विपक्ष के हालत यही रहे तो मोदी को हराना है मुश्किल

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संतोष पाठक । May 25 2019 12:36PM

वोटों की बात करे तो आज मोदी के सामने दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है। बीजेपी और मुख्य विरोधी दल कांग्रेस के बीच अंतर इतना ज्यादा बढ़ गया है कि कांग्रेस के लिए इसे पाटना संभव नहीं हो पाएगा। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को देशभर में लगभग 12 करोड़ मतदाताओं के वोट मिले थे।

विरोधी दलों की तमाम घेरेबंदी, देश के सबसे बड़े राज्य में सपा-बसपा जैसे धुर विरोधी के एक साथ आने, बिहार में महागठबंधन और दक्षिण भारत के राज्यों में बीजेपी को रोकने की जोरदार कोशिशों के बावजूद बीजेपी ने अकेले दम पर 2014 लोकसभा चुनाव के मुकाबले 21 सीटें ज्यादा हासिल करके यह दिखा दिया कि 2014 के चुनाव में मोदी लहर की वजह से सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ आने वाली बीजेपी का जलवा 2019 में न केवल बरकरार रहा बल्कि पहले के मुकाबले में और ज्यादा फैलता नजर आया। मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 3 सौ का आंकड़ा पार करते हुए 303 सीटों पर जीत हासिल की वहीं सहयोगी दलों के साथ मिलकर एनडीए का आंकड़ा 352 तक पहुंच गया है।

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वोटों की बात करे तो आज मोदी के सामने दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा है। बीजेपी और मुख्य विरोधी दल कांग्रेस के बीच अंतर इतना ज्यादा बढ़ गया है कि कांग्रेस के लिए इसे पाटना संभव नहीं हो पाएगा। 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को देशभर में लगभग 12 करोड़ मतदाताओं के वोट मिले थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में यह घटकर 10.69 करोड़ पहुंच गया। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस ने बढ़त दर्ज करते हुए 12 करोड़ के लगभग (11.9 करोड़) वोट हासिल किये है। लेकिन इस बीच बीजेपी ने बहुत तेजी से विस्तार किया। 

2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कांग्रेस से 4 करोड़ कम यानि लगभग 8 करोड़ वोट हासिल हुए थे जिसे बीजेपी ने 2014 में दोगुणे से भी ज्यादा 17.16 करोड़ तक पहुंचा दिया। 2019 में भी बीजेपी के समर्थक मतदाताओं की संख्या तेजी से बढ़ी और इस बार बीजेपी को 22.6 करोड़ मतदाताओं के वोट हासिल हुए हैं। जरा तुलना कीजिए कांग्रेस को 11.9 करोड़ वोटरों ने वोट किया तो बीजेपी को 22.6 करोड़ वोटरों का वोट मिला। 

जवाहर लाल नेहरु और इंदिरा गांधी के बाद नरेंद्र मोदी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो पूर्ण बहुमत के साथ दोबारा सरकार बनाने जा रहे हैं। लगभग 48 वर्षों बाद भारत की जनता ने लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ किसी एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट किया है। भारत की जनता के इस जनादेश को इस मायने में भी समझा जा सकता है कि 2019 के नरेंद्र मोदी को न तो आज़ादी के आंदोलन की विरासत का सहारा था जैसा कि जवाहर लाल नेहरू को मिला करता था और न ही उनके पास इंदिरा गांधी की तरह पिता नेहरू की विरासत थी। इस मायने में मोदी की जीत एक इतिहास बनाती हुई नजर आती है। 

लोकसभा चुनाव परिणाम ने यह भी साबित किया कि विरोधी देश की जनता के चुनावी मूड को समझ ही नहीं पा रहे थे। वो जितना ज्यादा मोदी हटाओ के नारे लगा रही थी, देश की जनता उससे ज्यादा तेजी से अपने आपको मोदी के साथ जोड़ती जा रही थी। विरोधी दल गठबंधन और जातीय अंक गणित के सहारे मोदी को हराने का मंसूबा पाले बैठी थी तो वहीं अमित शाह इस गोलबंदी को तोड़ने के लिए 3 साल पहले ही राज्यों में 50 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित कर चुके थे। नतीजों ने यह साबित कर दिया कि विरोधी दलों की जातीय गोलबंदी फेल हो गई और अमित शाह की रणनीति कामयाब हो गई क्योंकि देश के लगभग 17 राज्यों में बीजेपी ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किया है। 

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2014 के लोकसभा चुनाव के बाद ही बीजेपी ने पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल जैसे राज्यों को लेकर खास रणनीति बनानी शुरू कर दी थी। दीदी के गढ़ में तो बीजेपी को दमन और हिंसा का भी सामना करना पड़ा। रैली और सार्वजनिक सभाओं की अनुमति को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा। लेकिन अमित शाह अपनी रणनीति को लेकर अडिग रहे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रणनीतिकार शाह की रणनीति को अमलीजामा पहनाने के लिए पश्चिम बंगाल में 17 चुनावी रैली की। बंगाल में मोदी मैजिक चल गया और बीजेपी को 40.3 फीसदी वोट के साथ 18 सीटों पर जीत हासिल हुई। बात अगर ओडिशा की करे तो वहां बीजेपी को 38 फीसदी से ज्यादा वोट के साथ 8 सीटों पर विजय हासिल हुई। केरल का किला अभी भी बीजेपी के लिए अभेद्य बना हुआ है। केरल में बीजेपी को 13 फीसदी के लगभग वोट तो हासिल हुए लेकिन उसका खाता नहीं खुल पाया। 

कर्नाटक में भी मोदी का जादू सर चढ़ कर बोलता नजर आया। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन का लगभग सफाया करते हुए बीजेपी ने 51.4 फीसदी वोट शेयर के साथ 25 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। मायावती-अखिलेश के एक साथ आने की वजह से उत्तर प्रदेश को बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती माना जा रहा था लेकिन मोदी की 29 रैलियों और रोड शो के बाद बने माहौल के बीच लगभग 50 फीसदी वोट के दम पर राज्य में सहयोगी अपना दल के साथ 64 सीटों पर जीत हासिल कर विरोधियों की बोलती बंद कर दी। बिहार का परिणाम तो और भी ज्यादा चौंकाने वाली आया है। यहां सहयोगी दलों के साथ मिलकर 53 फीसदी वोट के साथ बीजेपी ने 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की है। लालू यादव की पार्टी का तो खाता भी नहीं खुल पाया है। 

बीजेपी ने गुजरात में 63 फीसदी वोटों के साथ सभी 26 लोकसभा सीटों पर, दिल्ली में 57 फीसदी वोट के साथ सभी 7 लोकसभा सीटों पर, हरियाणा में 58 फीसदी वोट के साथ सभी 10 लोकसभा सीटों पर और हिमाचल प्रदेश में 70 फीसदी वोट के साथ सभी 4 लोकसभा सीटों के साथ-साथ राजस्थान में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे को हराते हुए 60 फीसदी वोट लेकर सहयोगी दल के साथ मिलकर सभी 25 सीटों पर जीत हासिल की है। 

देशभर में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केन्द्रीय मंत्री जनरल वी.के.सिंह समेत बीजेपी के लगभग 15 उम्मीदवारों ने 5 लाख से ज्यादा अंतर से जीत हासिल की है। इसलिए तो यह कहा जा रहा है कि मोदी को हराना मुश्किल है...

- संतोष पाठक

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