मां सिद्धदात्री की उपासना से पूरी होती हैं अलौकिक तथा लौकिक कामनाएं

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महानवमी के दिन प्रातः उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़ पहनें। उसके बाद मां के सामने एक दीपक जलाएं। देवी को नौ कमल के फूल अर्पित करें। साथ ही नौ तरह के भोग लगाएं। साथ ही मंत्र का जाप करें। देवी को चढ़ाए हुए कमल-पुष्प को लाल कपड़े में लपेटें। पूजा के बाद खाद्य पदार्थों को ब्रह्माणों और जरूरतमंदों को दान दें फिर भोजन ग्रहण करें।

नवरात्र के आखिरी दिन सिद्धिदात्री की पूजा होती है। सिद्धिदात्री भक्तों को सभी प्रकार के वरदान देती हैं तो आइए हम आपको मां सिद्धिदात्री की महिमा के बारे में बताते हैं।

देवी सिद्धिदात्री का स्वरूप 

मां सिद्धिदात्री नवदुर्गा का अंतिम स्वरूप हैं। यह सभी प्रकार के वरदान तथा सिद्धियां प्रदान करती हैं। देवी कमल-पुष्प पर विराजमान हैं तथा इनके हाथों में शंख, गदा, पदम और चक्र है। ऐसा माना जाता है कि देवी सिद्धिदात्री की कृपा से गंधर्व, नाग, किन्नर, यक्ष और देवी-देवता सभी सिद्धियां प्राप्त करते हैं।

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कैसे करें पूजा 

महानवमी के दिन प्रातः उठकर स्नान कर स्वच्छ कपड़ पहनें। उसके बाद मां के सामने एक दीपक जलाएं। देवी को नौ कमल के फूल अर्पित करें। साथ ही नौ तरह के भोग लगाएं। साथ ही मंत्र का जाप करें। देवी को चढ़ाए हुए कमल-पुष्प को लाल कपड़े में लपेटें। पूजा के बाद खाद्य पदार्थों को ब्रह्माणों और जरूरतमंदों को दान दें फिर भोजन ग्रहण करें।

सिद्धिदात्री की उपासना से दूर होती है बाधाएं

मां सिद्धिदात्री भक्तों पर कृपा बनाए रखती हैं। देवी सिद्धिदात्री की आराधना से केतु ग्रह के दोष दूर होते हैं। वास्तु दोषों के कारण जीवन में जो परेशानियां आती हैं देवी की उपासना उसे दूर करने में सहायक होती है। देवी की पूजा से उन्नति होती है तथा सभी कामों में सफलता मिलती है। 


मां सिद्धिदात्री से जुड़ी कथा

कथा के अनुसार भगवान शिव के वाम अंग से प्रकट होने के कारण सिद्धिदात्री को अर्धनारीश्वर कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड के प्रारम्भ में भगवान शिव ने सृजन के लिए आदि पराशक्ति की उपासना की थी। लेकिन आदि पराशक्ति का कोई रूप स्वरूप नहीं है इसलिए देवी भगवान शिव के वाम अंग से सिद्धिदात्री के रूप में प्रकट हुईं हैं।

सिद्धिदात्री का महत्व 

मां सिद्धिदात्री की कृपा से भक्तों की इच्छाएं पूरी हो जाती हैं और कोई कामना शेष नहीं बचती। ऐसा माना जाता है कि मां भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन से इस नश्वर संसार में शांति मिलती है। ऐसी मान्यता है कि इनकी आराधना से भक्त को अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियां मिलती है। ऐसा कहा गया है कि अगर कोई इतना कठिन तप न कर सके तो अपनी शक्तिनुसार जप, तप और पूजा करें तो मां की कृपा बनी रहती है। मां सिद्धिदात्री की भक्ति पाने के लिए श्लोकों को याद कर नवरात्रि में नवमी के दिन इसका जाप करने से लाभ होता है।

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देवी की उपासना अनजान भय से दिलाती है मुक्ति 

नवरात्र की नवमी पर देवी सिद्धिदात्री के समक्ष नवग्रह समिधा से हवन करें इससे लाभ मिलता है। मां सिद्धिदात्री की उपासना से शारीरिक और मानसिक कष्टों से मिलती है मुक्ति। अनजान डर से मुक्त होने के लिए एक पान के पत्ते पर 9 साबुत फूलदार लौंग के साथ देसी कपूर पर रखें। इसके बाद 9 लाल गुलाब के फूलों के साथ देवी को चढ़ाएं और डर खत्म होने की प्रार्थना करें। साफ आसनी पर बैठकर ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे मंत्र का 108 बार पाठ करें। जाप के बाद लौंग को सिर से उल्टा 7 बार वारकर देसी कपूर में जलाएं। ऐसे उपायों से अनजान डर की परेशानी से साधक को मुक्ति मिल जाती है।

प्रज्ञा पाण्डेय

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