इनके माता पिता और पत्नी का भी देहांत हो गया था। इसके बाद से उन्होंने स्वयं को देश की आजादी के लिए पूरी तरह समर्पित कर दिया। 

आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। अपने प्रधानमंत्री के कार्यकाल में उन्होंने कई बड़े कार्य किए। भिलाई, राउरकेला और बोकारो जैसे देश के सबसे बड़ी स्टील प्लांट उनके कार्यकाल में ही स्थापित किए गए इसके साथ ही उन्होंने आईआईएससी और आईआईटी जैसे कई बड़े शैक्षिक संस्थान भी स्थापित किए। कोरियाई युद्ध का अंत, स्वेज नहर विवाद और कांगो समझौते जैसे कई अंतराष्ट्रीय महत्वपूर्ण समाधानों में पंडित नेहरू की मध्यस्थता रही। वे एक लोकप्रिय प्रधानमंत्री के साथ-साथ अच्छे लेखक भी थे। विश्व इतिहास की एक झलक, एन ऑटोबायोग्राफी, लेटर्स फॉर ए नेशन, भारत की एकता और स्वतंत्रता, डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ग्लिम्प्स ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री इत्यादि उनकी प्रमुख किताबें हैं। ‘डिस्कबरी ऑफ इंडिया’ पंडित नेहरू की लोकप्रिय किताब थी जिसे उन्होंने 1944 में अप्रैल-सितंबर के बीच अहमदनगर जेल में रहकर लिखी, जो 1946 में प्रकाशित हुई। यह किताब अंग्रेजी में लिखी गई थी बाद में जिसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ। हिन्दी में यह पुस्तक ‘भारत एक खोज’ नाम से बहुत प्रसिद्ध हुई। पिता के पत्र बेटी के नाम भी उनकी प्रसिद्ध रचना हैं जो पत्र उन्होंने जेल में रहकर अपनी बेटी इंदिरा को लिखे थे।

नेहरूजी बच्चों से बहुत प्यार करते थे और बच्चे भी प्यार से उन्हें चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। बच्चों के साथ नेहरू जी के प्रेम और लगाव के कई लोकप्रिय किस्से हैं। एक बार की बात है जब एक बच्चा उनके पास ऑटोग्राफ लेने आया और बोला-साइन कर दीजिए। नेहरू जी ने जब आॅटोग्राफ पुस्तिका पर साइन दिया तो बच्चा बोला आपने इस पर तारीख नहीं लिखी। नेहरू जी ने तुरंत ही बच्चे की ऑटोग्रॉफ पुस्तिका पर अपने साइन के नीचे तारीख लिख दी। बच्चा थोड़ा गंभीर होते हुए बोला- यह क्या, आपने साइन अंग्रेजी में किए और तारीख उर्दू में लिख दी। चाचा नेहरू मजाक करते हुए बोले- बेटे, आपने जब साइन करने को कहा तो मैंने अंग्रेजी में साइन कर दिए। फिर आपने तारीख लिखने को कहा तो मैंने उर्दू में तारीख डाल दी। नेहरू जी के इस मजाक पर वहां उपस्थित लोगों के साथ-साथ उस बच्चे को भी हंसी आ गई।

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बच्चों के साथ नेहरू जी के और भी कई रोचक किस्से हैं। प्रधानमंत्री के कार्यकाल में तीन मूर्ति भवन में जब उनका सरकारी निवास था। एक दिन वहां बगीचे में नेहरूजी टहल रहे थे। तभी उन्हें एक छोटे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। नेहरूजी ने आसपास देखा तो उन्हें पेड के नीचे एक-दो माह का बच्चा रोता दिखाई दिया। नेहरूजी जी की आंखें आसपास उसकी मां को तलाशने लगीं। जब बच्चे की मां आसपास कहीं नजर नहीं आई तो नेहरू जी ने सोचा कि वह बगीचे में ही कहीं माली के साथ काम कर रही होगी पर, जब बच्चे ने और तेज रोना शुरू कर दिया तो नेहरू जी से रहा नहीं गया। उन्होंने बच्चे को गोद में उठाकर खिलाना शुरू कर दिया तो बच्चा मुस्कुराने लगा। जब बच्चे की मां वहां पहुंची तो नेहरूजी की गोद में बच्चे को मुस्कुराता-खेलते देख बहुत खुश हुई। 

एक और किस्सा-एक बार नेहरू जी जब तमिलनाडु के दौरे पर थे तब भरी भीड़ में नेहरूजी ने देखा कि दूर खड़ा एक गुब्बारे वाला पंजों के बल खड़ा होकर नेहरू जी की झलक पाने का प्रयत्न कर रहा था उसके हाथों में तरह-तरह के रंग-बिरंगे गुब्बारे थे जिनकी वजह से वह आगे नहीं आ पा रहा था। नेहरूजी की गाड़ी जब गुब्बारे वाले के पास पहुंची तो नेहरू जी ने वहीं गाड़ी रूकवाई जिसे देखकर गुब्बारे वाला हक्का-बक्का रह गया। नेहरूजी ने उसके सारे गुब्बारे खरीदवाकर वहां उपस्थित सारे बच्चों बंटवा दिए। सारे गुब्बारे बिकने से गुब्बारे वाला तो बहुत खुश था ही नेहरू जी से गुब्बारे पाकर बच्चे भी बहुत प्रसन्न थे। 

तो ऐसे थे हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और बच्चों के प्रिय चाचा नेहरू। जिनके सराहनीय कार्यों के लिए 1955 में उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक पुरूस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 

अपने जीवन के अन्तिम समय में नेहरू जी काफी अस्वस्थ थे और 27 मई 1964 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया, उनके निधन से सारा देश स्तब्ध था। आज भले ही पंडित जवाहर लाल नेहरू हमारे बीच नहीं हैं पर देश के लिए किए उनके योगदान के लिए हम भारतवासी उन्हें कभी नहीं भुला पाएंगे। 

अमृता गोस्वामी

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