Sachin Tendulkar की आत्मकथा "Playing it my Way" का नौ वर्ष पूर्व आज ही हुआ था विमोचन, जानें किताब की रोचक बातें

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कई वर्षों के उनके खेल को ढ़ेरों लोगों ने करीब से देखा है और जब उनकी जीवनी सामने आई तो लोगों ने उसमें भी खास दिलचस्पी दिखाई। जानते हैं कि सचिन तेंदुलकर की जीवनी में क्या क्या शामिल हैं और किसका जिक्र किया गया है।

विश्व क्रिकेट में अपनी खास छाप छोड़ने वाले सचिन तेंदुलकर के नाम ढ़ेरों रिकॉर्ड रहे है। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट के इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ने के बाद अपनी आत्मकथा ''सचिन तेंदुलकर- प्लेइंग इट माई वे'' का विमोचन आज ही के दिन वर्ष 2014 में किया था। भारतीय क्रिकेट में सचिन को क्रिकेट का भगवान माना जाता है।

कई वर्षों के उनके खेल को ढ़ेरों लोगों ने करीब से देखा है और जब उनकी जीवनी सामने आई तो लोगों ने उसमें भी खास दिलचस्पी दिखाई। जानते हैं कि सचिन तेंदुलकर की जीवनी में क्या क्या शामिल हैं और किसका जिक्र किया गया है। बता दें कि सचिन तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा में बताया है कि क्रिकेट से पहले वो बचपन में टेनिस खेलने में भी खास दिलचस्पी दिखाते थे।

जानकारी के मुताबिक सचिन तेंदुलकर को टेनिस के अलावा क्रिकेट में रुझान जगाने के लिए उनके बड़े भाई अजीत तेंदुलकर का बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने ही सचिन तेंदुलकर में सबसे पहले एक क्रिकेटर को देखा था। इसके बाद वो ही सचिन को उनके कोच रमाकांत अचरेकर के पास लेकर पहुंचे थे, जिसके बाद जो हुआ वो पूरी दुनिया के सामने है।

कोच ने बदला जीवन

अपनी किताब में सचिन तेंदुलकर ने लिखा है कि उन्हें देखने के बाद उनके कोच रमाकांत अचरेकर ने पहले तो ट्रेनिंग देने से इंकार किया था। बाद में सचिन ने बिना भय के खेल दिखाया था, जिसे देखकर उनके कोच ने उन्हें सिखाने का फैसला किया था। सचिन तेंदुलकर को इतिहास के महान क्रिकेटर बनाने में उनके कोच रमाकांत का अहम रोल है। इसका जिक्र खुद सचिन तेंदुलकर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है। उन्होंने बताया कि अगर को किसी कारण से प्रैक्टिस पर नहीं जा पाते थे तो उनके कोच स्कूटर से उन्हें घर लेने जाते थे। सचिन के कोच का मानना था कि नेट प्रैक्टिस से अधिक जरुरी है कि मैच खेला जाए। ऐसे में सचिन को वो अपने ही स्कूटर पर मैच खिलाने लेकर जाते थे। 

बिना खाता खोले लौटे थे सचिन

बल्लेबाजी के कई रिकॉर्ड बनाने वाले सचिन तेंदुलकर अपने पहले ही मैच में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके है। महज 16 वर्ष की उम्र में 18 दिसंबर 1989 को अपना पहला वनडे मैच खेलने वाले सचिन बिना खाता खोले सिर्फ दो गेंद खेलकर पवेलियन लौट गए थे। ये वो दौर था जब पाकिस्तानी तेज गेंदबाज वसीम अकरम और वकार यूनुस ने इस महान बल्लेबाज को बहुत परेशान किया था। सचिन ने टीम के सीनियर खिलाड़ियों से सलाह मांगी, जिसके बाद उन्हें मदद दी गई और सचिन ने हर गेंदबाज का जमकर सामना किया।

अपनी आत्मकथा में सचिन ने अपनी उपलब्धियों के बारे में लिखा है। करियर के दौरान उन्हें कई बार उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ा है। उन्होंने शादी और पत्नी अंजली का भी जिक्र किया है। गौरतलब है कि ये किताब 6 नवंबर 2014 को लॉन्च की गई थी, जिसे लिखने में सचिन को पूरे तीन वर्ष का समय लगा था। सचिन तेंदुलकर ने सन्यास लेने से पहले वनडे में 18,426 रन, टेस्ट मैच में 15921 रन बनाए थे। सचिन तेंदुलकर के नाम शतकों के कई रिकॉर्ड हैं जिसमें वनडे मैच में सबसे पहला दोहरा शतक लगाना शामिल है। टेस्ट और वनडे मैच मिलाकर 100 शतक लगाने वाले सचिन पहले बल्लेबाज है।

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