Moon Landing Anniversary: 20 जुलाई को नील ऑर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा की सतह पर रखा था कदम, ऐतिहासिक बना था ये क्षण

आज ही के दिन यानी की 20 जुलाई को अपोलो 11 चंद्रमा की सतह पर उतरा था। उस समय चंद्रमा पर जाने के मिशन को असंभव माना जा रहा था। क्योंकि उस समय उपकरण, रॉकेट और अंतरिक्ष यात्रियों की क्षमताओं पर काफी संदेह था।
आज ही के दिन यानी की 20 जुलाई को अपोलो 11 चंद्रमा की सतह पर उतरा था। इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनने के लिए लाखों की संख्या में लोग अपने घरों में बैठकर टीवी पर देख रहे थे। उस समय चंद्रमा पर जाने के मिशन को असंभव माना जा रहा था। क्योंकि उस समय उपकरण, रॉकेट और अंतरिक्ष यात्रियों की क्षमताओं पर काफी संदेह था। हालांकि जब से अपोलो 11 के अंतरिक्ष यात्री सतह पर उतरे हैं, तब से उनके पदचिन्हों पर चलने वाले सिर्फ 10 ही हुए हैं।
चंद्रमा पर कब उतरा अपोलो 11
बता दें कि नील आर्मस्ट्रांग ने पहली बार 21 जुलाई 1969 में पहली बार चंद्रमा की सतह पर कदम रखा था। लेकिन इससे कई घंटे पहले लूनर मॉड्यूल 20 जुलाई 1969 की रात चंद्रमा पर उतरा था। यह एक ऐसी उपलब्धि थी, जिसकी योजना मिशन से कई सालों पहले से बनाई गई थी। लेकिन इसके बाद भी अंतरिक्ष यात्रियों को सफलतापूर्वक उतरने तक के रास्ते में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा था। हालांकि तमाम बाधाओं के बाद भी मिशन जारी रहा और अपोलो 11 पर सवार टीम लगातार मिशन नियंत्रण और कमांड मॉड्यूल के साथ संपर्क में रहे।
अपोलो 11 मिशन पर कौन-कौन था
अपोलो 11 मिशन के तीन चालक दल के सदस्य कमांडर नील आर्मस्ट्रांग, कमांड मॉड्यूल पायलट माइकल कॉलिन्स और लूनर मॉड्यूल पायलट एडविन 'बज' एल्ड्रिन थे। बता दें कि नील आर्मस्ट्रांग मनुष्य के लिए एक छोटा कदम और उद्धरण के पीछे के अंतरिक्ष थे। वहीं एल्ड्रिन ने चंद्रमा पर अंतरिक्ष बूट छाप की तस्वीर खींची थी। जोकि अध्ययन का एक हिस्सा था।
अपोलो 11 को चंद्रमा तक पहुंचने में 4 दिन, 6 घंटे और 45 मिनट लगे थे। इस मिशन का शुरूआती उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर उतरने की बजाय चंद्रमा की परिक्रमा करने के लिए तीन व्यक्तियों के दल को भेजना था। लेकिन बाद में इस मिशन में बदलाव किया गया और अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा की सतह तक पहुंचने में सफल रहे।
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