JNU हिंसा में अब तक क्या कुछ हुआ ? कहां से आएं नकाबपोश गुंडे ?

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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, वैसे तो ये हमेशा सुर्खियों में रहता है। लेकिन आज हम बीते वर्षों में हुई घटनाओं की चर्चा नहीं करेंगे बल्कि आज बात रविवार की शाम हुई हिंसा की करेंगे। रविवार की शाम को अचानक से नकाबपोशों ने साबरमती हॉस्टल में घुसकर तोड़फोड़ की और वहां मौजूद लड़के-लड़कियों दोनों को पीटा।

नयी दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, वैसे तो ये हमेशा सुर्खियों में रहता है। लेकिन आज हम बीते वर्षों में हुई घटनाओं की चर्चा नहीं करेंगे बल्कि आज बात रविवार की शाम हुई हिंसा की करेंगे। रविवार की शाम को अचानक से नकाबपोशों ने साबरमती हॉस्टल में घुसकर तोड़फोड़ की और वहां मौजूद लड़के-लड़कियों दोनों को पीटा।

मामला कहां से शुरू हुआ ?

जेएनयू टीचर एसोसिएशन की मीटिंग के दौरान छात्रों के दो गुटों में भिड़ंत हो गई। इसके बाद हिंसा हुई। इस दौरान दोनों छात्र गुटों ने गर्ल्स हास्टल समेत पूरे परिसर में जमकर हंगामा किया और तोड़फोड़ की। मिली जानकारी के मुताबिक लगभग 50 से अधिक नकाबपोश गुंडे हाथों में तलवार, रॉड और डंडों के साथ परिसर में घुसे और छात्रसंघ की अध्यक्ष आईशी घोष समेत प्रोफेसर सुचित्रा सेन पर हमला कर दिया। इस हमले में तकरीबन 28 छात्र जख्मी हुए जिन्हें एम्स ले जाया। फिलहाल सभी छात्रों को एम्स से छुट्टी मिल गई है। हालांकि आंकड़ा अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।

इस पूरे घटनाक्रम से जुड़ा हुआ वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, साथ ही साथ तस्वीरें भी। हालांकि नकाबपोश गुंडों की अभी तक पहचान नहीं पाई है। इस पूरे घटनाक्रम में गृह मंत्रालय अपनी नजर बनाए हुए है।

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किसने कराई हिंसा ?

छात्र संगठन एबीवीपी ने दावा किया कि यह घटना सुनियोजित थी। यानी की प्लान की गई थी। इतना ही नहीं एबीवीपी ने यह तक कहा कि वह अपने कार्यकर्ताओं तक रात के 10 बजे तक नहीं पहुंच पाए थे। जबकि लेफ्ट ने योगेंद्र यादव, बृंदा करात मौके पर भेज दिए। हालांकि इस मामले में जितने मुंह उतनी तरह की बातें सामने आ रहीं हैं। रही बात योगेंद्र यादव की तो उन्होंने फेसबुक पर लिखा है कुछ। क्या लिखा है। तो सुनिए उन्होंने लिखा कि रविवार रात मेरे साथ 3 बार मारपीट की गई। करीब 9:30 बजे जब मैं JNU के टीचर्स से बात कर रहा था तो एक पुलिस इंस्पेक्टर जिनकी वर्दी पर नेम प्लेट नहीं थी, उन्होंने मुझे घसीटा और फिर ABVP और RSS के लोग मुझे धक्का देने लगे।


हिंसा के बाद क्या कुछ हुआ ?

जेएनयू में हुई हिंसा के बाद राजनेताओं का जमावड़ा लगने लगा। तमाम नेता छात्रों का हाल-चाल जानने की कोशिशों में जुट गए तो कुछ ने राजनीति ही शुरू कर दी। सोशल मीडिया में जेएनयू ट्रेंड करने लगा। यह पहली दफा था जब जेएनयू के भीतर कुछ नकाबपोश गुंडों ने हमला किया हो। 

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वहीं, दूसरी तरह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी छात्रों का हाल-चाल जानने के लिए एम्स के ट्रामा सेंटर पहुंचीं। भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी, मनोज तिवारी, बृंदा करात, योगेंद्र यादव जैसे तमाम नेता पहुंचे। जो पहुंच नहीं पाएं वो सोशल मीडिया के जरिए बयान देने लगे। लेकिन हमारा सवाल बिल्कुल साफ है कि छात्रों पर हमला किसने किया ? मामले की जांच कब तक पूरी होगी ?


दिल्ली पुलिस ने क्या कहा ?

दिल्ली पुलिस का स्टैंड साफ है। पुलिस ने कहा कि कैंपस में हालात सामान्य है। स्थिति पर काबू पाने के लिए फ्लैग मार्च किया था। लेकिन छात्रों को दिल्ली पुलिस का विश्वविद्यालय में घुसना रास नहीं आया था। तभी तो छात्रों ने दिल्ली पुलिस गो बैक के नारे लगाए। इस पूरे घटनाक्रम के विरोध में छात्रों ने देर रात तक प्रदर्शन किया और आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस मुख्यालय का घेराव करने पहुंच गए।

हालांकि इस पूरे मामले पर गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी नजर बनाए रखी है। बीते दिन गृह मंत्री ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर अमूल पटनायक से तो सोमवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल से बातचीत की। बता दें कि दिल्ली पुलिस को मामले की रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपने के लिए कहा गया है।

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ऐसे भी आरोप हैं

जेएनयू कैंपस में 8 अक्तूबर से हॉस्टल फीस बढ़ोतरी के विरोध में छात्रसंघ समेत आम छात्रों का विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इसके तहत छात्रों ने दिसंबर की सेमेस्टर परीक्षाओं का बहिष्कार किया था। दो दिन तक लेफ्ट संगठनों ने सर्वर रूम पर कब्जा करके रजिस्ट्रेशन में बाधा पहुंचाई थी। छात्र विंटर सेमेस्टर रजिस्ट्रेशन के आखिरी दिन रविवार को रजिस्ट्रेशन करने जा रहे थे। तभी प्रोक्टर ऑफिस के बाहर छात्रसंघ समेत वामपंथी छात्र संगठनों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। जब रोकने में असफल हुए तो मारपीट व धक्कामुक्की शुरू हो गई। इस बीच शिक्षक  भी वहां मौजूद थे लेकिन किसी ने किसी को भी नहीं रोका। 

यह मामला वहीं पर शांत होता हुआ दिखाई दे रहा था लेकिन अँधेरा होने के बाद 50 से अधिक नकाबपोश गुंडे हथियारों के साथ कैंपस में तोड़फोड़ करने लगे। शिक्षा के मंदिर में तोड़-फोड़, लड़कियों के साथ बदसलूकी ऐसे बीता था रविवार...हमारी बस आपसे इतनी ही अपील है कि अफवाहों के बाजार में ध्यान न दें, विरोध का अपना तरीका होता है शांति का...अगर उसे भंग कर दिया तो फिर वह विरोध नहीं कहलाता है। फिलहाल स्थित काबू में है, गृह मंत्रालय, दिल्ली पुलिस, एचआरडी मंत्रालय और जेएनयू प्रशासन यह पता लगाने में जुटा हुआ है कि स्थिति बिगड़ी कैसे ? तो ये थी जेएनयू की कहानी...आज के लिए बस इतना ही... जाते-जाते वीडियो को लाइक, शेयर और सब्रसक्राइब करें।

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