Rajiv Gandhi Death Anniversary: राजनीति में दिलचस्पी नहीं रखते थे राजीव गांधी, एक दुर्घटना से बदल गया पूरा किस्सा

राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था। जब भारत आजाद हुआ, तो उस दौरान राजीव गांधी महज 3 साल के थे। देहरादून के वेलहम बॉयज से राजीव गांधी की शिक्षा शुरू हुई, लेकिन जल्द ही उनको प्रतिष्ठित दून स्कूल भेज दिया गया था।
आज यानी की 20 अगस्त को देश के सातवें प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्म हुआ था। बता दें कि राजीव गांधी एक ऐसा नाम है, जो भारत के साथ-साथ विदेश में भी गूंजता है। राजीव देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बड़े बेटे थे। हालांकि राजीव गांधी को राजनीति में कोई रुचि नहीं थी, वह एविएशन में अपना करियर बनाना चाहते थे। लेकिन इसके बावजूद उनको राजनीति में शामिल होना पड़ा। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर राजीव गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को हुआ था। जब भारत आजाद हुआ, तो उस दौरान राजीव गांधी महज 3 साल के थे। देहरादून के वेलहम बॉयज से राजीव गांधी की शिक्षा शुरू हुई, लेकिन जल्द ही उनको प्रतिष्ठित दून स्कूल भेज दिया गया था। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद वह कैंब्रिज में स्थित ट्रिनिटी कॉलेज गए लेकिन यहां से भी जल्द ही लंदन के इंपीरियल कॉलेज शिफ्ट हो गए। राजीव गांधी ने लंदन से मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। लेकिन किसी कारणवश वह अपना कोर्स पूरा नहीं कर पाए।
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म्यूजिक और फोटोग्राफी में दिलचस्पी
साल 1966 में राजीव गांधी भारत वापस आ गए और इस समय तक उनकी मां यानी की इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बन चुकी थीं। राजीव को वेस्टर्न, हिंदुस्तानी क्लासिकल और मॉडर्न म्यूजिक में दिलचस्पी थी और वह फोटोग्राफी में काफी अच्छे थे। इसके अलावा उनको रेडियो सुनने का भी काफी शौक था।
शादी
उच्च शिक्षा प्राप्त करने के दौरान लंदन में राजीव गांधी की मुलाकात एडविग एंटोनियो माइनो से हुई थी। यह मुलाकात जल्द ही दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। साल 1968 में राजीव और एडविग एंटोनियो माइनो ने दिल्ली में शादी रचा ली और फिर माइनो का नाम बदलकर सोनिया गांधी हो गया।
राजनीति में एंट्री
राजीव गांधी की पॉलिटिक्स में दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन इसके बाद भी उनको राजनीति में आना पड़ा। क्योंकि राजीव के छोटे भाई संजय गांधी की प्लेन हादसे में मौत हो गई थी। ऐसे में राजीव को न चाहते हुए भी 23 जून 1980 को राजनीति में आना पड़ा और फिर उन्होंने संजय गांधी की सीट अमेठी से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद राजीव गांधी साल 1984, 1989 और 1991 के चुनाव में लगातार जीत हासिल की। फिर साल 1981 में राजीव गांधी इंडियन यूथ कांग्रेस के प्रेसीडेंट बन गए।
मृत्यु
शायद इस बात का अंदाजा किसी को भी नहीं होगा कि साल 1991 का चुनाव राजीव गांधी का आखिरी चुनाव होगा। क्योंकि साल 1991 के आम चुनाव के दौरान 20 मई को अमेठी में मतदान हुआ। वहीं इसके दूसरे दिन यानी की 21 मई को तमिलनाडू के श्रीपेरंबदूर में आयोजित एक चुनावी रैली राजीव गांधी को पहुंचना था। जब राजीव गांधी इस रैली में पहुंचे तो वह लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम के आत्मघाती हमले के शिकार हो गए। वहीं 21 मई 1991 में राजीव गांधी की धनु नामक आत्मघाती हमलावर ने हत्या कर दी।
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