भोपाल में घूमने के लिए हैं बहुत जगहें, एक बार आइए तो सही

bhopal has many places to visit

मध्य प्रदेश की राजधानी होने के साथ−साथ भोपाल शहर प्राकृतिक सुन्दरता और सांस्कृतिक विरासत के सभी आधुनिक आयाम स्थापित करता है। बताया जाता है कि इसे 11वीं शताब्दी में राजाभोज द्वारा बसाया गया था, तब इसे भोजपाल कहा जाता था जो अपभ्रंश होकर भोपाल हो गया है।

मध्य प्रदेश की राजधानी होने के साथ−साथ भोपाल शहर प्राकृतिक सुन्दरता और सांस्कृतिक विरासत के सभी आधुनिक आयाम स्थापित करता है। बताया जाता है कि इसे 11वीं शताब्दी में राजाभोज द्वारा बसाया गया था, तब इसे भोजपाल कहा जाता था जो अपभ्रंश होकर भोपाल हो गया है। भोपाल शहर में स्थित पुराने बाजार, मस्जिदें और महल बने हुए हैं। सुन्दर पार्क और गार्डन, लम्बी चौड़ी सड़कें, आधुनिक इमारतों से भोपाल एक सुन्दर शहर बन गया है।

यहां पर्यटकों को मुग्ध करने वाली सौगात है "शान−ए−भोपाल"। करीब 13 किलोमीटर की झील के किनारे सुन्दर "मेरिन ड्राईव" पर घूमने का आनन्द ही कुछ ओर है। मध्य में "राजा भोज" की विशाल मूर्ति स्थापित की गई है। रात में रोशनी में झिलमिलाता झील का दृश्य नयाभिराम होता है। आने वालों को एक शाम यहां जरूर बितानी चाहिए। भोपाल की ताज−उल−मस्जिद एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद मानी जाती है। स्वर्ण शिखर से मण्डित भोपाल चौक स्थित जामा मस्जिद भी आकर्षण का केन्द्र है। दिल्ली की जामा मस्जिद की तर्ज पर बनी मोती मस्जिद मुगल कला का सुन्दर नमूना है। अफगान शासक दोस्त मुहम्मद खान के बनाए गये महल एवं सुन्दर बगीचे दर्शनीय हैं, जहाँ कई फिल्मों की शूटिंग होती रहती है। 

भोपाल में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, श्यामला पहाड़ी के शिखरों पर करीब 200 एकड़ में स्थापित है। इस संग्रहालय में 32 पारम्परिक एवं प्रागेतिहासिक शैल चित्र पाये जाते हैं। संग्रहालय परिसर में वन प्रान्तों, पर्वतीय, समुद्रतटीय तथा अन्य क्षेत्रों के मूल निवासियों तथा देश की विविध मौलिक समाजों की जीवन पद्धतियों को प्रदर्शित करने वाली सामग्री प्रदर्शित की गई है। भोपाल का यह संग्रहालय सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र है। इसके अतिरिक्त शौकत महल, सदर मंजिल, गौहर महल, भारत भवन, स्टेट म्यूजियम, गांधी भवन, वन विहार और लक्ष्मी नारायण मंदिर, छोटी और बड़ी झील तथा मछलीघर दर्शनीय स्थल हैं।

पंचमढ़ी

भोपाल से 210 किलोमीटर दूरी पर मध्य प्रदेश का एक मात्र पर्वतीय स्थल पंचमढ़ी होशंगाबाद जिले में समुद्रतल से 1067 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। सतपुड़ा पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित होने से इसे सतपुड़ा की रानी भी कहा जाता है। यहां जलप्रपात, तालाब एवं घने जंगल देखते ही बनते हैं। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान भी पंचमढ़ी का हिस्सा है। इस उद्यान में कई प्रकार के पशु−पक्षी देखने को मिलते हैं। यहां की गुफाओं में बने शैल चित्र भी दर्शनीय हैं। पंचमढ़ी मध्य प्रदेश का एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है। पौराणिक मान्यता है कि पाण्डवों ने अज्ञातवास में कुछ दिन यहां बिताये थे। उन्होंने अलग−अलग पांच गुफाओं में प्रवास किया था। इन पांच गुफाओं के कारण ही इसका नाम पंचमढ़ी पड़ा। यह बस एवं रेल मार्ग द्वारा सभी प्रमुख स्थलों से जुड़ा है। पंचमढ़ी में महादेव चौरागढ़ का मंदिर, रीछागढ़, डोरोथी डीप रॉक शेल्टर, जलावतरण, सुंदर कुण्ड, झरन ताल, धूपगढ़, प्रियदर्शिनी पांइट, राजेन्द्रगिरी, हांडी खोह, चटा शंकर गुफा, पाण्डव गुफा एवं अप्सरा विहार प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। यह सभी स्थल पंचमढ़ी से 15 किलोमीटर के अन्तर्गत आते हैं।

भीमवेटका

भोपाल से से 35 किलोमीटर दूर विन्ध्याचल पहाड़ियों के उत्तरी किनारे पर स्थित भीमवेटका गांव बड़ी−बड़ी चट्टानों से घिरा हुआ है। इन चट्टानों में पूर्व पाषाण युग की गुफाओं में 600 से ज्यादा भित्ति चित्रों का पता लगा है। संसार में अब तक पाये जाने वाले पाषाण युगीन भित्ति चित्रों का यह गुफाएं सबसे बड़ा खजाना हैं। भीमवेटका में आकर लगता है जैसे किसी दूसरी दुनिया में आ गये हों।

डॉ. प्रभात कुमार सिंघल

(लेखक एवं पत्रकार, कोटा)

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