सोशल मीडिया के बेतहाशा इस्तेमाल से खोती जा रही हैं मानवीय भावनाएं: खेर
अवसाद से अपनी जंग के बारे में हाल में ही बोलने वाले अनुपम खेर ने कहा कि वह मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता फैलाना चाहते हैं। खेर ने कहा कि तकनीक और सोशल मीडिया के बेतहाशा इस्तेमाल से लोग मानवीय भावना खोते जा रहे हैं।
बैंकॉक। अवसाद से अपनी जंग के बारे में हाल में ही बोलने वाले अनुपम खेर ने कहा कि वह मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता फैलाना चाहते हैं। खेर ने कहा कि तकनीक और सोशल मीडिया के बेतहाशा इस्तेमाल से लोग मानवीय भावना खोते जा रहे हैं। आईफा पुरस्कार से इतर एक सामूहिक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, ‘तन्हाई अगर आपके दिमाग को प्रभावित करती है तो इसके पीछे क्यों भागना। इन दिनों हम ढेर सारी मशीनों से रूबरू हैं। मोबाइल फोन हैं और इंटरनेट हैं। मानवीय भावना नदारद है।’
उन्होंने अपने अतीत में झांकते हुए पुराने दिनों को याद किया और कहा, ‘हम एक छोटे से घर में रहते थे। तब हम एक दूसरे से धींगा- मुश्ती करते थे। मेरे दादा कहा करते थे कि जब भी तुम्हें धींगा- मुश्ती करनी हो, बस एक दूसरे को गले लगाओ। आज बच्चे अलग अलग बैठे होते हैं। उनके बीच न मानवीय भावना का और न ही शारीरिक संपर्क का कोई रिश्ता है।’
खेर ने कहा कि सोशल मीडिया पर मौजूदा पीढ़ी की बेतहाशा निर्भरता है और यह अवसाद के कारणों में से एक है। उन्होंने कहा, ‘आज खाली आंखों के लिए कोई हसीन मंजर नहीं है। इसे इंस्टाग्राम के लिए खिंचा जाता है। किशोर तनावग्रस्त रहते हैं कि फेसबुक पर लगाई गई उनकी तस्वीरों को ज्यादा ‘लाइक’ नहीं मिलता।’ खेर ने हाल में यूट्यूब पर ए क वीडियो डाली थी जिसमें उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में चर्चा की थी। उन्होंने लोगों से कहा था कि वे अपने अवसाद पर खुल कर बात करने से नहीं कतराएं। उन्होंने कहा कि उनके इस पैगाम पर लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया हुई।
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