साक्षात्कारः सामाजिक कार्यकर्ता लख्मीचंद यादव के प्रयासों से कई क्षेत्रों में आ रहा बदलाव

lakhmi chand yadav
Prabhasakshi

लख्मीचंद यादव ने लाखों की नौकरी त्याग कर अपना पूरा जीवन समाज सेवा को अर्पित कर दिया है। उनमें कैसे जगी समाज सेवा की ललक आदि बातों को जानने के लिए डॉ0 रमेश ठाकुर ने मिशन के अध्यक्ष लख्मीचंद यादव से विस्तृत बातचीत की।

कुछ सामाजिक संगठन वास्तव में निस्वार्थ अपने काम को लेकर वाहवाही लूट रहे हैं। ऐसा ही एक संगठन ‘भारतीय जनसेवा मिशन’ है जो असहाय वर्ग को कानूनी सहायता और ग्रामीण क्षेत्रों की बालिकाओं को स्कूलों में भेजने का काम लंबे समय से कर रहा है। हजारों बच्चों का जीवन इस संगठन के अपने अथक प्रयास से सुधारा और सहेजा गया है। संघर्ष और जनसेवा को लेकर चलने वाले इस संगठन के मुखिया लख्मीचंद यादव हैं जो पेशे से इंजीनियर हैं। लाखों की नौकरी त्याग कर अपना पूरा जीवन समाज सेवा को अर्पित कर दिया है। उनमें कैसे जगी समाज सेवा की ललक आदि बातों को जानने के लिए डॉ0 रमेश ठाकुर ने मिशन के अध्यक्ष लख्मीचंद यादव से विस्तृत बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश-

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प्रश्नः समाज में फैली व्याप्त बुराईंयों को मिटाने का बीड़ा मन में कैसे आया?

उत्तर- लीक से हटकर काम करने की सभी को जरूरत है। शासन-प्रशासन के बूते सभी जिम्मेदारियां नहीं छोड़नी चाहिए? कहते हैं ना कि ‘अपने लिए जिए तो क्या जिए’। औरों के लिए जो जीता है, वही मानव धर्म का थोड़ा बहुत भार उतार पाता है। हमारे आसपास समस्याओं की कमी नहीं है। समाज के प्रत्येक क्षेत्रों में असहाय, निर्धन, निर्बल व कमजोरों पर लगातार जुल्म-अत्याचार होते हैं। ग्रामीण अंचलों में तो इंतेहा हो रही है। उन्हें देखकर आंखें फेर लेना भी किसी पाप से कम नहीं। ऐसी घटनाओं को देखकर मन दुखी होता है, तभी एक सामाजिक संगठन गठित किया, जिसके चलते हम सामाजिक बुराइयों को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। लोगों की आवाज बनते हैं, उनके दुखों में हाथ बंटाते हैं। अगर हुकूमतें निष्पक्ष होकर मानव हितों के समान-सम्मान के लिए काम करें, तो सामाजिक बुराइयां अपने आप मिट जाएंगी, फिर हमारे जैसों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

  

प्रश्नः किन क्षेत्रों में आपके संगठन की ज्यादा सक्रियता रहती है?

उत्तर- बढ़ते सामंतवाद, जुल्म-अत्याचार, शोषण, उत्पीड़न को रोकने के लिए हमारा संगठन काम करता है। हमारे सदस्यों की कोशिशें यही रहती हैं कि हम पीड़ितों की हर संभव मदद करवा पाएं। महिला सुरक्षा व बालिका शिक्षा पर हमारा ज्यादा फोकस रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में बालिकाएं अभी स्कूलों से दूर हैं, और उन्हें स्कूल जाने के लिए कोई कहता भी नहीं है, ऐसी बच्चियों को हम स्कूल जाने के लिए प्रेरित करते हैं। हमारा मिशन दूर-दराज इलाकों, आदिवासी, घुमंतू व जनजातियों में ज्यादा सक्रिय है। हजारों बच्चियों को हमने अपने दम पर प्राथमिक स्कूलों में दाखिला दिलवाया है। उन पर हमेशा निगरानी भी रहती है कि कहीं उन्होंने स्कूल तो नहीं छोड़ दिया।

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प्रश्नः संगठन की अभी तक की सामाजिक उपलब्धियां क्या हैं?

उत्तर- ये लाभार्थी ही बताएंगे। वैसे, अनगिनत उपलब्धियां हैं। हजारों की संख्या में लोगों को तबाह होने से बचाया, कानूनी मदद की, बेबस महिलाओं-बहनों पर लदे मुकदमों को हम लड़ते आए हैं। एक घटना के संबंध में आपको बताता हूं। बात अयोध्या की है जहां मालती देवी नाम की बुजुर्ग के घर पर दंबगों ने कब्जा कर लिया था। घटना एक पत्रकार ने हमको बताई थी, उसके बाद हमारी टीम मालती देवी से मिली, उनकी पीड़ा सुनी। मुद्दे को प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष उठाया। एक महीने के भीतर मकान से अवैध कब्जा हटवाया और उनको सहसम्मान उनका घर दिलवाया। कानुपर में व्यापारी के पास एक कर्जदार की नाबालिग लड़की को भी अभी हाल में छुड़वाया। ये सिलसिला बहुत लंबा है।

प्रश्नः समाज सुधार के लिए सरकारों को क्या करना चाहिए?

उत्तर- सबसे पहले भेदभाव और जाति-धर्म से ऊपर उठकर राष्ट्रहित और समाज हित की बेहतरी के लिए एक समान काम करने की दरकार है। चाहे केंद्र हो या राज्यों की सरकारें सभी को मजबूती से और निष्पक्षता के साथ कानून का राज कायम करना चाहिए जिससे कि किसी भी व्यक्ति के साथ अन्याय, शोषण, जुल्म और अत्याचार ना हो सके। सबसे पहले समूचे हिंदुस्तान में शिक्षा, दवा, महिला सुरक्षा और रोजगार की एक समान समुचित व्यवस्था करनी होगी। गरीब-मजदूर, शोषित व्यक्तियों की शिक्षा पहली क्लास से ही फ्री करनी चाहिए, ऐसे बुनियादी मुद्दों को कुरेदने की जरूरत है।

प्रश्नः ये सामाजिक बुराईयां आखिर मिटेंगी कैसे?

उत्तर- थाने, कचहरी, स्कूल व अस्पतालों की दशा सुधारनी होगी। थानों में अमीरों की सुनी जाती है और गरीबों की नहीं सुनी जाती। इस स्थिति से बाहर निकलना होगा। कचहरी में दशकों तक चलने वाले केसों का निस्तारण समय पर किया जाए, स्कूलों में शिक्षा एक समान हो और अस्पतालों में सभी आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराई जाएं, ये चार ऐसे क्षेत्र हैं जो सीधे आम आदमी से वास्ता रखते हैं। इनको सुधार दो, कई चीजें अपने आप सुधर जाएंगी। इसके अलावा जाति-समुदाय, धर्म के नाम पर जहर फैलाने वाले विभिन्न गैर जरूरी संगठनों पर लगाम लगानी चाहिए। बोल्ड निर्णय लेने के बाद ही परिवर्तन हो पाएगा।

प्रस्तुतिः डॉ. रमेश ठाकुर

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