नाटककार और अभिनेता गिरीश कर्नाड हमेशा अपने दोस्तों के साथ सहज बने रहे...

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[email protected] । Jun 10 2019 3:53PM

कर्नाड 35 साल की कम उम्र में एफटीआईआई के निदेशक बने थे और इस पद पर बैठने वाले वह सबसे कम उम्र के निदेशक थे। वह जब संस्थान में निदेशक थे तो उनके कई छात्रों की उम्र उनसे ज्यादा थी।

मुंबई। दिग्गज नाटककार और अभिनेता गिरीश कर्नाड के निधन के बाद उनके कुछ पुराने दोस्तों और सहकर्मियों ने उनके जीवन के बारे में कई ऐसे बातें बताई जिनकी जानकारी उनके प्रशंसकों को शायद ही हो। कर्नाड के पुणे के दोस्त अशोक कुलकर्णी बताते हैं कि वह दोनों कॉलेज के जमाने के दोस्त रहे हैं। कर्नाड काफी पढ़ हुए इंसान थे और किताबों के प्रति उनके प्रेम के बारे में सब जानते थए लेकिन कभी उन्होंने अपने इस ज्ञान का प्रदर्शन सहकर्मियों को दबाने के लिए नहीं किया।

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उन्होंने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हमलोग सिनेमा, रंगमंच और साहित्य के अन्य विधाओं के बारे में बात करते थे लेकिन मुझे ऐसा कोई समय याद नहीं है जब कर्नाड ने अपनी जानकारी को लेकर किसी को दबाने की कोशिश की हो।’’ कर्नाड को कई भाषाों की जानकारी और साहित्य और रचनात्मक दुनिया की गहरी समझ थी। वह फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) के पहले ऐसे निदेशक थे, जो गैर नौकरशाह थे। यह नहीं वह एफटीआईआई के अध्यक्ष बनने वाले अकेले निदेशक थे।

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टीआईआई के निदेशक बने थे और इस पद पर बैठने वाले वह सबसे कम उम्र के निदेशक थे। वह जब संस्थान में निदेशक थे तो उनके कई छात्रों की उम्र उनसे ज्यादा थी। एफटीआईआई के निदेशक भूपेंद्र कैंथोला ने बताया कि कर्नाड ने संस्थान के पाठ्यक्रम में ‘इंटिग्रेटेड कोर्स’ शुरू किया था। इसके तहत हर एक विशेष विषय की पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्रा को दूसरे विशेष विषय के बारे में जानकारी हासिल करना अनिवार्य था। वहीं विख्यात अनुवादक उमा विरूपक्षी कुलकर्णी ने बताया कि कर्नाड हमेशा गर्मजोशी से मिलते थे। उन्होंने कर्नाड के चार नाटकों की किताब और उनकी आत्मकथा का अनुवाद मराठी में किया था। उन्होंने कहा, ‘‘ कर्नाड थोड़ी मराठी समझते थे क्योंकि उनकी प्रारंभिक शिक्षा उस भाषा में हुई थी और वह कभी इस भाषा को भूले नहीं थे। वह एक मात्र ऐसे कन्नड़ लेखक थे जो मराठी समझ सकते थे और वह हमेशा हमारी बातचीत के दौरान सहज बने रहते थे।’’ कर्नाड का निधन 81 साल की उम्र में सोमवार को बेंगलुरु में हो गया। 

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