टीकाकरण को लेकर देश में हावी राजनीति, क्या संकट में यह शोभा देता है ?

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अंकित सिंह । May 29 2021 3:46PM

दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में टीकों की कमी की वजह से टीकाकरण अभियान रुका पड़ा है। इन सबके बीच वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि इसे तैयार करने और उपलब्ध कराने में 3 से 4 महीने का वक्त लगता है। कंपनियों ने कहा कि टीकों की मांग अचानक बढ़ गई है। ऐसे में उस हिसाब से उत्पादन करना फिलहाल बड़ी चुनौती है।

भारत में कोरोना वायरस का कहर अब भी जारी है। विशेषज्ञों की माने तो वर्तमान में कोरोना वायरस के कहर से बचने के लिए टीकाकरण बेहद ही जरूरी है। देश में टीकाकरण का कार्य लगातार किया जा रहा है। लेकिन टीकाकरण के बीच राजनीति भी जमकर हो रही है। टीकाकरण अभियान को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साधा रहा है। कई राज्यों का आरोप है कि केंद्र सरकार पर्याप्त मात्रा में टीकों की आपूर्ति नहीं कर रहा है। दिल्ली, झारखंड, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में टीकों की कमी की वजह से टीकाकरण अभियान रुका पड़ा है। इन सबके बीच वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि इसे तैयार करने और उपलब्ध कराने में 3 से 4 महीने का वक्त लगता है। कंपनियों ने कहा कि टीकों की मांग अचानक बढ़ गई है। ऐसे में उस हिसाब से उत्पादन करना फिलहाल बड़ी चुनौती है।

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केंद्र सरकार की ओर से टीकाकरण को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। विपक्ष के कई नेता लगातार टीकाकरण को राजनीतिक नजरिए से पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि फिलहाल देश में टीकाकरण कोरोना वायरस से बचने के लिए नहीं बल्कि राजनीति करने का एक विषय बन गया है। इस बात से भी राज्य भली-भांति अवगत हैं कि टीकों को मिलने की प्रक्रिया क्या है, बावजूद इसके वह भी राजनीति को हवा दे रहे हैं। इस बात को लेकर भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माता कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए निजी अस्पतालों में टीकों की उपलब्धता करा रही है परंतु सरकारी केंद्रों पर यह उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। फिर मामला चाहे जो भी हो लेकिन इस महामारी के समय इस तरह की राजनीति जायज नहीं है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच वार- पलटवार ऐसी संकट में शोभा नहीं देता है। इतना ही नहीं टीकों और उसकी आपूर्ति को लेकर भी अफवाह फैलाई जा रहे है। अफवाहों के जरिए केंद्र सरकार पर भी आरोप लगाए जा रहे है। प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में भी हमने इसी बात को लेकर चर्चा की। चर्चा में शामिल रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे।

कोवैक्सीन का उत्पादन जुलाई-अगस्त में बढ़कर 6-7 करोड़ खुराक प्रति महीने होगा: स्वास्थ्य मंत्रालय

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि स्वदेश विकसित कोरोना वायरस टीका कोवैक्सीन का मासिक उत्पादन जुलाई-अगस्त में बढ़कर 6-7 करोड़ खुराक हो जाएगा, जो अप्रैल में एक करोड़ खुराक था। मंत्रालय ने कहा कि भारत बायोटेक द्वारा निर्मित टीके की उत्पादन क्षमता सितंबर तक लगभग 10 करोड़ खुराक प्रति महीने तक पहुंचने की उम्मीद है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘‘भारत बायोटेक के टीके की बेहिसाब खुराक को लेकर मीडिया में कुछ अपुष्ट खबरें आयी हैं। ये खबरें गलत हैं और इनमें पूरी जानकारी नहीं है। भारत बायोटेक के पास 6 करोड़ खुराक होने का दावा मामले की रिपोर्टिंग कर रहे कुछ वर्गों में समझ की त्रुटि है।’’ कोवैक्सीन की उत्पादन क्षमता मई-जून तक दोगुनी हो जाएगी और फिर जुलाई-अगस्त 2021 तक लगभग छह-सात गुना बढ़ जाएगी, यानी अप्रैल में 1 करोड़ टीके की खुराक से उत्पादन बढ़कर जुलाई-अगस्त में 6-7 करोड़ खुराक प्रति माह हो जाएगा। बयान में कहा गया, ‘‘सितंबर 2021 तक इसका प्रति माह उत्पादन लगभग 10 करोड़ खुराक तक पहुंचने की उम्मीद है।’’ 28 मई की सुबह संकलित आंकड़े के अनुसार, भारत बायोटेक ने भारत सरकार को टीके की 2,76,66,860 खुराक की आपूर्ति की है। इनमें से 2,20,89,880 खुराक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इस्तेमाल की गई हैं जिनमें बेकार हो गईं खुराक शामिल हैं। 

अबतक देश में कोविड-19 टीके की 20.86 करोड़ खुराक दी गई

भारत में अब तक कोविड-19 से बचाव के लिए टीके की 20.86 करोड़ खुराक दी जा चुकी है। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को दी। मंत्रालय ने बताया कि शुक्रवार को 18 से 44 आयुवर्ग के 13,36,309 लाभर्थियों को टीके की पहली खुराक जबकि इसी आयुवर्ग के 275 लोगों को दूसरी खुराक दी गई। मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक टीकाकरण के तीसरे चरण में 18 से 44 साल आयुवर्ग के लोगों का टीकाकरण शुरू होने के बाद से अबतक इस आयुवर्ग के 1,66,47,122 लोगों का टीकाकरण हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, बिहार, गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं जिन्होंने 18 से 44 आयुवर्ग में 10 लाख से अधिक लाभार्थियों का टीकाकरण कर दिया है। मंत्रालय ने बताया कि शुक्रवार शाम सात बजे तक प्राप्त वैकल्पिक आंकड़ों के मुताबिक देश में अबतक टीके की 20,86,12,834 खुराक दी जा चुकी है। आंकड़ों के मुताबिक इनमें 98,44,619 स्वास्थ्य कर्मी और 1,54,41,200 अग्रिम मोर्चे पर कार्यरत कार्यकर्ता हैं जिन्हें पहली खुराक दी गई है जबकि 67,58,839 स्वास्थ्य कर्मी और 84,47,103 अग्रिम मोर्चे पर कार्यरत कर्मी हैं जिन्हें टीके की दोनों खुराक दी जा चुकी है। वहीं, 18 से 44 वर्ष आयुवर्ग में 1,66,47,122 लाभार्थियों को पहली और 275 लाभार्थियों को दूसरी खुराक दी जा चुकी है। 

भारत बायोटेक, एसआईआई को फायदा पहुंचाने के लिये टीकों की कृत्रिम कमी पैदा कर रहा है केंद्र : आप

आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि भारत बायोटेक एवं सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को फायदा पहुंचाने के लिये केंद्र सरकार कोविड—19 टीकों का कृत्रिम अभाव पैदा कर रही है, वहीं दिल्ली भाजपा ने इस आरोप को बेबुनियाद करार दिया है। आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता अतिशी ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा कि सरकार का टीकाकरण अभियान स्कूलों में रूक गया है और यही स्थिति पूरे देश में है जबकि निजी अस्पतालों में टीकाकरण अलग अलग दरों पर जारी है। भारत में अभी मुख्य रूप से देश में बने दो टीकों का उपयोग हो रहा है। इनमें से एक कोविशील्ड है और दूसरा कोवैक्सीन है, जिनका निर्माण क्रमश: सीरम इंस्टिट्यूट आफ इंडिया और भारत बायोटेक कर रही हैं। इसके अलावा छोटे स्तर पर रूसी टीके स्पूतनिक का भी इस्तेमाल हो रहा है। आतिशी ने आरोप लगाया, यह एक बड़ा रैकेट है। एक सरकारी केंद्र जहां युवाओं का टीकाकरण मुफ्त में किया जा रहा है वहां टीकों की कमी हो जाती है जबकि (निजी) अस्पतालों अधिकतम कीमतों पर टीकाकरण जारी है। 

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आप प्रवक्ता ने और अधिक टीकों को आपातकालीन मंजूरी नहीं देने के लिये केंद्र पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, पूरी दुनिया में कई टीकों को मंजूरी मिली है। फाइजर के टीके को 85 देशों में मंजूरी मिली है। माडर्ना एवं जानसन एंड जानसन के टीकों को कम्रश: 46 एवं 41 देशों में मंजूरी मिली है। आप नेता ने कहा, इन तीन टीकों को आपताकालीन उपयोग के लिये अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। जब विश्व स्वास्थ्य संगठन इन टीकों की मंजूरी दे सकती है तो भारत क्यों नहीं दे सकता है। उन्होंने आरोप लगाया, इससे यह स्पष्ट हो जाता है भारत बायोटेक एवं सीरम इंस्टिट्यूट आफ इंडिया को फायदा पहुंचाने के लिये केंद्र सरकार ने यह कृत्रिम अभाव पैदा किया है। भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा कि आतिशी का आरोप बेबुनियाद एवं आधारहीन हैं क्योंकि सरकार ने कमी पैदा नहीं की है। उन्होंने कहा कि आतिशी को पता होना चाहिये कि सीरम इंस्टिट्यूट एवं भारत बायोटेक को इस कमी से कोई फायदा नहीं है, क्योंकि कमी का मतलब विदेशी निर्माताओं का प्रवेश है। कपूर ने दावा किया कि कमी पैदा करना और आम लोगों को परेशानी में डालना दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की विशेषता है।

राहुल की भाषा, कोविड-19 को लेकर भय पैदा करने की कोशिश दर्शाती है कि टूलकिट के पीछे कांग्रेस: भाजपा

टीकाकरण अभियान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना के लिए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए भाजपा ने कहा कि विपक्षी नेता ने जिस प्रकार की का इस्तेमाल किया और लोगों के मन में ‘‘भय’’ पैदा करने की कोशिश की, उससे स्पष्ट हो गया कि ‘‘टूलकिट’’ भी उनकी पार्टी की ओर से ही निर्मित की गई थी। केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश जावड़ेकर ने यहां संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के हालिया बयानों का उल्लेख करते हुए दावा किया कि देश में टीकाकरण इस साल दिसंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिसंबर तक भारत में 216करोड़ नए टीकों के उत्पादन और कैसे 108 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को यह लगाया जाएगा, उसकी रूपरेखा तैयार की है। जावड़ेकर ने कहा कि प्रधानमंत्री देश की जनता के साथ मिलकर कोरोना महामारी का सामना कर रहे हैं और ऐसे समय में राहुल गांधी, सरकार द्वारा किये गए प्रयासों के लिए ‘‘नौटंकी’’ शब्द का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह देश और देश की जनता का अपमान है। ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हम नहीं करेंगे क्योंकि उनकी नौटंकी जनता ने कब की बंद कर दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आपका बयान देखकर यह बात पक्की हो गई कि... अब सबूत की जरूरत नहीं... टूलकिट आपके द्वारा ही निर्मित है... यह बात साफ हो गई है, क्योंकि जिस तरह की भाषा, जिस तरह का तर्क और जिस प्रकार आपने भ्रम और भय फैलाने की लोगों में कोशिश की, वह उसी रणनीति का हिस्सा है।’’ ज्ञात हो कि कथित ‘‘टूलकिट’’ को कांग्रेस के षड्यंत्र का हिस्सा बताते हुए भाजपा ने पिछले दिनों राहुल गांधी और विपक्षी दल पर निशाना साधा था। हालांकि, कांग्रेस ने इन आरोपों को भाजपा की साजिश का हिस्सा बताते हुए पुलिस में इस मामले की शिकायत कर जांच की मांग की थी। राहुल गांधी के धीमे टीकाकरण अभियान के आरोपों को खारिज करते हुए जावड़ेकर ने कहा कि भारत ने अब तक 20 करोड़ से अधिक लोगों का कोरोना रोधी टीकों की खुराक दे दी है। 

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उन्होंने कहा कि भारत सबसे तेज और सबसे ज्यादा टीकाकरण करने वाला आज दुनिया का दूसरा देश है। भाजपा नेता ने कहा कि टीकाकरण को लेकर केंद्र सरकार पर आक्षेप लगाने के बजाय राहुल गांधी को अपना ध्यान कांग्रेस शासित राज्यों पर देना चाहिए क्योंकि टीका उत्पादकों से वह अपने हिस्से का टीका भी नहीं ले पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का पूरा जोर टीकाकरण पर रहा ओर केंद्र सरकार भी वही कहती रही है और करती आ रही है। जावड़ेकर ने कहा कि इसी के तहत भारत ने दो टीकों का उत्पादन किया। इनमें कोवैक्सीन का उत्पादन घरेलू स्तर पर हुआ। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आपको टीकों का महत्त्व आज समझ आ रहा है तो जब कोवैक्सीन आयी थी तब उसपर आपने प्रश्नचिन्ह क्यों लगाया था। लोगों के मन में भ्रम ना उत्पन्न करें। प्रधानमंत्री जी ने खुद कोवैक्सीन ली, तब भी आपकी नौटंकी बंद नहीं हुई।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को राजस्थान पर ध्यान देना चाहिये, जहां आये दिन बलात्कार हो रहे हैं, लेकिन किसी को सजा तक नहीं हो रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सांसद रंजीता कोली की गाड़ी पर हमला किया गया क्योंकि वह रोज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाकर हालातों का जायजा लेती थीं। घुमंतू जातियों की झोपड़ियां क्यों गिराई, इस पर ध्यान दीजिये।’’ इससे पहले, राहुल गांधी ने देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के लिए प्रधानमंत्री को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि मोदी ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और जो ‘नौटंकी’ की, उस कारण ये हालात पैदा हुए। उन्होंने आगाह करते हुए यह भी कहा कि अगर मौजूदा गति से टीकाकरण हुआ तो आगे तीसरी, चौथी और पांचवीं लहर भी आएगी क्योंकि वायरस का स्वरूप बदलता जाएगा। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को कोरोना से होने वाली मौतों को लेकर ‘झूठ बोलने’ की जगह देश को सच्चाई बतानी चाहिए तथा विपक्ष के सुझावों को सुनकर और पूरे देश को साथ लेकर कोरोना वायरस से निपटने की रणनीति बनानी चाहिए। कांग्रेस नेता ने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार आज तक कोरोना वायरस एवं इसके स्वरूपों को नहीं समझ पाए तथा पिछले साल फरवरी में ही अगर कांग्रेस की बातों को सुन लिया होता, तो लाखों लोगों की जान नहीं जाती।

कोरोना की दूसरी लहर के लिए प्रधानमंत्री जिम्मेदार, टीकाकरण की गति यही रही तो और लहरें आएंगी: राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि मोदी ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई और जो ‘नौटंकी’ की, उस कारण ये हालात पैदा हुए। उन्होंने आगाह करते हुए यह भी कहा कि अगर मौजूदा गति से टीकाकरण हुआ तो आगे तीसरी, चौथी और पांचवीं लहर भी आएगी क्योंकि वायरस का स्वरूप बदलता जाएगा। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को कोरोना से होने वाली मौतों को लेकर ‘झूठ बोलने’ की बजाय देश को सच्चाई बतानी चाहिए तथा विपक्ष के सुझावों को सुनकर और पूरे देश को साथ लेकर कोरोना वायरस से निपटने की रणनीति बनानी चाहिए। कांग्रेस नेता ने यह दावा भी किया कि प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार आज तक कोरोना वायरस एवं इसके स्वरूपों को नहीं समझ पाए तथा पिछले साल फरवरी में ही अगर कांग्रेस की बातों को सुन लिया होता तो लाखों लोगों की जान नहीं जाती। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने समय से पहले यह घोषित कर दिया कि कोरोना को हरा दिया गया है। सच्चाई यह है कि सरकार और प्रधानमंत्री को कोरोना आज तक समझ नहीं आया है।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘इस वायरस को जितना समय आप देंगे, जितनी जगह देंगे यह उतना ही खतरनाक बनता जाएगा। मैंने पिछले साल कहा था कि कोरोना को समय और जगह मत दीजिए।’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘कोरोना को रोकने के तीन-चार तरीके हैं। इनमें से एक तरीका टीकाकरण है। लॉकडाउन एक हथियार है, लेकिन यह अस्थायी समाधान है। सामाजिक दूरी रखना और मास्क पहनना भी अस्थायी समाधान है। टीका स्थायी समाधान है। अगर आप तेजी से टीका नहीं लगाते हैं तो वायरस बढ़ता जाएगा।’’ उन्होंने कहा , ‘‘कुछ ही समय पहले मैंने देखा कि विदेश मंत्री (एस जयशंकर) ने घोषणा की है कि हम ‘टीका कूटनीति’ कर रहे हैं और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। आज स्थिति क्या है? देश के सिर्फ तीन फीसदी लोगों को टीका लगाया गया। यानी 97 फीसदी लोगों को कोरोना पकड़ सकता है। इस सरकार ने कोरोना के लिए दरवाजा खुला छोड़ रखा है।’’ 

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राहुल गांधी ने कहा, ‘‘अमेरिका ने अपनी आधी आबादी को टीका लगा दिया। ब्राजील जैसे देश ने आठ-नौ फीसदी लोगों को टीका लगा दिया। हम टीका बनाते हैं, लेकिन हमारे यहां सिर्फ तीन फीसदी लोगों को टीका लगा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर इसी गति से टीकाकरण होता गया तो मई 2024 तक ही हिंदुस्तान की पूरी जनता का टीकाकरण हो पाएगा। अगर ऐसे ही सब चलता रहता तो तीसरी नहीं, बल्कि चौथी और पांचवीं लहर भी आ जाएगी।’’ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ‘‘दूसरी लहर प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है। प्रधानमंत्री ने जो नौटंकी की, अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की, उस कारण दूसरी लहर है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट तरीके से बता रहा हूं कि कोरोना से हमारी जो मृत्यु दर है, वह सरासर झूठ है, सरकार इस झूठ को फैला रही है। यह झूठ फ़ैलाने का समय नहीं है। अगर हमें कोरोना से लड़ना है तो सच्चाई समझनी पड़ेगी और सरकार को सच्चाई बतानी चाहिए।’’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है। यह हिंदुस्तान के भविष्य का मामला है, हमारे लोगों की जान बचाने का मामला है। सरकार को समझना चाहिए कि विपक्ष उनका दुश्मन नहीं है; विपक्ष उनको संकेत दे रहा है, विपक्ष उन्हें रास्ता दिखा रहा है।’’ उन्होंने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए केंद्र को पूरे देश को साथ लेकर रणनीति बनानी होगी। राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया, ‘‘मोदी जी और भूपेश बघेल जी (छत्तीसगढ़ के मुख्यंत्री) साथ होंगे तो कोरोना से निपटा जा सकेगा। मोदी जी और ममता बनर्जी जी (पश्चिम बंगाल) साथ होंगे तो कोरोना से लड़ाई लड़ी जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को दम दिखाना चाहिए और एक ‘नेता’ की तरह आगे बढ़कर कहना चाहिए कि मिलकर कोरोना से निपटा जाएगा और उसकी रणनीति सामने रखनी चाहिए। एक सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि उन्होंने खुद कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से भी बात की और सलाह दी कि मौत के आंकड़े छिपाने से कुछ नहीं होगा, बल्कि सच्चाई सामने रखकर इससे लड़ा जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार झूठ बोल रही है और कोरोना को लेकर आंकड़ों को छिपाने का प्रयास कर रही है।

सरकार, फाइजर टीके के जल्द से जल्द आयात को मिलकर काम कर रहे हैं : वी के पॉल

नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा है कि फाइजर की ओर से टीके की उपलब्धता का संकेत मिलने के साथ ही सरकार और कंपनी इसके जल्द से जल्द आयात को मिलकर काम कर रहे हैं। पॉल ने ‘भारत की टीकाकरण प्रक्रिया पर मिथक और तथ्य’ पर एक बयान में कहा कि वैश्विक स्तर पर टीके की आपूर्ति सीमित है। कंपनियों की अपनी प्राथमिकताएं, योजनाएं और बाध्यताएं हैं। उसी के हिसाब से वे टीके का आवंटन करती हैं।’’ पॉल भारत में कोविड-19 कार्यबल के प्रमुख भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही फाइजर से टीके की उपलब्धता पर संकेत मिला, केंद्र सरकार और कंपनी ने इसके आयात के लिए मिलकर काम करना शुरू कर दिया।’’ कोविड-19 के लिए टीके के प्रशासन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह (एनईजीवीएसी) के प्रमुख पॉल ने कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों की वजह से स्पुतनिक के टीके के परीक्षण में तेजी आई और समय पर मंजूरी से रूस टीके की दो खेप और उसके साथ भारतीय कंपनियों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण कर चुका है। भारतीय कंपनियां जल्द टीके का विनिर्माण शुरू करेंगी। नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि केंद्र 2020 के मध्य से लगातार दुनिया की प्रमुख वैक्सीन कंपनियों मसलन फाइजर, जेएडजे तथा मॉडर्ना से बातचीत कर रहा है। 

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टीके की आपूर्ति और भारत में उनके विनिर्माण को सरकार ने इन कंपनियों को पूरी सहायता की पेशकश की है। हालांकि, इसके साथ ही पॉल ने कहा कि ऐसा नहीं है कि उनका टीका आसानी से आपूर्ति के लिए उपलब्ध है। ‘‘हमें यह समझने की जरूरत है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टीका खरीदना किसी शेल्फ से सामान खरीदने जैसा नहीं है।’’ सूत्रों के मुताबिक फाइजर ने भारतीय अधिकारियों को बताया है कि उसका टीका भारत में मौजूद सार्स-सीओवी-2 वायरस की किस्म पर प्रभावी है। यह टीका 12 साल और उससे अधिक की उम्र के सभी लोगों को लगाया जा सकता है। इसे 2-8 डिग्री पर एक महीने के लिए स्टोर किया जा सकता है। फाइजर ने जुलाई से अक्टूबर के दौरान टीके की पांच करोड़ खुराक देने की पेशकश की है। हालांकि, उसने कुछ रियायतें मांगी है और उसकी भारत सरकार के अधिकारियों के साथ कई बार बातचीत हो चुकी है। एक बैठक इसी सप्ताह हुई है। पॉल ने विपक्ष के कुछ नेताओं के इन आरोपों का खंडन किया कि सरकार वैक्सीन का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए समुचित प्रयास नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ एक भारतीय कंपनी भारत बायोटेक के पास आईपी है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि तीन अन्य कंपनियां/संयंत्र भी कोवैक्सिन का उत्पादन शुरू करें। साथ ही भारत बायोटेक के संयंत्रों की क्षमता भी बढ़ाई गई है। पॉल ने बताया कि भारत बायोटेक का कोवैक्सिन का उत्पादनअक्टूबर तकबढ़कर 10 करोड़ प्रति माह हो जाएगा, जो अभी एक करोड़ प्रति माह से कम है।

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