निर्यात प्रतिबंध का फैसला घरेलू जरूरतों को देखते हुए लिया : गोयल
विश्व आर्थिक मंच की बैठक में इस बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा कि इस मुद्दे पर काफी भ्रम फैलाया जा रहा है। उनकी इस मुद्दे पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रमुख और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की प्रमुख के साथ अलग-अलग चर्चा हुई है। इस बैठक में डब्ल्यूटीओ प्रमुख गोयल के साथ ही बैठे थे।
दावोस| वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को सरकार के गेहूं और चीनी के निर्यात को नियंत्रित करने के कदमों का बचाव करते हुए कहा कि यह उपाय घरेलू जरूरतों को ध्यान में रखकर किया गया है। उन्होंने कहा कि इस कदम का मकसद जमाखोरी को रोकना और सट्टेबाजों पर अंकुश लगाना है, जिन्होंने संभवत: गरीब देशों को ऊंचे दाम पर जिंसों की बिक्री कर फायदा उठाया है।
विश्व आर्थिक मंच की बैठक में इस बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा कि इस मुद्दे पर काफी भ्रम फैलाया जा रहा है। उनकी इस मुद्दे पर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के प्रमुख और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की प्रमुख के साथ अलग-अलग चर्चा हुई है। इस बैठक में डब्ल्यूटीओ प्रमुख गोयल के साथ ही बैठे थे। गोयल ने कहा कि परंपरागत रूप से भारत अनाज का निर्यातक नहीं रहा है।
शुरुआत में हम आयात करते थे, हरित क्रांति होने तक यही स्थिति थी। उन्होंने कहा कि काफी साल तक हम सिर्फ अपने उपभोग के लिए उत्पादन करते रहे हैं। सिर्फ दो साल पहले ही हमने अपने अधिशेष उत्पादन का निर्यात करना शुरू किया है।
मंत्री ने कहा, ‘‘हमारा ज्यादातर गेहूं गरीब देशों को भेजा जाता है। दुर्भाग्य की बात है कि पिछले साल मौसम की समस्या रही जिससे हमारे गेहूं उत्पादन में बड़ी गिरावट आई और हमें अपने सुरक्षित खाद्यान्न भंडार से इसे निकालना पड़ा है।
गोयल ने कहा, ‘‘हमने देखा कि कितनी तेजी से गेहूं बाहर भेजा जा रहा है। ऐसे में हमें गेहूं के निर्यात का नियमन करना पड़ा। इसके अलावा हमें बिचौलियों पर भी अंकुश लगाना था।
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