ब्रिटिश कंपनी केयर्न एनर्जी को कर मामले में मिली जीत, भारत को चुकाना होगा 1.2 अरब डॉलर

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भारत सरकार ने ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश समझौते का हवाला देते हुए 2012 के पूर्व प्रभाव वाले कर कानून के तहत केयर्न के भारतीय कारोबार के पुनर्गठन पर कर की मांग की थी, जिसे कंपनी ने चुनौती दी।

नयी दिल्ली। ब्रिटिश कंपनी केयर्न एनर्जी ने बुधवार को कहा कि उसने भारत सरकार के खिलाफ मध्यस्थता अदालत में जीत हासिल की है, जिसमें उससे पूर्व प्रभाव से कर के रूप में 10,247 करोड़ रुपये मांगे गए थे। सूत्रों ने कहा कि तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण, जिसमें भारत सरकार द्वारा नियुक्त एक न्यायाधीश भी शामिल हैं, ने आदेश दिया कि 2006-07 में केयर्न द्वारा अपने भारत के व्यापार के आंतरिक पुनर्गठन करने पर भारत सरकार का 10,247 करोड़ रुपये का कर दावा वैध नहीं है।

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न्यायाधिकरण ने भारत सरकार से यह भी कहा कि वह केयर्न को लाभांश, कर वापसी पर रोक और बकाया वसूली के लिए शेयरों की आंशिक बिक्री से ली गई राशि ब्याज सहित लौटाए। इस फैसले की पुष्टि करते हुए केयर्न ने एक बयान में कहा, ‘‘न्यायाधिकरण ने भारत सरकार के खिलाफ उसके दावे के पक्ष में फैसला दिया है।’’ भारत सरकार ने ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश समझौते का हवाला देते हुए 2012 के पूर्व प्रभाव वाले कर कानून के तहत केयर्न के भारतीय कारोबार के पुनर्गठन पर कर की मांग की थी, जिसे कंपनी ने चुनौती दी।

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केयर्न ने कहा, ‘‘न्यायाधिकरण ने आम सहमति से फैसला सुनाया कि भारत ने ब्रिटेन-भारत द्विपक्षीय निवेश संधि के तहत केयर्न के प्रति अपने दायित्वों का उल्लंघन किया है और उसे 1.2 अरब अमरीकी डालर का हर्जाना और ब्याज लागत चुकानी होगी।’’ सरकार के लिए पिछले तीन महीने में यह दूसरा झटका है। इससे पहले सितंबर में एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने वोडाफोन समूह पर भारत द्वारा पूर्व प्रभाव से लगाए गए कर के खिलाफ फैसला सुनाया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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