Antyodaya Day 2025: हर साल 25 सितंबर को मनाया जाता है अंत्योदय दिवस, जानिए इतिहास और महत्व

हर साल भारत में 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष्य में अंत्योदय दिवस मनाया जाता है। यह दिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और विरासत को याद करने के लिए मनाया जाता है।
हर साल भारत में 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के उपलक्ष्य में अंत्योदय दिवस मनाया जाता है। यह दिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और विरासत को याद करने के लिए मनाया जाता है। यह दिन समान के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के मिशन और दृष्टिकोण पर प्रकाश डालता है। साथ ही यह एक ऐसे समावेशी भारत के निर्माण पर केंद्रित है और जहां पर कोई पीछे न छूटे। तो आइए जानते हैं इस दिन के इतिहास और महत्व के बारे में...
इतिहास
बता दें कि साल 2014 में पहली बार अंत्योदय दिवस मनाया गया था। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर भारत सरकार ने हाशिए पर पड़े लोगों के उत्थान में उनके योगदान के सम्मान में मनाने का निर्णय लिया था। अंत्योदय का अर्थ है अंतिम व्यक्ति के उत्थान से। समाज के वंचित वर्गों की जरूरतों को पूरा करने पर केंद्रित था।
अंत्योदय का अर्थ
अंत्योदय का अर्थ 'समाज के अंतिम व्यक्ति का उत्थान और उसका विकास सुनिश्चित करना है।'
महत्व
अंत्योदय दिवस का यह दिन हमें याद दिलाता है कि समाज के उस गरीब वर्ग पर ध्यान देने की जरूरत है, जो भारत के विकास के रास्ते में कहीं पीछे छूट गए हैं या फिर जिनको हम भूल गए हैं। यह दिन पंडित दीनदयाल उपाध्याय की सोच को याद करता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एक ऐसे देश की कल्पना की थी, जहां पर हर व्यक्ति राष्ट्र निर्माण में अपना अहम योगदान दे सके।
अंत्योदय: आम आदमी का उत्थान
बता दें कि दीनदयाल ने अंत्योदय का विचार भी प्रतिपादित किया है। इसका अर्थ है कि पंक्ति में खड़े आखिरी व्यक्ति का कल्याण। उन्होंने आम आदमी के उत्थान के लिए काफी कुछ कहा और लिखा है। दीनदयाल उपाध्याय का मानना था कि राजनीति का पूरा उद्देश्य गरीबों और वंचितों के लिए काम करना है।
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