Pandit Ravi Shankar Death Anniversary: पंडित रविशंकर ने शास्त्रीय संगीत को दिलाई दुनियाभर में पहचान, विवादों से भरी रही जिंदगी

सितार वादक पंडित रवि शंकर का 11 दिसंबर को निधन हो गया था। भले ही आज पंडित रवि शंकर हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संगीत आज भी संगीत प्रेमियों के बीच सुना जाता है। उन्होंने महज 18 साल की उम्र से सितार सीखना शुरूकर दिया था।
आज ही के दिन यानी की 11 दिसंबर को सितार वादक पंडित रवि शंकर का निधन हो गया था। पंडित रवि शंकर ने भारतीय संगीत को दुनियाभर में लोकप्रिय बनाया था। भले ही आज पंडित रवि शंकर हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संगीत आज भी संगीत प्रेमियों के बीच सुना जाता है। उन्होंने महज 18 साल की उम्र से सितार सीखना शुरूकर दिया था। फिर इस विधा में देश-विदेश में पंडित रविशंकर ने भारत का नाम रोशन किया। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर रवि शंकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 07 अप्रैल 1920 को पंडित रवि शंकर का जन्म हुआ था। वह अपने 7 भाइयों में सबसे छोटे थे। शुरूआत में रवि शंकर का झुकाव नृत्य की ओर रहा। लेकिन 18 साल की उम्र में सितार सीखना शुरू किया था।
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भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय संगीतज्ञ
पंडित रवि शंकर अपनी युवावस्था अपने भाई उदय की नृत्य मंडली के सदस्य के रूप में भारत और यूरोप में प्रदर्शन करते हुए बिताया। इस कारण से उनको भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय संगीतज्ञ कहा जाता है। पंडित रवि शंकर ने सितार को भारत से निकालकर विश्व मंच पर पहुंचाया और पहचान दिलाई। साल 1938 में प्रसिद्ध दरबारी संगीतकार उस्ताद अलाउद्दीन खान से सितार वादन सीखने के लिए पंडित रविशंकर ने नृत्य छोड़ दिया।
फिल्मों में दिया संगीत
साल 1944 में पढ़ाई पूरी करने के बाद पंडित रविशंकर ने संगीतकार के रूप में सत्यजीत रे के 'अपू ट्रिलॉजी' और रिचर्ड एटनबर्ग के 'गांधी' के लिए संगीत दिया। सर्वश्रेष्ठ मौलिक स्वरलिपि के लिए साल 1983 में उनको जॉर्ज फेंटन के साथ ऑस्कर से नवाजा गया। फिर साल 1949 से लेकर 1956 के बीच उन्होंने नई दिल्ली में ऑल इंडिया रेडियो के संगीत निदेशक के तौर पर भी काम किया। फिर साल 1960 के दशक में वायलिन वादक येहुदी मेनुहिन और जॉर्ज हैरीसन के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा और प्रस्तुति देकर इसको लोकप्रिय बनाया।
सांसद रहे पंडित रविशंकर
साल 1986 से लेकर 1992 तक पंडित रविशंकर राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। साल 1999 में उनको देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इसके अलावा उनको तीन ग्रैमी अवॉर्ड मिल चुके हैं। उनको साल 2013 के जर्मनी अवॉर्ड के लिए भी नामित किया गया था। साल 2000 तक पंडित रविशंकर लगातार प्रस्तुति देते रहे। पंडित रविशंकर ने कई बार अपनी बेटी अनुष्का शंकर के साथ प्रस्तुति दी।
मृत्यु
वहीं अमेरिका के सैन डिएगो में 11 दिसंबर 2012 को 92 साल की उम्र में पंडित रविशंकर का निधन हो गया था।
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