समाज ने कहा था मार डालो, माता-पिता ने जमाने से लड़कर बेटी को बनाया मुकाबिल और JEE टॉप कर गई

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अभिनय आकाश । Jan 24 2020 2:15PM

सिमरन के पिता श्रीनिवास लकवे का शिकार हैं उसके पिता सिमरन के बारे में बताते हुए कहते हैं कि हरियाणा में बेटियों को अच्छी तरह नहीं लिया जाता था। सिमरन के पैदा होने के वक्त उन पर भी पारिवारिक दवाब था कि वह पैदा न हो। लेकिन पूरे परिवार ने सिमरन के लिए समाज की मान्यताओं से बगावत कर दिया।

हरियाणा के रोहतक में एक ऐसी लड़की ने आईआईटी की परीक्षा में टाप किया है जिसे समाज ने गर्भ में ही मार डालने को कहा था। लेकिन उसे जन्म देने के लिए माता पिता समाज से ही टकरा गए। अब उसी बेटी की समाज बलाए ले रहा है। घर वालों की इच्छा है कि सिमरन अब बेटी देश के बड़े आईआईटी संस्थान से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग करे।

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मिट्टी के संघर्ष ने इस कहानी को फौलादी बना दिया और इतना फौलादी कि लड़की ने सितारे को आसमान से तोड़कर पिता की झोली में डाल दी। ये कहानी सिमरन की है। सिमरन हसनगढ़ गांव के एक छोटे से किसान श्रीनिवास और सुनीता की बेटी सिमरन ने आईआईटी की प्राथमिक परीक्षा में 99.47 फीसदी नंबर लाकर सबको हैरान कर दिया। सिमरन की कहानी केवल एक परीक्षा पास कर लेने की कहानी नहीं है। इससे कहीं ज्यादा उसके माता-पिता के जमाने से लड़कर बेटी को मुकाबिल बनाने के साहस की कहानी है। क्योंकि सिमरन उस हरियाणा से आती है जो बेटियों को कोख में ही मार डालने के लिए बदनाम है। ये दवाब सिमरन के माता-पिता पर भी था। लेकिन उन्होंने जमाने को ठोकरों पर रख दिया। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि सिमरन को पैदा होने से पहले ही उसके पिता उसे गर्भ में मार देना चाहते थे।

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सिमरन के पिता श्रीनिवास लकवे का शिकार हैं उसके पिता सिमरन के बारे में बताते हुए कहते हैं कि हरियाणा में बेटियों को अच्छी तरह नहीं लिया जाता था। सिमरन के पैदा होने के वक्त उन पर भी पारिवारिक दवाब था कि वह पैदा न हो। लेकिन पूरे परिवार ने सिमरन के लिए समाज की सड़ी हुई मान्यताओं से बगावत कर दिया और ये बेटी-बचाओं बेटी पढ़ाओं के नारे से डेढ़ दशक पुरानी बात है। सिमरन अब आसमान में इतराती फिरती है। लड़कियों को मार डालने वाले समाज से लड़ने की हिम्मत उसके परिवार ने न दिखाई होती तो सिमरन के पंख निकलने से पहले ही उसकी सांसों को घोट दिया जाता। 

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जरा गौर करिए कि सिमरन ने कहां से निकलकर अपने मां-बाप को गौरव का ये पल दिया है।

  • हरियाणा में 12 फीसदी महिलाएं ही शहरों में नौकरी करती हैं।
  • हरियाणा में 100 में से केवल 15 लोग 12वीं के आगे की पढ़ाई कर पाते हैं।
  • 2018 में आईआईटी में 11942 दाखिलों में केवल 1841 लड़किया।
 

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