आज से शुरू हुआ यहूदी नववर्ष, जानें क्या होता है रोश हसनाह

rosh hashanah
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रितिका कमठान । Sep 15 2023 3:01PM
आमतौर पर ये त्योहार सितंबर या अक्टूबर के महीने में शुरू होता है। ऐसे में रोश हाशनाह दुनिया भर के यहूदी लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण छुट्टियों में से एक मानी जाती है। रोश हाशनाह दुनिया के निर्माण को बताया है। ये त्योहार विस्मय के दिनों के प्रतीक के तौर पर याद किया जाता है।

दुनिया भर में रहने वाले यहूदी लोगों के लिए आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है, जिसे रोश हाशनाह कहा जाता है। यहूदी धर्म के लिए आज का दिन सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इसी दिन यहूदियों का नववर्ष भी शुरू होता है। यहूदी धर्म में ये त्योहार हिब्रू कैलेंडर के सातवें महीने में तिशरेई के पहले दिन शुरू होता है।

आमतौर पर ये त्योहार सितंबर या अक्टूबर के महीने में शुरू होता है। ऐसे में रोश हाशनाह दुनिया भर के यहूदी लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण छुट्टियों में से एक मानी जाती है। रोश हाशनाह दुनिया के निर्माण को बताया है। ये त्योहार विस्मय के दिनों के प्रतीक के तौर पर याद किया जाता है। इस त्योहार की समाप्ति 10 दिन की अवधि के बाद होती है जिसमें आत्मनिरीक्षण और पश्चाताप की अवधि शामिल है। जब ये त्योहार खत्म होता है तो उसे योम किप्पुर कहा जाता है, जिसे प्रायश्चित के दिन के तौर पर भी देखा जाता है।

बता दें कि यहूदी धर्म में रोश हशनाह और योम किप्पुर यहूदी धर्म में दो बेहद और महत्वपूर्ण पवित्र दिन माना जाता है। इस बार रोश हशनाह 15 सितंबर को शुरू होगा जो कि 17 सितंबर को खत्म होगा। रोश हशनाह की सही तारीख हर साल बदलती है। दरअसल ये त्योहार हिब्रू कैलेंडर पर आधारित होता है। इस त्योहार की शुरुआत सातवें महीने से होती है।

इसलिए है महत्वपूर्ण

बता दें वैसे तो यहूदी धर्म के संस्थापक धार्मिक पाठ में रोश हशनाह का किसी तरह का उल्लेख देखने को नहीं मिलता है। बता दें कि बाइबल में कई नामों के जरिए इसका जिक्र हुआ है। इस त्योहार की शुरुआत लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में हुई होगी। 

ऐसे मनाते हैं त्योहार

बता दें कि इस त्योहार को परंपरा के मुताबिक मनाया जाता है। बता दें कि भगवान रोश हशनाह योम किप्पुर के 10 दिनों के दौरान सभी प्राणियों का न्याय करते है। वो आने वाले वर्षों में जीवित रहेंगे या नहीं ये भी इस दौरान तय किया जाता है। यहूदी कानून की बात करें तो वो ये सिखाता है कि परमेश्वर जीवन की पुस्तक में धर्मी लोगों के नाम अंकित करता है। जो लोग दुष्टता करते हैं उन्हें मौत की सजा दी जाती है। ये दो लोगों की श्रेणियों के बीच आते है। 

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