सरकार ने सीएसआर के संचालन से संबंधित नियमों में संशोधन किया

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यदि किसी कंपनी के कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) खाते में कोई राशि बची रह गई है, तो अब उन्हें सीएसआर समिति का गठन करना होगा। सरकार ने कंपनियों को यह निर्देश दिया है।

यदि किसी कंपनी के कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) खाते में कोई राशि बची रह गई है, तो अब उन्हें सीएसआर समिति का गठन करना होगा। सरकार ने कंपनियों को यह निर्देश दिया है। इसके लिए सरकार ने सीएसआर के संचालन से संबंधित नियमों में संशोधन किया है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक अधिसूचना से यह जानकारी मिली है। कंपनी कानून, 2013 के तहत मुनाफा कमाने वाली कुछ श्रेणी की कंपनियों को पिछले तीन वित्त वर्ष के औसत शुद्ध लाभ का दो प्रतिशत किसी एक साल में सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना पड़ता है।

सिरिल अमरचंद मंगलदास के भागीदार मुकुल शर्मा ने कहा कि इन संशोधनों के साथ बोर्ड की रिपोर्ट में शामिल की जाने वाली सीएसआर गतिविधियों की वार्षिक रिपोर्ट का प्रारूप भी बदल गया है। सीएसआर नियमों के तहत किसी वित्त वर्ष में किसी परियोजना पर खर्च की जाने वाली राशि बच गई है या सीएसआर गतिविधियों से कुछ अधिशेष बना है, तो कंपनी को उसे विशेष बैंक खाते ‘बिना खर्च वाला कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व खाता’ में जमा करना होता था। संशोधित नियमों के तहत किसी कंपनी को सीएसआर से संबंधित प्रतिबद्धताओं को पूरा करना होगा। इस विशेष बैंक खाते में जबतक कोई राशि बची है, तो कंपनी के लिए सीएसआर समिति का गठन करना जरूरी होगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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