मोदी सरकार ने दी भ्रष्टाचार मुक्त कार्यसंस्कृति
मोदी सरकार ने देश में एक नयी चुस्त−दुरूस्त, पारदर्शी, जवाबदेह और भ्रष्टाचार मुक्त कार्यसंस्कृति को जन्म दिया है, इस तथ्य से चाहकर भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। पिछले साठ वर्षों की भ्रष्ट कार्यसंस्कृति ने देश के विकास को अवरूद्ध किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को अपने संबोधन में केंद्र सरकार की ढाई साल की उपलब्धियां गिनाने के साथ, नीति, निर्णय और नीयत की बात भी की। प्रधानमंत्री के भाषण का पक्ष−विपक्ष ने अपने राजनीतिक लाभ−हानि के हिसाब से विशलेषण किया। इन सबके बीच एक अहम बात जिस पर चर्चा न के बराबर हुई वो थी, सरकार की काम करने की नीयत की। देखा जाए तो नीति, नीयत और निर्णय यह तीन गुण किसी भी सफल लोकतंत्र व राष्ट्र के उत्तरोत्तर विकास एवं प्रगति के लिये आवश्यक होते हैं। मोदी सरकार की नीतियों में जन कल्याण, जन सम्मान, राष्ट्र गौरव की नीयत और निर्णय स्पष्ट दिखाई देते हैं। देश के सम्मान, समृद्धि और सुरक्षा के संकल्प को हकीकत में बदलने का काम मोदी सरकार कर रही है।
मोदी सरकार की नीयत साफ है कि वो देश को प्रगति के नये पथ पर ले जाना चाहती है। वो पूर्व में जारी कल्याणकारी नीतियों और योजनाओं को भी आगे बढ़ाने में दिलचस्पी ले रही है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से देश पर सर्वाधिक समय शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस और उसके नेता मोदी सरकार की नेक नीयत को पचा नहीं पा रहे हैं। ढाई साल के कार्यकाल में किसी मंत्री पर भ्रष्टाचार का दाग नहीं लगा। सरकार ने वर्षों से चली आ रही लालफीताशाही और भ्रष्टाचार में लिप्त कार्य संस्कृति को बदलने का काम किया। सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और दूरदर्शिता के साथ समयबद्धता दिखने लगी है। देशकाल की आवश्यकताओं और भविष्य को ध्यान में रखकर योजनाओं का निर्माण व संचालन हो रहा है। अब ये सवाल खालिस तौर पर नीयत का ही तो है। जिस देश में भ्रष्टाचार कार्यसंस्कृति का अभिन्न अंग बन चुका हो वहां कोई सरकार बिना भ्रष्टाचार के ढाई वर्ष से सिर उठाकर और दम ठोंककर दिन रात कार्य करने में जुटी हो, तो विपक्ष भला उसे कैसे सहन कर सकता है।
यूपीए सरकार के विगत दस वर्ष के शासन में देश में भ्रष्टाचार के सारे रिकार्ड टूटे। आये दिन किसी न किसी घोटाले या भ्रष्टाचार का मामला उजागर होना आम जीवनचर्या का अंग बन गया था। उस शासनकाल में आम देशवासी के हिस्से और देश के विकास पर खर्च होने वाला करोड़ों रूपया भ्रष्टाचार का दानव निगल गया। भाजपा ने लोकसभा चुनाव में यूपीए शासन के भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया। शासन में आने के बाद मोदी सरकार का पूरा ध्यान सुशासन, पारदर्शी व भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था पर है। पिछले ढाई वर्षों में सरकार ने दोगुनी गति से विकास कार्यों को आगे बढ़ाने का काम किया है। भले ही विपक्ष मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करे, लेकिन जब सवाल मोदी सरकार की नीयत को आता है तो विपक्ष के मुंह पर ताला लग जाता है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि जो भी राजनीतिक दल सत्ता में आता है, वो अपने दल की विचारधारा को आगे बढ़ाते हुये देश निर्माण का संकल्प लेता है। मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की अपनी एक विचारधारा है। उस विचारधारा को देशवासियों ने लोकसभा चुनाव के समय पूर्ण बहुमत से विजयी बनाकर उन्हें देश की सत्ता सौंपी है। ऐसे में अगर मोदी देश व देशवासियों के हितों को ध्यान में रखकर कोई नीति या योजना बनाते हैं तो इसमें विपक्ष का नाराज होना, नैतिक तौर पर ठीक नहीं है। आखिरकार कांग्रेस ने भी अपने छह दशकों के शासन में अपने नेताओं के नाम से योजनाएं चलाईं, उनका महिमा मंडन किया और अपनी विचारधारा और राजनीतिक पक्ष को सुदृढ़ करने की नीयत से नीतियों व योजनाओं को खाका खींचा। कांग्रेस भी अपने हिसाब से देश निर्माण और आम नागरिक का कल्याण कर रही थी। अब अगर यही काम भाजपानीत एनडीए सरकार मोदी के नेतृत्व में कर रही है तो कौन−सा मुसीबतों का पहाड़ टूटा जा रहा है।
मोदी सरकार ने देश में एक नयी चुस्त−दुरूस्त, पारदर्शी, जवाबदेह और भ्रष्टाचार मुक्त कार्यसंस्कृति को जन्म दिया है, इस तथ्य से चाहकर भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता। पिछले साठ वर्षों की भ्रष्ट कार्यसंस्कृति ने देश के विकास को अवरूद्ध किया। स्वतंत्रता के बाद से अब तक देश में हुये भ्रष्टाचार और घोटालों का हिसाब जोड़ा जाए तो देश में विकास की गंगा बहायी जा सकती थी। दूषित राजनीतिक व्यवस्था, कमजोर विपक्ष और क्षेत्रीय दलों की बढ़ती ताकत ने पूरी व्यवस्था को भ्रष्टाचार के अंधेरे कुएं में धकेलने का काम किया। राजनीतिक दल जनता के सेवक बनने की बजाय स्वामी बन बैठे। मोदी ने इस सड़ी−गली और भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने का बीड़ा उठाया है। प्रधानमंत्री का स्वयं को प्रधानसेवक कहना विपक्ष के लिये जुमलेबाजी का विषय हो सकता है। लेकिन यह भी सच है कि इससे पहले किसी भी प्रधानमंत्री ने ऐसी जुमलेबाजी करने का साहस भी नहीं जुटाया। मोदी ने देश के आम आदमी को ये एहसास तो करा दिया कि प्रधानमंत्री सबसे ताकतवर व्यक्ति नहीं बल्कि देश का सबसे शक्तिशाली सेवक होता है। लोकतंत्र में जब लोक विश्वास, आत्म सम्मान और ऊर्जा से भर जाए तो लोकतंत्र की सच्ची संकल्पना साकार लेने लगती है। मोदी ने लोकतंत्र में लोक को स्वामी होने का एहसास बखूबी कराया है।
मोदी ने देशवासियों का आत्मसम्मान व राष्ट्र का गौरव बढ़ाने का काम किया है। दुनिया की श्रेष्ठ प्रतिभाओं, साधनों और संसाधनों के बावजूद आम भारतवासी आत्मग्लानि में डूबा था। आम देशवासी को ऐसा लगता था कि उनसे कमजोर, दीन−हीन, गरीब, अशिक्षित और पिछड़ा कोई दूसरा विश्व में नहीं है। मोदी ने शपथ ग्रहण करने के बाद से लगातार देशवासियों का सम्मान बढ़ाने के कई कार्य व निर्णय लिये हैं। विदेश यात्राओं से विश्व के छोटे−बड़े और शक्तिशाली राष्ट्रों ने भारत की शक्ति को पहचाना। मोदी ने दुनिया के शक्तिशाली देशों की कतार में भारत को खड़ा करने का ऐतिहासिक व अभूतपूर्व कार्य किया। मोदी ने विश्व के तमाम देशों में देशवासियों की भावनाओं, आत्मसम्मान, इरादों और संकल्पों का संदेश पहुंचाकर देशवासियों को जता दिया कि अब आत्मग्लानि में डूबे रहने के दिन बीत चुके हैं।
मोदी सरकार ने गरीब की रसोई में गैस से लेकर एलईडी बल्ब पहुंचाने जैसे कदम उठाकर देश के आम आदमी का आत्सम्मान बढ़ाने का काम किया है। पिछले ढाई वर्षों में रूकी विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने के साथ, देशकाल की आवश्यकताओं के मद्देनजर नयी योजनाओं व नीतियों का निर्माण निरंतर जारी है। विदेश से व्यापार नीति तक, सीमा रक्षा से आंतरिक सुरक्षा तक सरकार नयी सोच व देशहित को सर्वोपरि रखकर आगे कदम बढ़ा रही है। किसान, गरीब, दलित, अल्पसंख्यक, महिलाओं का कल्याण सरकार के एजेंडे में प्रथम पायदान पर है। वहीं मेक इन इंडिया, कौशल विकास, स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री जन धन योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, जन सुरक्षा आदि तमाम ऐसी योजनाएं हैं जो विकास के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन लाने के साथ उसका आत्मसम्मान बढ़ाने का काम कर रही हैं।
- गौतम मोरारका
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