मध्य प्रदेश में 29 दिन बाद मंत्रिमंडल गठन के बाद राजनीति सरगर्मियां बढ़ी, कांग्रेस ने उठाए सवाल

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दिनेश शुक्ल । Apr 21 2020 6:39PM

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले 29 दिनों तक बिना मंत्रिमंडल के प्रदेश में सरकार चलाई। 21 अप्रैल को राजभवन में एक सादे समारोह में सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत सहित बीजेपी के कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल तथा मीना सिंह ने शपथ ग्रहण की है।

मध्य प्रदेश में 21 अप्रैल को बीजेपी की शिवराज सरकार का पहला मंत्रिमंडल गठन हो गया। जिसमें दो सिधिया समर्थकों सहित पांच मंत्रियों को राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले 29 दिनों तक बिना मंत्रिमंडल के प्रदेश में सरकार चलाई। 21 अप्रैल को राजभवन में एक सादे समारोह में सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत सहित बीजेपी के कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल तथा मीना सिंह ने शपथ ग्रहण की है। सिंधिया समर्थक तुलसी सिलावाट और गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में भी कैबिनेट मंत्री रहे हैं। इन दोनों मंत्रियों सहित 22 विधायकों ने सिंधिया के समर्थन में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद यह बीजेपी में शामिल हो गए थे। वही बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, राज्य के नर्मादांचल क्षेत्र के ओबीसी नेता व पूर्व मंत्री कमल पटेल और आदिवासी नेता मीना सिंह भी शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल हो गए है। मीना सिंह शिवराज मंत्रिमंडल की अकेली महिला सदस्य है। 

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शिवराज मंत्रिमंडल में मंगलवार को शामिल हुए पांचों नेता के राजनीतिक जीवन पर प्रकाश डाले तो सिंधिया समर्थक तुसली सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस की सरकारों में राज्य और कैबिनेट मंत्री रहे हैं। तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के समय से ही सिंधिया खानदान के नजदीक रहे हैं। जहां तुलसी सिलावट इंदौर के सांवेर विधानसभा से विधायक चुने गए थे जिन्होनें पिछले महीने मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में कमलनाथ मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के साथ ही विधानसभा की सदस्यता से भी त्यागपत्र दे दिया था। तो वहीं गोविंद सिंह राजपूत सागर जिले की सुरखी विधानसभा से विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे। इन्होंने भी सिधिया के समर्थन में कैबिनेट मंत्री के पद और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। राज्य में आगामी विधानसभा के उपचुनाव में यह दोनों भी चुनाव मैदान में होंगे। 

जबकि शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल बीजेपी कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा प्रदेश के दतिया विधानसभा से विधायक है। वह 1990 में पहली बार मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे। राज्य की बीजेपी सरकार ने सन् 2003 में उन्हें पहली बार राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया था। जिसके बाद लगातार 2003, 2008 और 2013 में 15 वर्षों तक प्रदेश की बीजेपी सरकार में वह मंत्री रहे हैं। तो वहीं कमल पटेल ने छात्र राजनीति से अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत की थी। वह बीजेपी से 1993 में पहली बार प्रदेश की हरदा विधानसभा से निर्वाचित होकर विधानसभा पहुंचे थे। सन् 1998, 2003, 2008 और 2018 में विधायक चुने गए है। कमल पटेल को 2003 में बीजेपी सरकार में राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया था। इन्हें एक दबंग नेता के रूप में जाना जाता है। वही शिवराज मंत्रिमंडल की एक मात्र महिला सदस्य मीना सिंह आदिवासी नेता है यह प्रदेश की मानपुर विधानसभा के बीजेपी की विधायक है। मीना सिंह 1996 में हुए उपचुनाव में पहली बार बीजेपी विधायक के तौर पर चुनकर विधानसभा पहुंची थी। वहीं 2003, 2008, 2013 और 2018 विधानसभा की सदस्य के रूप वह लगातार निर्वाचित होती रही है। 2003 में पहली बार मीना सिंह को बीजेपी सरकार में राज्यमंत्री के रूप में आदिमजाति, अनुसूचित जाति कल्याण, महिला एवं बाल विकास, पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा नर्मदा घाटी विकास की मंत्री रहीं। इन्हें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का नजदीकी माना जाता है। मंत्रिमंडल में शामिल बीजेपी नेता संगठन के भी विभिन्न पदों पर रहे है। मंत्री पद की शपथ लेने के बाद जहां सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत ने कहा कि हम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के साथ पांच पांडवों की तरह काम करेंगे तो वहीं कमल पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री ने मुझ पर विश्वास प्रगट किया है उनके विश्वास पर खरा उतने की कोशिश करूंगा। 

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पिछले कई दिनों से मंत्रिमंडल गठन की सुगबुगाहट चल रही थी। 20 मार्च 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद बीजेपी ने संख्या बल के आधार पर प्रदेश में सरकार बनाई थी। 23 मार्च को बीजेपी विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और 29 दिन अकेले ही मध्यप्रदेश की सरकार का संचालन किया। इस दौरान कोरोना महामारी को लेकर उन्होनें वन मैन आर्मी की तरह काम किया। लेकिन विपक्ष पिछले कुछ दिनों से प्रदेश में मंत्रिमंडल न होने को लेकर बीजेपी सरकार पर हमलावर तेवर अपनाए हुए था। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तो यहां तक कह दिया था कि मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जहां न गृह मंत्री है और न स्वास्थ्य मंत्री। मंत्रिमंडल गठन के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बी.डी.शर्मा ने कहा कि कोरोना के खिलाफ इस जंग में अब शिवराज मंत्रिमंडल मिलकर काम करेगा मंत्रिमंडल की आवश्यकता महसूस हुआ जिसके बाद मंत्रिमंडल गठन किया गया है।

तो दूसरी ओर कांग्रेस ने मंत्रिमंडल गठन को लेकर एक बार फिर शिवराज सरकार पर निशाना साधा है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस के मीडिया प्रभारी जीतू पटवारी ने नवगठित शिवराज मंत्रिमंडल पर सवाल उठाते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में नेता प्रतिपक्ष रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव को स्थान न देना बीजेपी के अंतरकलह को उजागर किया है। वही जीतू पटवारी ने सिधिया समर्थक मंत्रियों पर भी तंज कसते हुए कहा कि कोरोना महामारी के इस दौर में पांच मंत्रियों का मंत्रिमंडल समझ से परे है। पहले ऐसा माना जा रहा था कि शिवराज मंत्रिमंडल में 10 से 12 मंत्री शपथ लेंगे लेकिन सोमवार रात्रि को अचानक आई सूचना में सिर्फ पांच मंत्रियों का मंत्रिमंडल गठन की बात सामने आई जिन्होंने 21 अप्रैल को शपथ ली। वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव को मंत्रिमंडल में शामिल न किया जाना आश्चर्यचकित करने वाली खबर रही। 

बहरहाल पिछले 29 दिनों से वन मैन आर्मी की तरह कोरोना के खिलाफ युद्ध लड़ रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने नवगठित मंत्रिमंडल में जहां क्षत्रिय और जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश की है। तो वही हाल ही में कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए सिंधिया समर्थक नेताओं को भी शामिल किया है। जहां ग्वालियर चंबल क्षेत्र से नरोत्तम मिश्रा, नर्मादांचल से कमल पटेल बुंदेलखंड से गोविंद सिंह राजपूत, मालवांचल से तुसली सिलावट तो महाकौशल क्षेत्र से मीना सिंह को प्रतिनिधित्व दिया गया है। साथ ही जातिगत समीकरण की बात करें तो सामान्य वर्ग से नरोत्तम मिश्रा और गोविंद सिंह राजपूत को तो पिछड़ा वर्ग से कमल पटेल तो एससी वर्ग तुसली सिलावट और मीना सिंह को आदिवासी नेता के रूप में प्रतिनिधित्व दिया गया है। प्रदेश में मंत्रिमंडल गठन के बाद अब कोरोना के खिलाफ जंग में शिवराज सरकार के पांच मंत्रियों का मंत्रिमंडल मैदान में उतरेगा। जिसमें एक स्वास्थ्यमंत्री भी होगा जो कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए कड़े निर्णय ले सकेगा। वही मंत्रिमंडल गठन के साथ प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां भी बढ़ जाएगी। वही पार्टी के असंतुष्ट नेताओं को भाजपा कैसे संतुष्ट करती है यह आने वाले दिनों में देखने को मिलेगा। जबकि विपक्ष में बैठी कांग्रेस सरकार के खिलाफ अब और भी हमलावर रवैया अपनाएगी।

- दिनेश शुक्ल

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