Chandrayaan 2 Launching Date: इतिहास रचने के करीब था चंद्रयान 2 मिशन, जानिए मिशन की पूरी कहानी

इसरो ने 5 साल पहले चंद्रयान 2 मिशन लॉन्च किया था। जिसको आंशिक रूप से सफल माना जाता है। क्योंकि यह मिशन पूरी तरह से फेल नहीं हुआ। अभी भी चांद की कक्षा में चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर स्थापित है। 22 जुलाई 2019 को इसरो ने चंद्रयान 2 लॉन्च किया था।
इसरो ने 5 साल पहले चंद्रयान 2 मिशन लॉन्च किया था। जिसको आंशिक रूप से सफल माना जाता है। क्योंकि यह मिशन पूरी तरह से फेल नहीं हुआ। अभी भी चांद की कक्षा में चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर स्थापित है। 22 जुलाई 2019 को इसरो ने चंद्रयान 2 लॉन्च किया था। लेकिन अंतरिक्ष एजेंसी के चांद पर लैंडिग से पहले ही लैंडर से सभी संपर्क टूट गए थे। अगर विक्रम लैंडर चांद पर सफलतापूर्वक उतर गया होता, तो भारत भी उन देशों में शामिल हो जाता, जो चांद पर पहुंच चुके हैं।
विक्रम लैंडर फिक्स 55 डिग्री की जगह 410 डिग्री तक झुक गया था। इस कारण चंद्रमा पर उतरने से पहले ही संपर्क बाहर हो गया। विक्रम लैंडर जब लैंडिग सतह से सिर्फ 400 मीटर की दूरी पर था, तभी संपर्क टूट गया और लैंडर चंद्रमा पर क्रैश हो गया। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करना था। अगर यह मिशन सफल हो जाता, तो भारत, अमेरिका, चीन और रूस के बाद यह उपलब्धि करने वाला चौथा देश बन जाता।
क्या थी गलती
इसरो के वैज्ञानिक चंद्रयान अपने निर्धारित प्रक्षेप पथ से झुक गए थे। ऐसे में इसको के वैज्ञानिक निराश हो गए थे। लेकिन सभी को लगा था कि यह चांद पर सफलतापूर्वक लैंडिग कर लेगा। लैंडर संपर्क से बाहर हो गया औक इसरो के वैज्ञानिक कुछ नहीं कर पाए।
उम्मीद थी कि लैंडर की गति चार चरणों में 6000 किमी प्रति घंटे से घटकर जीरो किमी प्रति घंटा होगी। लेकिन चांद की सतह पर उतरने से पहले ही विक्रम लैंडर से इसरो का संपर्क टूट गया था।
क्यों टूटा संपर्क
बताया जाता है कि लैंडर से संपर्क सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी की वजह से टूटा था। प्रक्षेप पथ में गति की कमी और परिवर्तन की वजह से विक्रम लैंडर और चंद्रमा प्रज्ञान रोवर टूट गया।
हालांकि लैंडर ने शुरूआती चरण में ठीक काम किया। लेकिन रीबूस्टिंग प्रोसेस में गति कम करने के दौरान लगे 5 इंजनों ने अधिक ऊर्जा पैदा की, जिसके कारण यान की सफल लैंडिंग नहीं हो सकी।
अन्य न्यूज़












