नयी शिक्षा नीति के माध्यम से संस्कृत हुई और लोकप्रिय, दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा को मोदी ने बनाया रोजगारपरक

sanskrit diwas
शुभा दुबे । Aug 22 2021 10:59AM

संस्कृत दिवस सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। संस्कृत दिवस को मनाने की शुरुआत 1969 में हुई थी लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इस भाषा के प्रति बढ़ते मोह ने संस्कृत दिवस मनाने के प्रति लोगों का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया है।

संस्कृत सिर्फ दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा ही नहीं बल्कि आधुनिक विज्ञान की भी भाषा है। भारत सरकार की नयी शिक्षा नीति में संस्कृत को बढ़ावा देने के कई उपाय किये गये हैं। मोदी सरकार ने संस्कृत को रोजगार की भाषा बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाये हैं जिससे निश्चित ही आगे आने वाले समय में संस्कृत जन-जन की भाषा बन सकेगी। यही नहीं, नई पीढ़ी संस्कृत के अध्ययन और अध्यापन से लाभ उठाना शुरू भी कर चुकी है और इसके बहुत से उदाहरण सामने आ रहे हैं।

संस्कृत दिवस का इतिहास

संस्कृत दिवस सावन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। संस्कृत दिवस को मनाने की शुरुआत 1969 में हुई थी लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इस भाषा के प्रति बढ़ते मोह ने संस्कृत दिवस मनाने के प्रति लोगों का ध्यान विशेष रूप से आकर्षित किया है। संस्कृत दिवस के इतिहास की बात करें तो प्राचीन काल में इसी दिन गुरुकुलों में शिक्षण सत्र शुरू होता था। आज भी गुरुकलों में वेदों का अध्ययन शुरू कराने से पहले इस दिन नया यज्ञोपवीत धारण कराया जाता है। प्राचीन भारतीय इतिहास में यह भी उल्लेख मिलता है कि संस्कृत दिवस जिसे श्रावणी भी कहा जाता है, से ही छात्र शास्त्रों का अध्ययन शुरू करते थे। पहले पौष माह की पूर्णिमा से श्रावण माह की पूर्णिमा तक अध्ययन बंद रहता था। उसके बाद श्रावण पूर्णिमा से पौष पूर्णिमा तक अध्ययन चला करता था। 

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इस तरह बढ़ रही संस्कृत दिवस की लोकप्रियता

केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर संस्कृत सम्मेलनों, गोष्ठियों तथा श्लोकोच्चारण प्रतियोगिताओं के आयोजन के माध्यम से लोगों को संस्कृत की विशेषताओं से अवगत कराया जा रहा है। आज सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं बल्कि भारत के हर कोने में संस्कृत के अच्छे जानकार मिलते हैं। खासकर दक्षिण में संस्कृत के प्रति मोह काफी बढ़ा है और इसे छात्र वहाँ भी अतिरिक्त विषय के रूप में शामिल कर रहे हैं। यही नहीं अब तो विदेशी कॉलेजों में संस्कृत पढ़ाई जाने लगी है जिससे इस भाषा पर पकड़ मजबूत रखने वालों के लिए कॅरियर के नये विकल्प खुले हैं।

संस्कृत के प्रति प्रधानमंत्री मोदी का योगदान

इस साल संस्कृत दिवस का विशेष महत्व इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 अगस्त से 25 अगस्त तक संस्कृत सप्ताह मनाने को कहा है। संस्कृत सप्ताह के इस जश्न के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी से आग्रह किया है कि वह इस प्राचीन भाषा को सीखें और इसे बढ़ावा दें। मोदी सरकार का मानना है कि ऋषियों, मुनियों व तपस्वियों के ज्ञान, विज्ञान और दर्शन की अमूल्य धरोहर सहेजे, संस्कृत भाषा भारत की संस्कृति, सभ्यता व कई भाषाओं का आधार है। देखा जाये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैसे तो सभी भारतीय भाषाओं को समान रूप से बढ़ावा देते हैं परन्तु दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा के प्रति भी नई पीढ़ी का मोह बढ़े, इसके लिए खुद से भी प्रयास करते हैं। हाल ही में भारत के सबसे पुराने संस्कृत समाचार-पत्र सुधर्म के संपादक केवी संपत कुमार का निधन हो गया था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपत कुमार की पत्नी के.एस. जयलक्ष्मी को जो शोक पत्र भेजा था वह संस्कृत में लिखा था। प्रधानमंत्री के इस पत्र को कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ट्विटर पर साझा भी किया था।

-शुभा दुबे

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