एयर इंडिया को संभाला, हमारी मदद नहीं कीः माल्या

[email protected] । Jan 28 2017 6:00PM

विजय माल्या ने कहा कि एयर इंडिया को बचाने के लिए जनता का पैसा लगा दिया गया पर उस समय की ‘सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन’ (किंगफिशर) की मदद नहीं की गयी।

संकट में फंसे शराब व्यापारी विजय माल्या ने अपनी किंगफिशर एयरलाइन के डूबने का दोष सरकार की नीतियों और आर्थिक दशा को दिया है। कंपनियों के संचालन और बैंक ऋण में कथित हेराफेरी के आरोपों के बीच भारत से निकल कर लंदन में रह रहे माल्या ने कहा कि एयर इंडिया को बचाने के लिए जनता का पैसा लगा दिया गया पर उस समय की ‘सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन’ (किंगफिशर) की मदद नहीं की गयी। माल्या ने एक के बाद एक ट्वीटर पर जारी अपनी कई टिप्पणियों में कहा है कि वह किंगफिशर एयरलाइन के लिए केवल नीतियों में बदलाव चाहते थे। उन्हें कर्ज की दरकार नहीं थी। उन्होंने एयरइंडिया को सरकारी खजाने से मदद दिए जाने पर सवाल उठाया है।

माल्या ने एक ट्वीट में कहा, ‘केएफए (किंगफिशर एयरलाइन) 140 डालर प्रति बैरल महंगे तेल, ऊंचे करों और रपये के अवमूल्यन के कारण डूबी।’ उन्होंने इसी संबंध में एयरलान कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी भागीदारी की नीति और आर्थिक मंदी का भी उल्लेख किया है। उन्होंने कहा है कि केएफसी भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन थी और उस पर सबसे ज्यादा बुरा प्रभाव पड़ा। सरकार ने एयर इंडिया की तो मदद की पर किंगफिश को छोड़ दिया। माल्या ने कहा कि नीतियों में बदलाव न होने से एयरलाइनों की स्थिति खराब हुई। माल्या ने कहा कि उन्होंने ‘मदद की गुहार लगाई थी, कर्ज के लिए झोली नहीं फैलाई थी, नीतियों में बदलाव की मिन्नत की थी।’ माल्या का कहना है कि वह उस समय चाहते थे कि विमान ईंधन को ‘घोषित वस्तुओं’ की सूची में डाल दिया जाए ताकि उस पर राज्यों में वैट की एक स्थिर दर रहे और उस पर मूल्यानुसार कर न लगे। उनका दावा है कि उनकी एयरलाइन भारत की ‘सबसे बड़ी और सबसे अच्छी’ एयरलाइन थी। वह डूबी तो आर्थिक और नीतिगत परिस्थितियों के कारण डूबी।

माल्या के अनुसार- मैं पूरी विनम्रता के साथ उसके कर्मचारियों और उसके हित के साथ जुड़े लोगों के प्रति हर रोज खेद प्रकट करता हूं। सचमुच मेरी इच्छा थी कि सरकार मदद करे। उन्होंने कहा कि उनके शराब के कारोबार पर सरकार ने ‘बुरी तरह शिकंजा’ डाल रखा था। रोजगार और संपर्क सुविधा के नाते किंगफिशर को अपना आकार छोटा करने की भी छूट नहीं दी गयी। किंगफिशर के कर्ज के साथ जनता का पैसा डूबने के आरोप पर माल्या ने सवाल किया है, ‘‘एयर इंडिया को दिए गए सार्वजनिक कोष के बारे में क्या कहेंगे? मैंने तो निपटान का प्रस्ताव रखा था।’’ कर्ज की हेराफेरी के आरोप पर उन्होंने ट्वीट में कहा, 'धन का कैसा गबन? मैंने केएफए में 4,500 करोड़ रुपये से ज्यादा धन लगाया था।’ उन्होंने ठाठबाट की अपनी शैली के बारे में कहा कि अगर मेरी जीवन-शैली विलासिता भरी थी भी तो वह किंगफिशर के पैदा होने के दो दशक पहले थी।'

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