बेरहम इंसानों को मानवता का पाठ पढ़ाती है ओमेन और शैडो की कहानी

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अंकित सिंह । Sep 26 2019 3:20PM

ओमेन बार-बार जोर देकर यह कहते हैं कि वह यहां रहे या ना रहे, उसके लिए ऑनलाइन फूड का व्यवस्था करके रखते हैं। उन्होंने बताया कि शैडो को जंक फूड पसंद नहीं है और वह उसे इससे दूर भी रखते हैं।

इंसान हो या जानवर सभी प्यार के भूखे होते हैं। जानवरों से प्यार करो तो उनकी वफादारी देखते बनती है। आपका प्यार उन्हें आप से जोड़े रखता है। यह कहानी भी कुछ ऐसा ही है। यह कहानी वर्गिस ओमेन और शैडो की है। शैडो भी एक आम कुत्तिया की ही तरह है जो दो साल पहले ओमेन को मिली थी। टूर एंड ट्रेवल कंपनी में काम करने वाले ओमेन की शैडो से मुलाकात उनके कोडक स्थित अपार्टमेंट के गेट पर हुई थी। उसके बाद से ओमान शैडो की देखरेख करने लगे। ओमेन शैडो को उसी स्थान पर नियमित रूप से चावल और मांस खिलाता था। टूर पर होने के बावजूद भी ओमान सैडो के खाने-पीने का ख्याल रखते थे। वह उसके लिए ऑनलाइन फूड डिलीवरी का व्यवस्था करवाते थे जो उसी स्थान पर रखकर जाता था। 

ओमान कहते हैं कि वह उसका हमेशा खान-पान का ध्यान रखते हैं और यह भी ध्यान रखते हैं कि उसे समय पर खाना मिल सके। उन्होंने आगे बताया कि जब डिलीवरी ब्वॉय खाना लेकर आता था और उन्हें कॉल करता था तो वह उसे वही खाना रखने के लिए कहते थे। शैडो भी अपने खाने का इंतजार उसी स्थान पर करता था। खाना खोलने में शैडो की मदद सोसायटी के गार्ड राधाकृष्णन किया करते थे। शैडो को बीफ बिरयानी बेहद ही पसंद थी। ओमान यह भी बताते हैं कि उन्होंने उसका नाम शैडो इसलिए रखा क्योंकि वह उन्हें देखते ही साए की तरह उनके आसपास मंडराने लगती थी। चूंकि, ओमान उस अपार्टमेंट में किराए पर रहते थे इसलिए उन्होंने अपना घर भी उस अपार्टमेंट के पास लिया ताकि वह शैडो का ख्याल रख सकें। ओमेन बार-बार जोर देकर यह कहते हैं कि वह यहां रहे या ना रहे, उसके लिए ऑनलाइन फूड का व्यवस्था करके रखते हैं। उन्होंने बताया कि शैडो को जंक फूड पसंद नहीं है और वह उसे इससे दूर भी रखते हैं। 

राधाकृष्णन बताते हैं कि वह इस दोस्ती को 2 साल से बढ़ते देख रहे हैं। जब भी मैं अपने लंच में से उसे खाना देने की कोशिश करता हूं तो वह उसे मना कर देती है। इसके अलावा राधाकृष्णन यह भी बताते हैं कि खाना खाने के बाद जब उसे पानी की जरूरत होती है तो वह एक अजीब आवाज निकालती है जिसके बाद मैं उसे पानी दे देता हूं। ओमेन और उनके दो बेटे जोशुआ और जैकब उसके प्रसव के दौरान उसकी मदद करते हैं। ओमान ने बताया कि उसके प्रसव के दौरान भयंकर बारिश हो रही थी और हर जगह पानी-पानी था। ऐसे में उन्होंने उसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और उसके बच्चों को भी बचाया। उन्होंने कहा कि हमारी सोसायटी में कुत्ते के बच्चों को आने की इजाजत नहीं है फिर भी हम उन्हें लेकर आए और उन्हें ध्यान से रखा। उनका टीकाकरण कराया और बड़े होने पर सुरक्षित हाथों में उन्हें सौंप दिया। यह कहानी महज शैडो और ओमान की नहीं है बल्कि उस रिश्ते की है जो शायद आपके दिलों को छू जाए।  

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