‘हॉकी फाइव्स’ खेल का रूख मोड़ सकता है, लेकिन पारंपरिक प्रारूप की जगह नहीं लेने देंगे: एफआईएच

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इस प्रारूप में दोनों टीमों के मैदान में पांच-पांच खिलाड़ी होते हैं और मैच को 10-10 मिनट के दोहाफ में खेला जाता है। इसकेमैदान काआकार भी नियमित हॉकी मैदान से छोटा होता है। लुसाने में खेलके इस प्रारूप में भारतीय पुरुष टीम की सफलता के बाद भारतीय हॉकी बिरादरी को भी लगता है कि छोटा प्रारूप युवाओं को आकर्षित करेगा।

नयी दिल्ली| हॉकी फाइव्स की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही ऐसी आशंकाएं जतायी जा रही हैं कि यह 11 खिलाड़ियों वाले पारंपरिक प्रारूप की जगह ले लेगा लेकिन इस खेल की वैश्विक संचालक एफआईएच ने आश्वासन दिया कि वह खेल की पारंपरिक शैली पर सबसे छोटे प्रारूप को प्राथमिकता नहीं देगा।  उसने हालांकि कहा कि यह प्रारूप खेल की ‘विकास की शानदार कहानी’ की तरह है।

इस प्रारूप में दोनों टीमों के मैदान में पांच-पांच खिलाड़ी होते हैं और मैच को 10-10 मिनट के दो हाफ में खेला जाता है। इसके मैदान का आकार भी नियमित हॉकी मैदान से छोटा होता है। लुसाने में खेल के इस प्रारूप में भारतीय पुरुष टीम की सफलता के बाद भारतीय हॉकी बिरादरी को भी लगता है कि छोटा प्रारूप युवाओं को आकर्षित करेगा।

अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी थिएरी वेल ने कहा कि खेल को और लोकप्रिय बनाने के लिए हॉकी फाइव्स को पारंपरिक प्रारूप के साथ जोड़ा जा रहा है।

वेल ने पीटीआई-को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘ हॉकी फाइव्स खेल के पारंपरिक प्रारूप में एक और विकल्प है। हम हॉकी की लोकप्रियता बढ़ाना चाहते हैं और हॉकी फाइव्स इसमें हमारी मदद कर सकता है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हम इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि हॉकी फाइव्स से आने वाले वर्षों में खेल को काफी फायदा होगा। हम हालांकि खेल के पारंपरिक प्रारूप की कीमत पर हॉकी फाइव्स को हावी नहीं होने देंगे। हम कभी ऐसा नहीं होने देंगे। ’’

भारत के पूर्व कप्तान दिलीप टिर्की को इस बात से कोई आपत्ति नहीं है कि हॉकी क्रिकेट की राह पर चले।

उन्होंने कहा कि हॉकी फाइव्स की शुरुआत खेल को अधिक लोगों तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा, ‘‘ अगर हॉकी क्रिकेट के टी20 प्रारूप का अनुसरण करता है तो इसमें क्या बुराई है? मुझे खेल का छोटा प्रारूप पसंद है।

खेल की गति इसे और रोचक बनाती है।’’ भारत के एक अन्य पूर्व कप्तान और 1980 मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम के सदस्य जफर इकबाल ने भी हॉकी फाइव्स का समर्थन किया।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत के नजरिये से देखें तो हॉकी फाइव्स हमारे लिए नया नहीं है। हमने राष्ट्रीय स्तर पर इसकी प्रतियोगिताएं आयोजित की हैं और यह लोकप्रिय भी हो रहा है। यह प्रारूप युवाओं को आकर्षित करता है और इस खेल को काफी लोकप्रिय बनाने में अपनी भूमिका निभा सकता है।’’

हॉकी फाइव्स को पहली बार 2014 नानजिंग युवा ओलंपिक में शामिल किया गया था और तब से यह प्रारूप इन खेलों का हिस्सा है। भारत ने 2014 खेलों के लिए अपनी टीम नहीं भेजी लेकिन ब्यूनस आयर्स में 2018 युवा ओलंपिक में लड़कों और लड़कियों दोनों की स्पर्धाओं में देश ने रजत पदक जीता था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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