अंतरराष्ट्रीय चुटकुला दिवस पर जानिये क्यों हँसना और हँसाना जरूरी है स्वास्थ्य के लिए

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हंसी और चुटकुलों के इसी संबंध को समझते हुए हर वर्ष 1 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय चुटकुला दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय चुटकुला दिवस को दुनिया में हंसी फैलाने के मकसद से मनाया जाता है।

1 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय चुटकुला दिवस सारे विश्व में मनाया जाता है। केवल आज ही नहीं वरन् रोजाना हंसी और खुशी का बहाना ढ़ूंढ़ते रहिए। यूं तो हंसने के कई बहाने होते हैं लेकिन इनमें से सबसे आसान तरीका है चुटकुला। जोक्स, चुटकुले और व्यंग्य के छोटे पद अक्सर हमारी हंसी को बेझिझक बाहर निकालते हैं। दुनिया में हजारों किस्म के चुटकुले प्रचलित हैं। कुछ किसी प्रमुख व्यक्ति विशेष पर आधारित होते हैं तो कुछ किसी समुदाय विशेष पर। अकसर चुटकुले हमारी हंसी की वजह बनते ही हैं। हंसी जीवन के लिए अहम है और चुटकुले हंसी के लिए अहम हैं।

हंसी और चुटकुलों के इसी संबंध को समझते हुए हर वर्ष 1 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय चुटकुला दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय चुटकुला दिवस को दुनिया में हंसी फैलाने के मकसद से मनाया जाता है। इस दिन दुनिया में लोग अपने दोस्तों और करीबियों को चुटकुले बांटते हैं और खुशियां फैलाते हैं। हिन्दी लोकप्रिय फिल्म जीने की राह के गीत की पंक्तियां हमसे बहुत कुछ कहती हैं- जमाने वालों किताबे गम में खुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।

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महात्मा बुद्ध के कई शिष्य थे उनमें से एक थे जापान के होतेई। ऐसा माना जाता है कि जब होतेई ने ज्ञान की प्राप्ति की और तब वह जोर-जोर से हंसने लगे। तभी से उन्होंने अपने जीवन का एकमात्र उद्देश्य बनाया लोगों को हंसाना और खुश देखना। होतेई जहां भी जाते वहां लोगों को हंसाते। इसी वजह से जापान और चीन में लोग उन्हें हंसता हुआ बुद्धा बुलाने लगे, जिसका अंग्रेजी में अर्थ है लाफिंग बुद्धा। बाकि बौद्ध गुरुओं की ही तरह लाफिंग बुद्धा के भी अनुयायियों ने उनके एकमात्र उद्देश्य को देश-दुनिया में फैलाया। चीन में लाफिंग बुद्धा को धन-वैभव-संपन्नता सफलता और सुख-शांति का देवता मानते हैं। बुद्धा के हंसते हुए चेहरे को खुशहाली ओर संपन्नता का द्वार समझा जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार हंसना जरूरी है सांस बाहर की ओर छोड़ते समय: हा-हा कर हंसने से शरीर के कई महत्वपूर्ण हिस्सों में रक्त का संचार सुचारू रूप से होता है, जिससे ये अंग मजबूत होते हैं। सांस को बाहर की ओर निकालते हुए खुलकर हो-हो करते हुए हंसने से तंत्रिका तंत्र और पाचन तंत्र पर अच्छा प्रभाव पड़ता है और इनकी कार्य क्षमता बढ़ती है। हंसने से हम मन की शक्ति का अधिक से अधिक प्रयोग कर पाते हैं। हा-हा, हा-हा की आवाज में जोर से हंसने से ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है। हंसना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। रात को हास्य योग का अभ्यास करने से सारी चिंताएं मिट जाती हैं और नींद अच्छी आती है। हंसने से सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। हंसना भी एक योग है। हंसते समय हमारा दिमाग तनावमुक्त हो जाता है। हंसने से इधर-उधर भटक रहा मन स्थिर हो जाता है और ध्यान लगाना आसान हो जाता है। खूब हंसना हास्य ध्यान योग लगाने के लिए बहुत जरूरी है।

चार्ली चैपलीन कहते थे, जिन्दगी में सबसे बेकार दिन वह है जिस दिन आप नहीं हंसे। हंसने से मानसिक तनाव में कमी आती है। हंसने से टी सेल्स की संख्या में वृद्धि होने से हृदय रोग की कम संभावना होती है। हंसने से अल्सर, अर्थराइटिस, स्ट्रोक, डायबिटीज आदि के प्रभाव में कमी आती है। हंसने से ब्लडप्रेशर में कमी आती है। उस दिन को बेकार समझो, जिस दिन आप हंसे नहीं। चेहरे की एक मुस्कान ही धरती पर एकता और शांति की शुरूआत है। हंसने से सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार सारी धरती पर होता है। हास्य फिल्में तथा उनके हास्य से भरे गाने भी व्यक्ति के जीवन में खुशी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। 

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भारत की मशीनें युगांडा को बेचने का ऐसा अंदाज आपने अभी तक सिर्फ टीवी के विज्ञापनों में ही देखा होगा, लेकिन प्रधानमंत्री श्री मोदी ने एकदम सही जगह पर सही चुटकुला सुनाया। मुमकिन है कि उनका ये चुटकुला युगांडा की सरकार के लिए असरदार साबित हो। पूरी सभा वहां बैठी हुई थी और उनके बीच में पीएम मोदी ने एक चुटकुले की मदद से भारत में बनी मशीनों को युगांडा को बेचने का जो तरीका अपनाया, वो वाकई काबिले तारीफ है। मोदी की मार्केटिंग के तरीके की तो तारीफ करना बनता है। तो चलिए पहले जानते हैं क्या चुटकुला सुनाया प्रधानमंत्री श्री मोदी ने।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की महंगी मशीनों के पीछे का कारण बताते हुए चुटकुला सुनाया। उन्होंने कहा, मैं जब छोटा था तो एक चुटकुला सुना करता था कि एक बस स्टाप पर गरीब लड़का पंखा बेच रहा था, जो एक रूपए में पंखा दे रहा था। दूसरे वाले ने 8 आने बताया, तीसरा 4 आने में पंखा बेच रहा था। एक शख्स ने 4 आने वाला पंखा लिया, लेकिन 3-4 बार पंखा हिलाने पर ही वह टूट गया, तो उसने तुरंत पंखा वाले को पकड़ा और कहा कि यह तो टूट गया। इस पर पंखा बेचने वाले ने जवाब दिया कि मैंने पंखा हिलाने को थोड़ी कहा था, पंखा नहीं मुंडी हिलानी थी।

पीएम मोदी ने ये चुटकुला सुनाने के बाद कहा, हो सकता है कि शुरूआत में कुछ चीजें महंगी हों, लेकिन वे लंबे समय तक चलती है। जबकि सस्ती चीजें महीनों खराब रहेंगी, क्योंकि उन्हें ठीक करने वाला भी उसी देश से लाना पड़ेगा। मैं विश्वास दिलाता हूं कि जीरो डिफेक्ट के साथ हम आपको मशीन और टेक्नोलॉजी देने को तैयार हैं, वो शुरूआत में महंगा होगा। लेकिन यह आपको तय करना है कि पंखा हिलाना है या मुंडी हिलानी है?

भले ही पीएम मोदी का चुटकुला युगांडा के लोगों को पंसद आए या ना आए, लेकिन उन्होंने अपने एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वी पर तो तगड़ा हमला किया है। सस्ती चीजें अक्सर खराब रहती हैं और इन्हें बनाने वाला भी उसी देश से बुलाना पड़ेगा। ये कहकर पीएम मोदी ने सीधे चीन पर निशाना साधा है। चीन की चीजें पूरी दुनिया में इस्तेमाल की जाती हैं और वह बेहद सस्ती भी होती हैं। हां ये भी सच है कि सस्ती होती हैं, इसलिए ज्यादा दिन नहीं चलतीं। पीएम ने युगांडा को इशारे-इशारे में साफ-साफ कह दिया है कि अगर वह अच्छी चीज लेना चाहते हैं तो उसके लिए अधिक कीमत भी चुकानी होगी।

अमेरिका के एक बुजुर्ग नार्मन कजिन हैं, उनका दावा है कि पचहत्तर साल के जीवन में वे कभी भी बीमार नहीं पड़े और उन्हें कभी दवा की जरूरत महसूस ही नहीं हुई। इसका पूरा श्रेय वह अपने सदा खुश रहने वाले स्वभाव को देते हैं। वह एक अमेरिकी पत्रकार हैं। नार्मन 1964 में रूस गए थे। वहां बुखार ने उन्हें परेशान करना शुरू किया उनका बुखार निरंतर बढ़ रहा था। रूस का दौरा अधूरा छोड़कर वह अमेरिका लौट आये, किंतु बुखार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। बुखार के साथ-साथ बदन दर्द, थकान बढ़ती ही जा रही थी। डॉक्टरों ने उनकी बीमारी को लाइलाज घोषित करते हुए कहा कि अगर वह ठीक हो जाएं तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं होगा।

नार्मन ने सोचा कि अगर यह सच है कि निरंतर शारीरिक तनाव, चिंता होने से आदमी बीमार पड़ता है, तो इसके विपरीत भी सत्य होना चाहिए। उनके अंदर विश्वास जागृत हुआ कि निरंतर खुश रहने वाला, भयमुक्त, दूसरों से प्रेम करने वाला व्यक्ति स्वास्थ्यपूर्ण जीवन जी सकता है। बस फिर क्या था, नार्मन ने अपना धीरज न खोते हुए अपना इलाज करना शुरू किया। वह मन को प्रसन्न करने वाली किताबें पढ़ने तथा चुटकुलों का प्रयोग करने लगे। इस प्रयोग के फलस्वरूप नार्मन की दवाइयां छूट गयीं। कुछ ही महीनों में वह पहले जैसा स्वस्थ जीवन अनुभव करने लगे। उन्होंने फिर से पत्रकारिता शुरू की। उनका ठीक होना, विशेषज्ञों के लिये एक अचंभा रहा। ‘आनाटामी ऑफ इलनेस’ नाम की किताब में नार्मन ने अपने इस अनुभव का विस्तार से वर्णन किया है। नार्मन की इस पुस्तक से चिकित्सा क्षेत्र में बड़ी खलबली मच गयी। लेकिन आज इस उपचार पद्धति का महत्त्व सभी ने खुले दिल से स्वीकार किया है।

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एक व्यक्ति ने जन्म से दृष्टिहीनता के कारण प्रकृति की सुंदरता को कभी अनुभव नहीं किया। हरी-भरी वसुंधरा, नीला गगन, कलकल बहते झरने, रंगबिरंगे फूल, सब कुछ उसने अपनी कल्पना से महसूस किया था। इकत्तीस वर्ष में जब वह पहुंचा तो उसकी आंखों पर शल्यक्रिया हुई और उसे उसकी दृष्टि वापस मिल गयी। उसे लगा जैसे उसने एक नई दुनिया में प्रवेश किया है। किसी ने उससे पूछा, अब तुम देख सकते हो। आसपास देखकर तुम्हें क्या महसूस होता है? उसका उत्तर था, जब तक मेरे सामने अंधेरा था, मैं सोचता था कि इस जग में सभी लोग खुश हैं, संतुष्ट हैं, किंतु वास्तव तो कुछ और ही है। अनगिनत चेहरे दुखी हैं, गंभीर हैं, चिन्तित हैं। प्रसन्न चेहरे तो दिखाई ही नहीं देते। सिर्फ बच्चों के चेहरे खुश दिखते हैं, किंतु बढ़ती उम्र के साथ वे भी गंभीर हो जाएंगे।

मानव जाति की अज्ञानता के कारण नीले रंग की आकर्षक तथा सुन्दर धरती माता का हंसता हुआ चेहरा आज आंसुओं से भरा है। धरती माता बारूद के ढेर पर बैठी है। वह धरती की अपनी संतानों के इस बुरे व्यवहार से अत्यधिक दुखी है। शायद इसी से दुखी होकर शान्ति के पुजारी भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री, हिन्दी कवि, पत्रकार व एक प्रखर वक्ता पूज्यनीय अटल बिहारी बाजपेई के हृदय से उनकी मार्मिक कविता के ये बोल निकले होंगे- हम जंग न होने देंगे! विश्व शांति के हम साधक हैं, जंग न होने देंगे। कभी न खेतों में फिर खूनी खाद फलेगी, खलिहानों में नहीं मौत की फसल खिलेगी। आसमान फिर कभी न अंगारे उगलेगा, एटम से नागासाकी फिर नहीं जलेगी। अटल जी ने केन्द्र सरकार में पक्ष तथा विपक्ष दोनों की भूमिका को कुशलतापूर्वक निभाने की मिसाल प्रस्तुत की थी। वह लम्बे राजनैतिक कार्यकाल में सदैव सबको हंसाते रहते थे। इस कारण संसार में उनका कोई विरोधी नहीं था।

वर्तमान में सारा विश्व आतंकवाद, रोगों, ग्लोबल वार्मिंग तथा घातक शस्त्रों की होड़ से पीड़ित है। हास्य एक सार्वभौमिक भाषा है। हंसी में जाति, धर्म, रंग, लिंग, देश की सीमाओं से परे रहकर मानव जाति को एकता रूपी धागे से जोड़ने की क्षमता है। हंसी से सारे विश्व को जोड़कर लोकतांत्रिक एवं न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं। जीवन की हर परिस्थिति में हमारे चेहरे पर हंसी तथा मस्तिष्क में शान्ति बनी रहनी चाहिए। युगानुकूल एक विचार में बहुत शक्ति होती है। हमें सकारात्मक तथा मानवीय विचार की शक्ति को पहचानना चाहिए। 21वीं सदी में संसार के प्रत्येक व्यक्ति को मानव जाति की सेवा के विश्वव्यापी दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए। हमारा पूरा विश्वास है कि हंसी अर्थात हैप्पी थॉट्स ही विश्व में वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा को साकार कर सकता है। 

-प्रदीप कुमार सिंह

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