कुदरत का खूबसूरत अजूबा माना जाता है विक्टोरिया जलप्रपात

प्रीटी । Jun 12 2017 3:57PM

भव्य विक्टोरिया जलप्रपात को कुदरत का खूबसूरत अजूबा ही कहा जा सकता है। ऐसा अनुमान है कि प्रति मिनट जैंबेजी नदी का लगभग 55 लाख घन मीटर पानी घाटी में नीचे गिरता रहता है।

इस प्रपात को एक किनारे से दूसरे किनारे तक देखने के लिए आपको कार द्वारा या फिर पैदल पुल पार करके जिम्बाब्वे की सीमा में प्रवेश करना होगा। यह पुल जलप्रपात से 700 मीटर दक्षिण में स्थित है।

आकर्षक उद्यानों वाले पठार, ऊंची−ऊंची पर्वत श्रेणियां, रोमांचक वन्य जीवन, समुद्र जैसी विशाल झीलें और मनमोहक जलप्रपात, यह सब कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जिनकी वजह से बार−बार अफ्रीका जाने को मन करता है। अफ्रीका की प्राकृतिक खूबसूरती में जो चीज सबसे अधिक हैरान करती है वह है भव्य विक्टोरिया जलप्रपात। इस जलप्रपात को कुदरत का खूबसूरत अजूबा ही कहा जा सकता है। ऐसा अनुमान है कि प्रति मिनट जैंबेजी नदी का लगभग 55 लाख घन मीटर पानी घाटी में नीचे गिरता रहता है और इस घाटी के सामने के छोर से, जोकि नदी के तट जितना ही ऊंचा है, का आनंद आप ले सकते हैं।

इस प्रपात को एक किनारे से दूसरे किनारे तक देखने के लिए आपको कार द्वारा या फिर पैदल पुल पार करके जिम्बाब्वे की सीमा में प्रवेश करना होगा। यह पुल जलप्रपात से 700 मीटर दक्षिण में स्थित है और इस पर खड़े होकर आप इसका पूरा नजारा देख सकते हैं। विक्टोरिया जलप्रपात के आसपास लोग हजारों साल से रहते आ रहे हैं, लेकिन बाहरी दुनिया को प्रकृति के इस आश्चर्य से परिचित कराने का श्रेय एक स्काटिश मिशनरी डेविड लिविंग्सटन को जाता है। 1855 में एक छोटी सी नाव में बैठ कर वह यहां पहुंचा था। उसी ने उस समय की परंपरा के अनुसार इंग्लैंड की महारानी के नाम पर इसे विक्टोरिया जलप्रपात नाम दिया और उसके नाम पर इस शहर का नाम पड़ा लिविंग्सटन।

इस जलप्रपात का सबसे पुराना नाम शोंगवे था, जो इस क्षेत्र में बसे टोकलेया लोगों ने इसे दिया था। उसके बाद एंडेबेले लोग यहां आकर बसे और उन्होंने इसे बदल कर अमांजा थुंकुआयो कर दिया, जिसका अर्थ हुआ, धुएं में बदलता हुआ पानी। अंत में मकालोलो लोगों ने इसे एक नया नाम दिया मोस औ तुन्या, यानि गरजता हुआ धुआं। स्थानीय लोगों में आज भी यही नाम प्रचलित है।

पिछले लगभग साढ़े पांच लाख वर्षों के दौरान यह जलप्रपात अपना स्थान बदलता रहा है। इस प्रक्रिया के दौरान नदी अब तक सात घाटियां पीछे छोड़ कर अपने वर्तमान स्थान पर पहुंची है। यहां आपको पानी तथा कीचड़ में अपने स्थूल शरीर को छिपाने का प्रयास करते हिप्पो भी देखने को मिल जाएंगे।

आसपास के वनों में आपको एक डाल से दूसरी डाल पर कूदते बंदर भी नजर आएंगे साथ ही अनेक प्रकार के पक्षियों का कलरव भी आपका मन मोह लेगा। यहां का विक्टोरिया राष्ट्रीय उद्यान हाथी, अफ्रीकी भैंस, शेर तथा अन्य वन्य पशुओं से भरा पड़ा है। नदी में बड़े−बड़े खतरनाक मगरमच्छ भी हैं इसलिए इसमें नहाना सुरक्षित नहीं है।

यहां सूर्योदय तथा सूर्यास्त देखने का सबसे अच्छा समय अक्तूबर से दिसंबर के बीच ही होता है, उस समय नदी में पानी भी ज्यादा नहीं होता और आकाश भी साफ होता है। आधुनिक पर्यटकों के मनोरंजन के लिए यहां पैराशूटिंग और जैंबेजी पुल से बंजी जंपिंग जैसे रोमांचक खेलों की व्यवस्था है। मछली पकड़ने के शौकीनों के लिए कुछ विशेष नौकाएं भी यहां उपलब्ध हैं जो नदी के अंदर ले जाकर आपके इस शौक को पूरा करती हैं।

विक्टोरिया जलप्रपात को देखने के बाद आप यह अवश्य ही महसूस करेंगे कि प्रकृति का इससे अधिक रोमांचक, नाटकीय, भव्य तथा विलक्षण रूप शायद ही कहीं अन्यत्र देखने को मिले।

प्रीटी

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