Dr Shankar Dayal Sharma Birth Anniversary: डॉ शंकर दयाल शर्मा ने तय किया था स्वतंत्रता संग्राम से राष्ट्रपति भवन तक सफर

आज ही के दिन यानी की 19 अगस्त को डॉ शंकर दयाल शर्मा का जन्म हुआ था। उन्होंने अपने सरल स्वभाव से सभी लोगों का मन जीता। जिसके कारण वह हमेशा देश के स्वीकार्य नेता रहे। डॉ दयाल गांधीवादी की तरह अपने विरोधियों को अपने उदार व्यवहार से जीत लेते थे।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन ने देश को बहुत सारे बहुमूल्य नेता दिए। जिनमें से एक डॉ शंकर दयाल शर्मा भी हैं। वह देश के स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। आज ही के दिन यानी की 19 अगस्त को डॉ शंकर दयाल शर्मा का जन्म हुआ था। उन्होंने अपने सरल स्वभाव से सभी लोगों का मन जीता। जिसके कारण वह हमेशा देश के स्वीकार्य नेता रहे। डॉ दयाल गांधीवादी की तरह अपने विरोधियों को अपने उदार व्यवहार से जीत लेते थे। डॉ दयाल मध्य प्रदेश सरकार के कई विभागों में कैबिनेट मंत्री रहे। इसके अलावा वह कई राज्यों के राज्यपाल, केंद्र सरकार में मंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष और फिर देश के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद तक पहुंचे। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर डॉ शंकर दयाल शर्मा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
मध्यप्रदेश के भोपाल में एक ब्राह्मण परिवार में 19 अगस्त 1918 को शंकर दयाल शर्मा का जन्म हुआ था। बहुत कम लोग जानते हैं कि अपने छात्र जीवन में बेहतरीन एथलीट हुआ करते थे। वह क्रॉस कंट्री धावक होने के साथ ही विजेता तैराक भी रहे थे। साल 1940 में उन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई में भाग लेते हुए अपना राजनैतिक जीवन शुरूकर दिया था। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, आगरा कॉलेज और लखनऊ यूनिवर्सिटी जैसे देश के कई उच्च संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की थी। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत साहित्य में प्रथम स्थान हासिल किया। उन्होंने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के फिट्जविलियम कॉलेज पीएचडी की उपाधि हासिल की।
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आजादी के लिए संघर्ष
साल 1940 में डॉ शर्मा ने कानून की प्रैक्टिस शुरू की थी। इसके बाद उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता हासिल की थी और राजनीति में आए। इस दौरान डॉ शर्मा गिरफ्तार होकर 8 महीनों के लिए जेल चले गए। भारत की आजादी के बाद भोपाल के नवाब ने आजाद रहने का ऐलान किया। तब डॉ शर्मा ने भोपाल के नवाब के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया और साल 1948 में नवाब ने उनको गिरफ्तार कर लिया। हालांकि जनता के दबाव के बाद नवाब ने उनको छोड़ दिया। फिर 30 अप्रैल 1949 को नवाब भोपाल के भारत में विलय पर सहमत हो गए।
भोपाल और मध्यप्रदेश की सेवा
साल 1952 में डॉ शर्मा में भोपाल स्टेट के पहले मुख्यमंत्री बनें। वह साल 1956 तक इस पद पर काबिज रहे। इसके बाद वह कांग्रेस और उसकी सरकारों पर विभिन्न पदों पर काबिज रहे। साल 1956 से लेकर 1971 तक वह मध्यप्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे और कई पदों पर रहे।
राजनीति में प्रवेश
साल 1960 में डॉ शर्मा ने इंदिरा गांधी का समर्थन किया और फिर वह राष्ट्रीय राजनीति में आ गए। साल 1971 में वह भोपाल सीट से लोकसभा सदस्य बने। फिर साल 1972 में वह कांग्रेस अध्यक्ष बने। फिर साल 1974 में तीन साल तक संचार मंत्री बने। इसके बाद साल 1980 में उन्होंने भोपाल लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी।
राज्यपाल से राष्ट्रपति पद तक
साल 1984 के बाद बहुत से राज्यों के वह राज्यपाल बने। पहले वह आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बने और इस दौरान सिख आतंकियों ने बेटी गीतांजली माकन और दामाद ललित माकन की हत्या कर दी थी। साल 1985 में वह पंजाब के राज्यपाल बनाए गए। लेकिन जल्द ही वह साल 1986 में महाराष्ट्र के राज्यपाल बनाए गए। यह डॉ शंकर दयाल शर्मा का आखिरी राज्यपाल पद था। फिर साल 1987 में भारत के 8वें उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति चुने गए। फिर साल 1992 में वह भारत के 9वें राष्ट्रपति बने।
मृत्यु
वहीं 26 दिसंबर 1999 को हृदय घात के कारण डॉ शंकर दयाल शर्मा का निधन हो गया था।
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