केरल के वित्त मंत्री का केंद्र सरकार पर निशाना, केंद्र का वित्तीय भेदभाव सहकारी संघवाद के लिए चुनौती

Pinarayi Vijayan K N Balagopal
प्रतिरूप फोटो
ANI

बालगोपाल ने कहा, ‘‘केरल के खिलाफ केंद्र सरकार का वित्तीय भेदभाव सिर्फ एक राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि सहकारी संघवाद का सवाल है और राज्यों के हितों की रक्षा करना केंद्र सरकार का कर्तव्य है।’’

तिरुवनंतपुरम। केरल के वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का केरल के साथ वित्तीय भेदभाव सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा न होकर सहकारी संघवाद के लिए भी बड़ी चुनौती पेश करता है। इसके साथ ही बालगोपाल ने केंद्र सरकार से केरल समेत सभी राज्यों के साथ उचित व्यवहार सुनिश्चित करने का आग्रह किया। बालगोपाल ने कहा, ‘‘केरल के खिलाफ केंद्र सरकार का वित्तीय भेदभाव सिर्फ एक राजनीतिक नारा नहीं है, बल्कि सहकारी संघवाद का सवाल है और राज्यों के हितों की रक्षा करना केंद्र सरकार का कर्तव्य है।’’ 

वित्तीय मामलों पर केरल के खिलाफ कथित भेदभाव के लिए मौजूदा केंद्र सरकार को लगातार चुनौती देने वाले केरल के वित्त मंत्री ने कहा कि वित्तीय भेदभाव के मुद्दे को अब कर्नाटक और अन्य गैर-भाजपा शासित राज्य भी उठा रहे हैं। इन राज्यों को केंद्र के हाथों अपना गला घोंटा हुआ महसूस हो रहा है। जब बालगोपाल से पूछा गया कि क्या वित्तीय मामलों पर राज्यों के खिलाफ केंद्र का कथित भेदभाव आगामी लोकसभा चुनावों में विपक्षी गठबंधन के लिए एक चुनावी मुद्दा बनेगा, तो उन्होंने कहा, ‘‘यह एक राजनीतिक मुद्दे से कहीं अधिक है। यह सहकारी संघवाद का सवाल है।’’ उनका यह बयान केरल सरकार की तरफ से उच्चतम न्यायालय में दायर एक मामले के संदर्भ में आया है, जिसमें कर राजस्व का अपना उचित हिस्सा जारी करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की अपील की गई है। 

बालगोपाल ने कहा, ‘‘अब सब कुछ शीर्ष अदालत के फैसले पर निर्भर करता है। केंद्र सरकार ने हमें कई चीजों से वंचित कर दिया है, एक राज्य के तौर पर हमें अपने अधिकार से दूर रखा गया है। विकास के लिए वित्त जरूरी है।’’ हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई कि केरल सरकार को शीर्ष अदालत से बहुत सकारात्मक परिणाम मिलेगा। इस मामले की सुनवाई जल्द ही होने वाली है और राज्य को पूरी उम्मीद है कि केरल के लोगों के हितों की रक्षा की जाएगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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