कॅरियर में अब तक रियो तक का सफर सबसे कड़ा: शिव थापा

इस साल होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाले एकमात्र भारतीय मुक्केबाज शिव थापा ने कहा कि उनके अब तक के करियर में ‘रियो तक का सफर’ सबसे कड़ा रहा है।

नयी दिल्ली। इस साल होने वाले ओलंपिक खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाले एकमात्र भारतीय मुक्केबाज शिव थापा ने कहा कि उनके अब तक के करियर में ‘रियो तक का सफर’ सबसे कड़ा रहा है। पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतने वाले सिर्फ तीसरे भारतीय मुक्केबाज बने 22 साल के असम के शिव ने हाल में चीन के किनान में संपन्न एशिया-ओसियाना क्षेत्रीय क्वालीफायर में रजत पदक के साथ ओलंपिक कोटा हासिल किया। दुनिया के छठे नंबर का यह बैंटमवेट मुक्केबाज लगातार दूसरी बार ओलंपिक में हिस्सा लेने को तैयार है। लंदन ओलंपिक 2012 के लिए क्वालीफाई करने वाले सबसे युवा मुक्केबाज रहे शिव ने कहा, ‘‘इस बार मानसिक रूप से अधिक चुनौतीपूर्ण था और निश्चित तौर पर मेरे करियर का सबसे कड़ा समय। मुझे साबित करना था। अंदर से मैं संभवत: नाराज था और दिखाना चाहता था कि मैं क्या कर सकता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि सेमीफाइनल जीतकर ओलंपिक स्थान सुनिश्चित करने के बाद मैं रिंग में जोर से चिल्लाया था। मेरे अंदर की भावनाएं बाहर निकल रही थी। मुझे यह कहने की जरूरत नहीं है कि भारत में हमारे लिए कितना मुश्किल है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में इतना कुछ हुआ है और क्वालीफाई करना राहत की बात है।''

भारत लगभग पिछले एक साल से राष्ट्रीय महासंघ के बिना है जब राज्य संघों के विद्रोह के बाद बाक्सिंग इंडिया को बर्खास्त कर दिया गया था। इससे पहले 2012 में भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ को चुनावों में हेराफेरी के आरोपों में बख्रास्त कर दिया गया था जिसके बाद से देश में इस खेल को लगातार संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण भारतीय मुक्केबाजों को अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज संघ (एआईबीए) के ध्वज तले प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना पड़ रहा है और अगर 14 मई तक राष्ट्रीय महासंघ नहीं बनता है तो विश्व संस्था उन्हें ओलंपिक में हिस्सा लेने से भी प्रतिबंधित कर सकती है।

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