RSS और VHP इस तरह मिल कर खड़ा कर रहे हैं राम मंदिर आंदोलन

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संजय सक्सेना । Nov 16 2018 1:23PM

आम चुनाव से कुछ माह पूर्व एक बार फिर भगवान राम का भव्य मंदिर बनाए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य मंदिर निर्माण के लिये आरएसएस के बाद विश्व हिन्दू परिषद भी मैदान में कूद पड़ी है।

आम चुनाव से कुछ माह पूर्व एक बार फिर भगवान राम का भव्य मंदिर बनाए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य मंदिर निर्माण के लिये आरएसएस के बाद विश्व हिन्दू परिषद भी मैदान में कूद पड़ी है। राम मंदिर निर्माण को लेकर संघ ने मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए 25 नवंबर को अयोध्या, बेंगलुरू और नागपुर में जनाग्रह रैली बुलाई है तो दूसरी ओर विश्व हिन्दू परिषद ने भी 09 दिसंबर को दिल्ली में अखिल भारतीय संत समिति द्वारा बुलाई गई रैली को सफल बनाने के लिए मोर्चा खोल दिया है। संसद के शीतकालीन सत्र से ठीक पहले रामलीला मैदान में बुलाई गई रैली में करीब आठ लाख लोगों के पहुंचने का दावा किया जा रहा है। रैली में बड़ी संख्या में साधु−संत भी शामिल होंगे। इसके अलावा विश्व हिंदू परिषद (विहिप) अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सभी दलों के सांसदों से मुलाकात करके उनका भी मन टटोलेगी। इसके लिए वीएचपी 25 नवंबर से 9 दिसंबर तक सभी सांसदों से मुलाकात कर राम मंदिर के निर्माण को लेकर कानून बनाने पर उनका समर्थन मांगेगी। विश्व हिंदू परिषद चाहती है कि आगामी शीतकालीन सत्र में इस राम मंदिर निर्माण के लिये कानून पास किया जाए। संभवतः 11 दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होगा। सूत्र बताते हैं कि विहिप की रैली में आरएसएस के सभी बड़े नेताओं के भाग लेने की उम्मीद है।

हिन्दूवादी संगठन जहां भगवान राम का मंदिर बनाए जाने के लिये मुहिम चला रहे हैं तो मुस्लिम पक्षकार भी विरोध का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने आरएसएस की 25 नवंबर को अयोध्या में होने वाली जनाग्रह रैली के मद्देनजर मुख्यमंत्री से सुरक्षा की मांग की है। अंसारी कह रहे हैं कि विहिप नेता अयोध्या में 1992 जैसे हालात पैदा कर रहे हैं, जिससे पूरी कौम दहशत में है। अंसारी यहां तक कहते हैं कि अगर उन्हें सुरक्षा नहीं मिली तो वह पलायन कर जायेंगे, लेकिन इसके पीछे की सियासत को समझना मुश्किल नहीं है।

अखिल भारतीय संत समिति की तरफ से आयोजित इस रैली के जरिए केंद्र सरकार से अध्यादेश लाकर राम मंदिर निर्माण के लिए रास्ता बनाने की मांग की जाएगी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि−बाबरी मस्जिद जमीन विवाद से जुड़े केस की सुनवाई अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते के लिए बढ़ा दी थी। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले को उचित बेंच के हवाले करेगी और वही बेंच इस केस की तारीख पर फैसला लेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद से ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए संसद से कानून लाने की मांग तेज होती जा रही है।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी 25 नवंबर को अयोध्या, नागपुर और बेंगलुरु में जनाग्रह रैली निकालने का फैसला किया है। इस रैली का मकसद अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए जनता का समर्थन जुटाना है। आरएसएस ने रैली निकालने का फैसला तब किया जब सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद−राम जन्मभूमि जमीन विवाद पर सुनवाई को जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया। आरएसएस को रैली में पांच से 10 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। इस रैली में शामिल होने वालों से राम मंदिर निर्माण को लेकर राय मांगी जाएगी।

बता दें कि राम जन्मभूमि−बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं लगाई गई थीं। तब से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ विवादित जमीन को निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड और राम लला के बीच बराबर बांटने का फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई को जनवरी तक के लिए टाल दिया गया है।

-संजय सक्सेना

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