International Mother Language Day 2025 : जानिए क्या है इस दिवस का इतिहास और महत्व, क्यों जरूरी है मातृभाषा

हम अपनी भावनाओं को भाषा के माध्यम से ही बयां कर पाते हैं और प्रतिदिन की जिंदगी में एक दूसरे के बात करते हैं। दुनिया में हर देश की अपनी एक अलग भाषा होती है। हमारे देश में तो अलग-अलग राज्यों की कई भाषाएं है, जिसे उस निश्चित जगह की मातृभाषा कहा जाता है।
हम सबके जीवन में भाषा का बहुत महत्व होता है। हम अपनी भावनाओं को भाषा के माध्यम से ही बयां कर पाते हैं और प्रतिदिन की जिंदगी में एक दूसरे के बात करते हैं। दुनिया में हर देश की अपनी एक अलग भाषा होती है। हमारे देश में तो अलग-अलग राज्यों की कई भाषाएं है, जिसे उस निश्चित जगह की मातृभाषा कहा जाता है। यानी कि जन्म लेने के बाद व्यक्ति सबसे पहले जिस भाषा को सीखता है, उसे उसकी मातृभाषा कहा जाता है। आज के दिन यानी 22 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।
इस दिवस का उद्देश्य दुनिया में मातृ भाषाओं के संरक्षण और प्रचार के महत्व के बारे में जागरूकता बढाना है। भारत में ही कम से कम 122 ऐसी भाषाएं हैं, जिनको बोलने वालों की संख्या 10 हजार से ज्यादा है। तो वहीं, वहीं 29 भाषाएं ऐसी हैं, जिन्हें 10 लाख लोग बोलते हैं। भाषाओं में हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, पंजाबी, अरबी, जापानी, रूसी, पुर्तगाली, मंदारिन और स्पेनिश बोली जाती हैं। विश्व में भाषाई व सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए और कई मातृ भाषाओं के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से ही अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है।
बांग्लादेश से हुई मातृभाषा दिवस की शुरुआत
अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस बांग्लादेश द्वारा अपनी मातृभाषा की रक्षा के लिए किए गए किए गए लंबे संघर्ष की याद में मनाया जाता है। बांग्ला मातृभाषा के अस्तित्व के लिए साल 1952 में ढाका विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन शुरू किया था। लेकिन जल्द ही यह प्रदर्शन एक नरसंहार में बदल गया। जिसे रोकने के लिए तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसाई, जिससे कई और लोगों की भी जानें गई। बांग्लादेश सरकार के अस्तित्व में आने के बाद बांग्लादेश सरकार ने यूनेस्को के सामने एक प्रस्ताव रखा। साल 1999 में यूनेस्को ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की घोषणा की थी, लेकिन इस पहली बार साल 2000 में मनाया गया था।
क्या है अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का उद्देश्य ?
यह दिन लोगों के भीतर भाषाओं के प्रति लगाव, संरक्षण और बचाव को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
हमारे देश में हिंदी शीर्ष पर काबिज
भारत में 19 हजार से ज्यादा मातृभाषा हैं। देश में साल 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार 43.63 फीसदी लोग हिंदी को अपनी मातृभाषा मानते हैं। दूसरे नंबर पर बांग्ला और तीसरे नंबर पर मराठी भाषा है। वहीं गैर सूचीबद्ध भाषाओं की बात करें, तो राजस्थान में बोली जाने वाली भीली इस सूची में पहले जबकि गोंडी भाषा दूसरे नंबर पर आती है।
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