RK Narayan Death Anniversary: अद्भुत लेखन प्रतिभा के धनी थे आर के नारायण, लिखी थीं ये यादगार किताबें

RK Narayan
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मद्रास में 10 अक्तूबर 1906 को आर के नारायण का जन्म हुआ था। वर्तमान समय में इस जगह को चेन्नई के नाम से जाना जाता है। आर के नारायण के पिता तमिल के अध्यापक थे। ऐसे में घर में भी हमेशा पढ़ाई-लिखाई का माहौल रहता था।

आज ही के दिन यानी की 13 मई को भारत के फेमस लेखक आर के नारायण का निधन हो गया था। उन्होंने हमें एक ऐसा टीवी सीरियल दिया, जिसको देखने के लिए लोगों ने टीवी तक का जुगाड़ किया। बता दें कि 80-90 के दशक में जन्मे बच्चों को आर के नारायण ने टीवी सीरियल की मदद से बेहद कमाल का बचपन दिया था। जिसको हम कभी भूल नहीं पाएंगे। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर फेमस लेखक आर के नारायण के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

मद्रास में 10 अक्तूबर 1906 को आर के नारायण का जन्म हुआ था। वर्तमान समय में इस जगह को चेन्नई के नाम से जाना जाता है। आर के नारायण के पिता तमिल के अध्यापक थे। ऐसे में घर में भी हमेशा पढ़ाई-लिखाई का माहौल रहता था। आर के नारायण ने अपना अधिकतर समय मैसूर में पढ़ाई करते हुए बताया। उन्होंने इस दौरान बच्चों को पढ़ाया और पत्रकारिता व लेखन को भी बहुत समय दिया।

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लेखन कार्य

बता दें कि आर के नारायण का जीवन बहुत एकांत में बीता। उन्होंने लेखन कार्य में बहुत समय दिया। आर के नारायण ने मालगुडी डेज की रचना की। इसकी कहानी को टीवी पर दिखाया गया, जिसको देखने के बाद बड़ों से लेकर बच्चों तक सभी ने अपने सुनहरे दिनों को याद किया। हालांकि यह काल्पनिक थी। लेकिन अपनी असाधारण लेखन के जरिए साधारण चरित्रों को उकेरा था। वहीं इसके रेखाचित्र को उनके भाई कार्टूनिस्ट आर के लक्ष्मण ने तैयार किया था। 

पुरस्कार

आर के नारायण का नाम साहित्य के नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया। लेकिन उनको यह पुरस्कार कभी नहीं मिला। दरअसल इस पुरस्कार के पीछे सम्पन्न पश्चिमी देशों की राजनीति हावी रहती थी। ऐसे में उन लोगों को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता था, जिनके लेखन कार्य से उनके हितों की पूर्ति होती है। लेकिन हमेशा अपनी बात को खरी भाषा में कहने वाले आर के नारायण इस कसौटी पर कभी खरे नहीं उतर सके।

फेमस कहानियां

लॉली रोड

अ हॉर्स एण्ड गोट्स एण्ड अदर स्टोरीज़

अंडर द बैनियन ट्री एण्ड अद स्टोरीज़

मृत्यु

जीवन के आखिरी समय में वह चेन्नई शिफ्ट हो गए थे। वहीं 13 मई 2001 को 94 साल की उम्र में आर के नारायण की लेखन यात्रा सदा के लिए थम गई।

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