Vijay Lakshmi Pandit Birth Anniversary: नारी शक्ति की प्रतीक थी विजयलक्ष्मी पंडित, ब्रिटिश राज में रचा था इतिहास

विजयलक्ष्मी पंडित एक ऐसी स्वतंत्रता सेनानी थीं, जोकि आजादी की लड़ाई में कई बार जेल यात्रा कर चुकी थीं। वह देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन थीं। आज ही के दिन यानी की 18 अगस्त को विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म हुआ था।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में पुरुषों के अलावा महिलाओं का भी बड़ा योगदान रहा है। उस समय जब महिलाएं पर्दे के पीछे रहा करती थीं, तब कुछ महिलाओं ने अपनी जान की परवाह न करते हुए आजादी की लड़ाई लड़ी थी। ऐसी ही एक महिला विजयलक्ष्मी पंडित थीं। वह एक ऐसी स्वतंत्रता सेनानी थीं, जोकि आजादी की लड़ाई में कई बार जेल यात्रा कर चुकी थीं। विजय लक्ष्मी पंडित देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की बहन थीं। वह पहली महिला थीं, जिन्होंने समाज में भारतीय महिला शक्ति की एक नई पहचान बनाई थी। आज ही के दिन यानी की 18 अगस्त को विजय लक्ष्मी पंडित का जन्म हुआ था। तो आइए जानते हैं उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर पंडित विजय लक्ष्मी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
इलाहाबाद में 18 अगस्त 1900 को विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू और मां का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। विजय लक्ष्मी ने घर आनंद भवन से अपनी शिक्षा प्राप्त की। फिर साल 1921 में उनका विवाह काठियावाड़ के सुप्रसिद्ध वकील रंजीत सीताराम पंडित से हुआ। शादी के बाद से विजयलक्ष्मी लगातार सुर्खियों में बनी रहीं।
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राजनीतिक सफर
खुद को आजादी की जंग में झोंकने वाली विजय लक्ष्मी पंडित ने राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। साल 1935 में भारत सरकार अधिनियम लागू हुआ और साल 1937 में इस कानून के तहत कई प्रांतों में कांग्रेस की सरकार बनी। इस दौरान विजय लक्ष्मी पंडित को यूपी प्रांत का कैबिनेट मंत्री बनाया गया। ब्रिटिश राज में कैबिनेट मंत्री का पद पाने वाली विजय लक्ष्मी पंडित पहली महिला थीं। उन्होंने अपने संघर्षों से देश और विदेश में पहचान बनाई थी।
महिलाओं के हक की लड़ाई
विजयलक्ष्मी पंडित ने महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ने में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने महिलाओं को उनका अधिकार दिलाने के लिए काफी संघर्ष किया। साल 1956 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम बनाने विजयलक्ष्मी ने काफी प्रयास किया। इसके बाद ही महिलाओं को अपने पिता और पति की संपत्ति में उत्तराधिकार प्राप्त हो सका। इसके अलावा उन्होंने साल 1952 में चीन जाने वाले सद्भावना मिशन का नेतृत्व किया था।
मृत्यु
वहीं 01 दिसंबर 1990 को विजयलक्ष्मी पंडित का निधन हो गया था।
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