क्या है Microsoft और NAYARA का मामला? जानें कैसे फंस गई भारतीय कंपनी, हाईकोर्ट तक पहुंचा केस

 Microsoft and NAYARA
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Kusum । Jul 29 2025 5:42PM

अब नायरा एनर्जी देश की बड़ी तेल कंपनी है जिसका रूसी तेल कंपनी रोजनेफ्ट के साथ करार है। नायरा एनर्जी लिमिटेड से रोसनेफ्ट की 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है।रूसी तेल को यूरोप में बेचने पर लगे बैन के साथ में माइक्रोसॉफ्ट की ओर से सर्विसेज बंद करने से रिफाइनरी कंपनी को दोहरा झटका लगा है।

भारत की प्रमुख तेल रिफाइनरी कंपनी और माइक्रोसॉफ्ट इन दिनों काफी चर्चा में है। दरअसल, कंपनी पर पहले EU ने रूसी तेल खरीदने के लिए बैन लगा दिया। अब अमेरिकी टेक कंपनी ने कंपनी टेक संबंधी सुविधाएं जैसे ईमेल को ब्लॉक कर दिया है। माइक्रोसॉफ्ट नायरा को डेटा और जरूरी उत्पादों तक पहुंचने से रोक रही है। जिसके बाद अब नायरा एनर्जी ने माक्रोसॉफ्ट के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। 

 

नायरा एनर्जी ने माइक्रोसॉफ्ट पर आरोप लगाया है कि उसने नियमों के खिलाफ जाकर उसकी सर्विसेज को बंद किया है। कंपनी की ओर से बयान जारी करते हुए कहा गया है कि माइक्रोसॉफ्ट उन्हें सर्विसेज लेने से रोक रही है जबकि उनके लिए कंपनी ने पैसे देकर लाइसेंस हासिल किए हैं। निलंबन का ये तरीका एकतरफा और खतरनाक है।  

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण यूरोपीय यूनियन के रूस पर प्रतिबंध लगाते हुए रूसी तेल के यूरोप में आने पर बैन लगा दिया है। इसका खामियाजा रोसनेफ्ट जैसी रूसी रिफाइनरी कंपनियों के साथ नायरा एनर्जी और रिलायंस इंडस्ट्री जैसी दिग्गज भारतीय रिफाइनरी कंपनियों को भी उठाना पड़ रहा है। ईयू ने पहले तो रूसी तेल लेने से मना कर दिया और बाद में न मानन पर इनके ईयू में इंपोर्ट पर बैन लगा दिया। नायर एनर्जी रूस से सस्ते दामों में तेल को खरीद कर रिफाइन करके यूरोप के मार्केट में बेचती थी। लेकिन बैन के बाद उसके रिफाइनरी मार्जिन को काफी डेंट लगा है। साथ ही अब माइक्रोसॉफ्ट की ओऱ से बैन लग जाने के बाद कंपनी तेल के खेल में फंस गई है। 

वहीं अब नायरा एनर्जी देश की बड़ी तेल कंपनी है जिसका रूसी तेल कंपनी रोजनेफ्ट के साथ करार है। नायरा एनर्जी लिमिटेड से रोसनेफ्ट की 49.13 प्रतिशत हिस्सेदारी है।रूसी तेल को यूरोप में बेचने पर लगे बैन के साथ में माइक्रोसॉफ्ट की ओर से सर्विसेज बंद करने से रिफाइनरी कंपनी को दोहरा झटका लगा है। कंपनी ने कहा है कि, माइक्रोसॉफ्ट ने सिर्फ ईयू के बैन को ध्यान में रखते हुए अचानक और एकतरफा निर्णय लिया है जो कि कॉर्पोरेट के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। इससे भारत के एनर्जी इकोसिस्टम को लेकर भी गंभीर चिंता पैदा होती है। 

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