दहाई अंक में आ सकते हैं भारत के पास ''ओलिंपिक पदक''

रियो ओलिंपिक में भाग ले रहे चर्चित खिलाड़ियों के अतिरिक्त भारतीय दल में से और प्रतिभाएं भी चौंका सकती हैं और इसकी उम्मीद आम-ओ-खास भारतीयों ने लगा रखी है।

सवा सौ करोड़ देशवासियों के लिए है तो यह अजीब बात, किन्तु सत्य यही है कि पूरी बीसवीं सदी और इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक तक हमारे खिलाड़ियों का ओलिंपिक पदक कभी दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुँच सका है। कभी ओलिंपिक खेलों में तो हमने एक भी पदक प्राप्त नहीं किया है तो कई बार 1 कांस्य पदक भर से संतोष करके रह जाना पड़ा है। हालाँकि, 2012 में लन्दन ओलिंपिक में जरूर हमारे पदकों की संख्या 6 पहुँच गयी थी। इसमें विजय कुमार (शूटिंग) और सुशील कुमार (पहलवानी) को सिल्वर पदक, जबकि गगन नारंग (शूटिंग), योगेश्वर दत्त (पहलवानी), साइना नेहवाल (बैडमिंटन) एवं मेरी कॉम (मुक्केबाजी) को ब्रोंज़ मैडल मिला था। इसके लिए ओलंपिक में सबसे बड़ा भारतीय दल भी गया था, जिसमें 60 पुरुषों एवं 23 महिलाओं को मिलाकर कुल 83 लोग शामिल थे। हालाँकि, इस बार 2016 के रियो ओलिंपिक में इससे भी बड़ा दल भेज गया है, जिसमें कुल 119 एथलीट शामिल किये गए हैं।

हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खेलों के प्रति रुचि किसी से छिपी नहीं है और इस क्रम में उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर इस सम्बन्ध में जानकारियां ली हैं और खिलाड़ियों का हौसला भी बढ़ाया है। यहाँ तक कि बहुचर्चित 'नरसिंह यादव डोपिंग' प्रकरण में पीएम ने हस्तक्षेप करके सुनिश्चित किया कि किसी खिलाड़ी के साथ अन्याय न हो। बाद में डोपिंग रोधी संहिता की 10.4 धारा का लाभ उठाते हुए, डोपिंग आरोपों से बरी होने के बाद पहलवान नरसिंह यादव ओलंपिक जाने के लिए योग्य घोषित कर दिए गए। गौरतलब है कि राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) से नरसिंह को डोपिंग केस में क्लीन चिट मिल गयी और इस सम्बन्ध में नाडा का स्पष्ट कहना है कि इस खिलाड़ी के खिलाफ साजिश की गयी थी। यह मामला इसलिए भी तूल पकड़ गया था क्योंकि इसके पहले ओलिंपिक में जाने के लिए नरसिंह को हरियाणा के पहलवान सुशील कुमार के साथ कोर्ट का चक्कर भी लगाना पड़ा था. हालाँकि, अब यह एपिसोड गुजर गया है, पर रियो जाने के बाद भी नरसिंह से सम्बंधित राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के दस्तावेजों की समीक्षा विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) करेगी, उसके बाद ही नरसिंह रिंग में उतर सकेंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि नरसिंह यादव ओलंपिक में उतरेंगे और न केवल उतरेंगे, बल्कि रिंग में प्रतिद्वंद्वियों को पटखनी देने में सफल भी रहेंगे।

भारत की तरफ से 74 किग्रा वर्ग की अगुआई करते हुए रिंग में उतरने के बाद नरसिंह का पूरा ध्यान मेडल पाने पर ही होगा और भारतवासियों को भी इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी से काफी उम्मीदें हैं। ज्ञातव्य हो कि इस बार भारत के सबसे बड़े 119 सदस्यीय दल में देश को 'स्वर्णिम' सफलता दिलाने वाले कई खिलाड़ी शामिल हैं। 2008 में ओलिंपिक गोल्ड मेडल जीतने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा की नजर सिर्फ और सिर्फ गोल्ड पर ही है और इसके लिए उनकी माँ ने अपने घर पर ही रियो के सूटिंग जैसा 'प्रैक्टिस सेट' तैयार कराया था। वहीं पहली भारतीय महिला जिमनास्ट दीपा करमाकर ने तो रियो जाने से पहले अपने आप को दिल्ली के इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में कैद कर रखा था, जिससे बाहरी दुनिया से कट कर वह ओलंपिक मैडल के लिए अपना सर्वस्व झोंक कर तैयारी में जुटी हुई थीं। द्रोणाचार्य अवार्डी महाबली सतपाल के शिष्य एवं 2012 के लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान योगेश्वर दत्त भी पूरी ताकत झोक देंगे और वह अपने मैडल का कलर बदलकर अपने गुरु का नाम ऊँचा करना चाहेंगे। ऐसे ही, दुनिया की नंबर वन महिला बैडमिंटन खिलाड़ी एवं ओलंपिक पदक विजेता साइना नेहवाल और भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाडी पीपी सिंधु की नजर भी 'गोल्ड मेडल' पर ही टिकी रहने वाली है।

अन्य चर्चित खिलाड़ियों की बात करें तो भारतीय महिला निशानेबाज अपूर्वी चंदेला, जीतू राय, ओलंपिक पदक विजेता गगन नारंग, टेनिस सनसनी सानिया मिर्ज़ा जैसे बड़े नामों पर पूरे देश की निगाहें जमी रहेंगी। इसके साथ-साथ रियो ओलंपिक में उस खेल को अनदेखा नहीं किया जा सकता, जिसमें भारत का इतिहास सबसे ज्यादा गौरवशाली रहा है। जी हाँ, हॉकी ने 1-2 नहीं बल्कि इंडिया को 8 ओलंपिक गोल्ड मेडल दिए हैं। हालाँकि, ओलंपिक गाँव में भारतीय हॉकी टीम को मिलने वाली सुविधाओं में कमी की बात कुछ रिपोर्ट में कही गयी है, किन्तु उम्मीद है कि यह टीम भारत की झोली में एक मैडल तो डालेगी ही।

इसी कड़ी में, भारत की ओर से सातवीं बार लिएंडर पेस ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले रहे हैं और उन पर पदक जीतने का दबाव भी है. पेस पुरुषों के डबल्स में रोहन बोपन्ना के साथ भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। पदक जीतने की उम्मीद जिन खिलाड़ियों से है, उनमें विकास कृष्णन भी शामिल हैं, जो 75 भार वर्ग के मुक्केबाजी में रियो ओलंपिक में हिस्सा लेंगे। गौरतलब है कि विकास कृष्णन ने साल 2011 में अज़रबैजान में हुई विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था और इसलिए उनसे एक मैडल की उम्मीद करना बेमानी नहीं होगा। ऐसे ही, अज़रबैजान के बाकू में आईएसएसएफ विश्व कप प्रतियोगिता में 10 मीटर एयर पिस्टल में सिल्वर मेडल जीतकर जीतू राय की नज़र अब ओलंपिक पर है और वह भारत को मैडल देकर सरपराइज कर सकते हैं। इन चर्चित खिलाड़ियों के अतिरिक्त भारतीय दल में से और प्रतिभाएं भी चौंका सकती हैं और इसकी उम्मीद आम-ओ-खास भारतीयों ने लगा रखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय दल की रवानगी से पहले उनसे मुलाकात कर उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी हैं और तनावरहित प्रदर्शन करने को कहा है।

देखना दिलचस्प होगा कि 5 से 21 अगस्त के बीच ब्राज़ील के रियो डि जेनेरियो शहर में आयोजित होने वाले इस खेल-महाकुम्भ में भारतीय खिलाड़ी अपने प्रदर्शन से मैडल-संख्या को दहाई में पहुंचा पाते हैं अथवा नहीं। साथ ही साथ, उन खिलाड़ियों से अपने पदकों का रंग गहरा करने की उम्मीद भी है, जो पहले पदक जीत चुके हैं, तो सानिया मिर्ज़ा, लिएंडर पेस जैसे खिलाड़ियों का यह ओलंपिक आखिर हो सकता है, इसलिए वह एड़ी से चोटी तक का ज़ोर लगाने वाले हैं। तो दिल थाम कर बैठिये, क्योंकि खेल-महाकुम्भ शुरू हो चुका है।

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