CAG ने मंजूरी के बगैर 3.3 लाख मालगाड़ी डिब्बे चलाने पर उठाये सवाल

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कैग का कहना है कि यह सुरक्षा के साथ समझौता है। कार्यशालाओं/यार्ड में तटस्थ नियंत्रण कार्यालय का काम मरम्मत वाले या समय-समय पर दुरुस्त होने के लिये आये मालगाड़ियों के डिब्बों को परिचालन के लिये भेजने से पहले उसकी स्वतंत्र रूप से जांच करना है। एनसीओ की मंजूरी महत्वपूर्ण है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने देश में तटस्थ नियंत्रण कार्यालय (एनसीओ) की मंजूरी के बिना मरम्मत किये गये 3.30 लाख से अधिक मालगाड़ियों के डिब्बों को परिचालन में रखे जाने को लेकर चिंता जताई है। कैग का कहना है कि यह सुरक्षा के साथ समझौता है। कार्यशालाओं/यार्ड में तटस्थ नियंत्रण कार्यालय का काम मरम्मत वाले या समय-समय पर दुरुस्त होने के लिये आये मालगाड़ियों के डिब्बों को परिचालन के लिये भेजने से पहले उसकी स्वतंत्र रूप से जांच करना है। एनसीओ की मंजूरी महत्वपूर्ण है।

कार्यशालाओं में मरम्मत किये गये मालगाड़ियों के डिब्बे (वैगन) की जांच तटस्थ ट्रेन परीक्षक (एनटीएक्सआर) करते हैं। जिस वैगन को ‘फिट’ होने का प्रमाण मिलता है, उन्हें ही सेवा में शामिल किया जा सकता है। जिन डिब्बों में खामियां पाई जाती हैं, परीक्षक उस पर ध्यान देने के लिये उसे अपने नियंत्रण में रखते हैं। कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘कार्यशालाओं/टर्मिनल में मरम्मत के बाद बिना एनसीओ मंजूरी के 3.30 लाख वैगन को मंजूरी दी गयी। यह सुरक्षा के साथ समझौता है।’’ इसने यह भी कहा कि माल परिचालन सूचना प्रणाली (एफओआईएस) 2016-17 से 2020-21 के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला है कि रुकने का समय कुल यात्रा समय के आधे के करीब था और इसलिए औसत गति भी आधे के करीब थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रेलवे जोन ने वैगन आवश्यकता के आकलन में भाग नहीं लिया या रेलवे बोर्ड को उनके अधिग्रहण के लिये प्रस्ताव या कारण नहीं भेजे। यह नियमों का उल्लंघन है। इसमें कहा गया है, ‘‘रेलवे के विभिन्न जोन से कोई सूचना नहीं मिलने से रेलवे बोर्ड वैगन की जरूरतों को लेकर बदलाव करता रहा...।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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