डॉक्टर्स डे क्यों मनाया जाता है ? यह दिवस भारत में किसको समर्पित है ?

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चिकित्सकों को अपने रोगी को नियमित रूप से ‘करो योग रहो निरोग’ की सलाह भी देनी चाहिए। भारतीय योग को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने विश्वव्यापी पहचान दिलाई है। संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा के अनुसार 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।

1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पृथ्वी पर मानवों का भगवान कहे जाने वाले चिकित्सकों को समर्पित है। संसार के अलग-अलग देशों में यह दिवस भिन्न-भिन्न तिथियों पर मनाया जाता है। भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. बिधान चन्द्र रॉय को श्रद्धांजलि और सम्मान देने के लिये 1 जुलाई को उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर इसे प्रतिवर्ष मनाये जाने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 1991 में घोषणा की थी। जिसका मुख्य उद्देश्य चिकित्सकों की बहुमूल्य सेवा, भूमिका और महत्व के बारे में आमजनों को जागरूक करना है।

डॉ. रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना में हुआ था। रॉय साहब ने अपनी डॉक्टरी की डिग्री कलकत्ता से पूरी की और 1911 में अपनी एमआरसीपी और एफआरसीएस की डिग्री लंदन से पूरी की और उसी वर्ष से भारत में एक चिकित्सक के रूप में अपने चिकित्सा जीवन की शुरुआत की। बाद में वे कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से एक शिक्षक के रूप में जुड़ गये। वह एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे और नामी शिक्षाविद् होने के साथ ही एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। आजादी के बाद उन्होंने अपना सारा जीवन रोग मुक्त भारत के निर्माण के लिए समर्पित कर दिया।

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डॉ. राय ने पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री का दायित्व भी बड़ी ही कुशलतापूर्वक निभाया। 4 फरवरी 1961 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। इस दुनिया में अपनी महान सेवा देने के बाद 80 वर्ष की आयु में 1962 में अपने जन्मदिवस के दिन ही 1 जुलाई को उनकी मृत्यु हो गयी। डॉ. राय को सम्मान और श्रद्धांजलि देने के लिये वर्ष 1976 में उनके नाम पर डॉ. बी.सी. रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार की शुरुआत हुई। 

डॉ. बिधान चन्द्र रॉय जैसे डॉक्टरों को ही धरती पर भगवान का रूप कहा गया है। इस बात को कानपुर में रहने वाले डॉ. अजीत मोहन चौधरी ने पूरी तरह सच कर दिखाया। डॉ. चौधरी ने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की है। 100 बेड के अस्पताल का मालिक होने के बावजूद भी डॉ. अजीत हर रोज कानपुर कचहरी के बाहर फुटपाथ पर बैठकर गरीब बीमारों को चेकअप करते हैं और उन्हें मुफ्त में दवा भी देते हैं। डॉ. चौधरी ने शहीद सैनिकों के सम्मान में गरीब और असहाय लोगों का मुफ्त इलाज करने की ठान ली। वह रोजाना 2 घंटे गरीबों और असहाय लोगों का मुफ्त में इलाज करने लगे। डॉ. चौधरी के पास जो भी मरीज आता है। वह उसकी बारीकी से जांच करने के बाद अपने पास से मरीज को मुफ्त दवा देते हैं।

अपने मरीजों के बीच वाकई धरती के भगवान बन चुके आगरा के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनिल अग्रवाल हैं। 28 साल पहले डॉ. अग्रवाल ने समाज के लिए कुछ करने की ठानी। इसके बाद से वह थैलीसीमिया के मरीजों की सेवा में जुट गए। इस भयावह बीमारी के मरीजों का वह न केवल मुफ्त इलाज करते हैं, बल्कि रक्त भी निःशुल्क चढ़ाते हैं। सेवा कार्य के लिए उन्होंने समर्पण ब्लड बैंक से अनुबंध कर रखा है। डॉ. अनिल के अनुरोध पर ब्लड बैंक ने भी खास सुविधा दी है। थैलीसीमिया के मरीजों को तीन यूनिट के बदले 12 यूनिट रक्त मिलता है। इससे मरीज के तीमारदारों को हर महीने रक्त देने की जरूरत नहीं पड़ती।

विश्व में अनेक चिकित्सा पद्धतियां प्रचलित हैं। जैसे- एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी, इलेक्ट्रोपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, आहार चिकित्सा, संगीत चिकित्सा, हास्य योग, हास्य थिरेपी आदि चिकित्सक को मरीज से कभी यह नहीं कहना चाहिए कि आपकी बीमारी लाइलाज है वरन् यह कहना चाहिए कि आपका इलाज हमारी पैथी में नहीं है। जहां दवा कार्य नहीं करती वहां दुआ से भरी उम्मीद कार्य करती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मत है कि जो व्यक्ति उत्साहपूर्ण होगा, खुश होगा, सन्तुष्ट होगा, उसे सहसा किसी बीमारी का सामना नहीं करना पड़ेगा। वह बीमार भी पड़े तो जल्द ही ठीक हो जाता है। हंसने पर हमारे शरीर में पेट के स्नायुओं में लयबद्ध हलचल पैदा होती है और अंतड़ियों में भी संतुलित घर्षण निर्माण होती है। इस कारण पाचनशक्ति में सुधार होता है। अमेरिका के कई विश्वविद्यालयों ने ‘हास्य’ पर शोध किया है। उसके निष्कर्ष यही दिखाते हैं कि हास्य, स्मृति, मन के स्तर पर संतोष की खास लहरें निर्माण करती हैं। रासायनिक खेती, प्रदूषण तथा खाने-पीने की चीजों में मिलावट आदि भी अनेक रोगों के मुख्य कारण हैं।

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चिकित्सकों को अपने रोगी को नियमित रूप से ‘करो योग रहो निरोग’ की सलाह भी देनी चाहिए। भारतीय योग को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने विश्वव्यापी पहचान दिलाई है। संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा के अनुसार 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। आज विश्व के अनेक देशों में शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए योग को अपनी दिनचर्या में शामिल किया है। योग और अध्यात्म दोनों ही मनुष्य के तन और मन दोनों को सुन्दर एवं उपयोगी बनाते हैं। योग का मायने हैं जोड़ना। योग मनुष्य की आत्मा को परमात्मा की आत्मा से जोड़ता है। इसलिए हमारा मानना है कि प्रत्येक बच्चे को बचपन से ही योग एवं अध्यात्म की शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जानी चाहिए। सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए ‘योग’ वर्तमान समय की सारे विश्व की अनिवार्य आवश्यकता है और यह हमारी महान साँस्कृतिक विरासत भी है। मानसिक तथा आत्म नियंत्रण को पाने में योग मदद करता है।

संगीत के सात स्वर बीमारियों को छूमंतर कर सकते हैं। संगीत मन के भाव को बयां करने का बेहद सरल तरीका है। संगीत में लय, ताल का समावेश है तो संगीत थिरकने पर मजबूर कर देता है। लेकिन यही संगीत हमारे स्वास्थ्य को भी बेहतर कर सकता है। वैदिक काल में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जिनसे यह पूरी तरह से प्रमाणित होता है कि उस समय संगीत चिकित्सा शिखर पर रही होगी। ऊँ का नाद स्वर इसी संगीत चिकित्सा का सर्वोपरि उदाहरण है।

मधुर लय भारतीय संगीत का प्रधान तत्व है। विभिन्न ‘राग’ केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली से संबंधित अनेक रोगों के इलाज में प्रभावी पाए गए हैं। संगीत चिकित्सा का सिद्धांत, सही स्वर शैली तथा संगीत के मूल तत्वों के सही प्रयोग पर निर्भर करता है। भारत में प्रत्येक वर्ष 13 मई को संगीत चिकित्सा दिवस के रूप में मनाया जाता है। संगीत चिकित्सा आघात (स्ट्रोक) के शिकार व्यक्तियों को तेजी से ठीक होने में मदद करती है। वहीं कुछ विशेष शोध के आधार पर यह पता लगाया गया कि मोजार्ट के पियानो सोनाटा को सुनने से मिर्गी के मरीज में दौरों की संख्या कम की जा सकती है।

चिकित्सा जगत में विशेषकर मानसिक रोगों में संगीत के योगदान को स्वीकारा गया है। जानवरों पर विशेषकर गाय तथा भैंस पर संगीत का सकारात्मक प्रभाव देखा गया है। संगीतमय वातावरण में इनकी दूध देने की मात्रा अधिक हो जाती है तथा उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। यह एक सच्चाई है कि दुनिया का सबसे छोटा मानव भी अच्छे संगीत को पसंद करता है। सबसे छोटे मानव से हमारा आशय प्री मैच्योर शिशुओं से है। स्विस शोधकर्ताओं ने पाया है कि विशेष तौर पर तैयार संगीत को सुनने से ऐसे बच्चों का दिमागी विकास तेजी से होता है।

एक समाचार के अनुसार प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम- जेएवाई) के तहत गरीब परिवारों को इलाज के लिये पांच लाख रुपये तक का मुफ्त बीमा कवर देने वाली इस योजना पर अब इलाज करने वाले अस्पतालों के प्रदर्शन पर नजर रखी जायेगी और उसके मुताबिक उन्हें ‘स्टार रेटिंग’ दी जायेगी। योजना का संचालन करने वाली एजेंसी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सीईओ डॉ. इंदु भूषण ने 20 मार्च 2019 को यह जानकारी दी। देश के करीब 11 करोड़ गरीब परिवारों के 50 करोड़ से अधिक लोगों को सरकारी और निजी अस्पतालों में नकदी रहित इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने वाली ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत अब तक देश भर में 15,000 अस्पताल जुड़ चुके हैं।

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महान मानवतावादी डॉ. बिधान चन्द्र रॉय की जयंती और पुण्यतिथि पर हमारा इस सच्चाई पर पूरा विश्वास है कि अब 21वीं सदी के विकसित युग में लोकतंत्र को देश की सीमाओं से निकाल कर विश्व के प्रत्येक नागरिक को वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था (विश्व संसद) के गठन के बारे में सोचना तथा कार्य करना चाहिए। तभी हम अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, परमाणु शस्त्रों को होड़ तथा युद्धों की तैयारी में होने वाले खर्चे को बचाकर उस विशाल धनराशि को विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को रोटी, कपड़ा, मकान, सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा उपलब्ध कराने में नियोजित कर सकेंगे।

विश्व के प्रत्येक वोटर को भ्रष्टाचार रहित, सामाजिक तथा आर्थिक सुरक्षा देने के लिए सभी देशों की सरकारों द्वारा यूनिवर्सल बेसिक इनकम से आगे बढ़कर भावी वोटरशिप महायोजना के अन्तर्गत गरीब तथा अमीर का भेदभाव किये बिना प्रतिमाह कुछ धनराशि वोटर के बैंक के खाते में सीधे डालनी चाहिए। ताकि आज के सभ्य विश्व के किसी व्यक्ति या उसके बच्चों को बीमारी तथा भूख से पैसों के अभाव के कारण मरना न पड़े। वोटर को यह धनराशि दया करके नहीं वरन् वोट डालकर देश की तथा राज्य की सरकारों के गठन की फीस के रूप में मिलनी चाहिए। सही मायने में तब धरती का प्रत्येक नागरिक राजनैतिक, शारीरिक, सामाजिक, मानसिक, आर्थिक तथा आध्यात्मिक रूप से सम्पूर्ण स्वस्थ, स्वतंत्रतापूर्वक तथा सम्मानपूर्वक अपना जीवन जी सकेगा। इस दिशा में वर्तमान में भारत सरकार द्वारा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर योजना के अन्तर्गत 439 योजनाओं के माध्यम से पैसा सीधे पात्र व्यक्ति के खाते में डाला जा रहा है।

केन्द्र के सरकारी खजाने से सीधे प्रत्येक वोटर के खाते में पैसा प्रतिमाह आने से उसके अंदर स्वतः ही यह भाव उत्पन्न होगा कि वह देश के अधिक से अधिक विकास में योगदान के लिए क्या कर सकता है ? देश की राष्ट्रीय आय बढ़ाने के प्रति भी वह जागरूक होगा। क्योंकि राष्ट्रीय आय बढ़ने तथा घटने से उसकी वोटरशिप की धनराशि पर सीधे असर पड़ेगा। मतदान करने का प्रतिशत बढ़कर शत प्रतिशत हो जायेगा। लोकतंत्र के प्रति प्रत्येक वोटर का विश्वास बढ़ेगा। वर्तमान में केन्द्र के सरकारी खजाने से पैसा गांव के प्रधान तथा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रान्सफर योजना के अन्तर्गत 439 योजनाओं के माध्यम से केवल पात्र व्यक्ति तक आ पा रहा है। भारत सरकार को बस एक धक्का लगाकर उसे सीधे प्रत्येक वोटर के खाते तक पहुंचाना है। अति आधुनिक मशीनीकरण तथा कम्प्यूटर के युग में प्रत्येक बेरोजगार को नौकरी देना सम्भव नहीं है। बेरोजगार युवा परिवार के लिए बोझ की आत्मगिलानी में जीता है।

  

विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत को भावी वोटरशिप महायोजना को जल्द से जल्द लागू करके विश्व के समक्ष मिसाल प्रस्तुत करना चाहिए। धरती को नये-नये रोगों, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, शरणार्थी समस्या, शस्त्रों की होड़, भूख आदि की विकराल समस्याओं से मुक्ति का मार्ग भावी वोटरशिप महायोजना से अवश्य प्रशस्त होगा। सारा विश्व भारत में लोकतंत्र के विकास तथा सफलता की उच्चतम अवस्था का अनुकरण करने के लिए भावी वोटरशिप महायोजना को अपने-अपने देश में लागू करेगा। परमाणु बमों से घायल धरती माता सम्पूर्ण स्वास्थ्य की सुखद अनुभूति करेंगी। इस प्रकार भारतीय संस्कृति के आदर्श वसुधैव कुटुम्बकम् की परिकल्पना साकार होगी। 

-प्रदीप कुमार सिंह

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