ब्याज पर ब्याज से दी गई छूट की भरपाई के लिये आईबीए ने सरकार का दरवाजा खटखटाया

nirmala

उच्चतम न्यायालय के मार्च के निर्णय में बैंकों को निर्देश दिया गया कि दो करोड़ रुपये से अधिक के किस्त भुगतान से रोक का लाभ उठाने वाले कर्ज खातों में चक्रवृद्धि ब्याज से छूट दी जानी चाहिये। इससे कम राशि के कर्ज खातों को पिछले साल नवंबर में ही ब्याज पर ब्याज से छूट दी जा चुकी है।

नयी दिल्ली।  बैंकों की ओर से भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने हाल ही में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के मुताबिक लॉकडाउन अवधि के दौरान कर्ज पर ब्याज के ऊपर ब्याज को लेकर दी गई छूट की भरपाई के लिये वित्त मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया है। पिछले साल मार्च से अगस्त की अवधि के दौरान सरकार ने कर्जदाताओं को कर्ज की किस्त का भुगतान करने से छूट दी थी। उच्चतम न्यायालय ने इस अवधि के दौरान बैंकों को कर्जदारों से ब्याज पर ब्याज की वसूली नहीं करने का आदेश दिया। इससे बैंकों पर जो बोझ पड़ा है उसकी भरपाई के लिये आईबीए ने अब वित्त मंत्रालय से भरपाई करने को कहा है। उच्चतम न्यायालय के मार्च के निर्णय में बैंकों को निर्देश दिया गया कि दो करोड़ रुपये से अधिक के किस्त भुगतान से रोक का लाभ उठाने वाले कर्ज खातों में चक्रवृद्धि ब्याज से छूट दी जानी चाहिये। इससे कम राशि के कर्ज खातों को पिछले साल नवंबर में ही ब्याज पर ब्याज से छूट दी जा चुकी है। 

इसे भी पढ़ें: रिजर्व बैंक ने लगाया इस बैंक पर जुर्माना, आम आदमी की बढ़ सकती है परेशानी!

वर्ष 2020- 21 में कर्ज भुगतान पर रोक के दौरान ब्याज पर ब्याज छूट समर्थन योजना से सरकारी खजाने पर 5,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है।यह योजना उन कर्जदारों पर भी लागू होती है जिन्होंने किस्त भुगतान पर रोक का लाभ नहीं उठाया। विभिन्न बैंक इस आर्डर को पूरा करने के लिये विभिन्न स्तरों पर काम में लगे हुये हैं। पंजाब एण्ड सिंध बैंक के प्रबंध निदेशक एस कृष्णन ने कहा कि ब्याज पर ब्याज से छूट के कारण बैंक पर करीब 30 करोड़ रुपये का बोझ पड़ा है। उन्होंने कहा कि इस छूट की भरपाई के मुद्दे को सरकार के समक्ष आईबीए द्वारा उठाया जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने उनके आग्रह पर क्या कोई प्रतिक्रिया दी है, इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘अब तक इस बारे में कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं सुनाई दी है।’’ सूत्रों का कहना है कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय इस बार केवल उन्हें कर्जदारों तक सीमित है जिन्होंने किस्त भुगतान से छूट का लाभ उठाया है। 

इसे भी पढ़ें: बाजार में रही शानदार तेजी, सेंसेक्स 975 अंक ऊछला; निफ्टी 15150 के ऊपर हुआ बंद

इसलिये बैंकों पर पड़ने वाला बोझ 2,000 करोड़ रुपये से कम रह सकता है। रिजर्व बैंक ने पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के कारण लगाये गये लॉकडाउन के चलते 27 मार्च को बैंकों की कर्ज किस्त के भुगतान पर रोक लगाने की घोषणा की थी। शुरुआत में यह रोक एक मार्च से 31 मई 2020 की अवधि के लिये घोषित की गई जिसे बाद में आगे बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया गया। उच्चतम न्यायालय ने इस साल 23 मार्च को दिये गये अपने फैसले में कहा कि पिछले साल छह महीने की रोक अवधि के दौरान कोई भी ब्याज पर ब्याज अथवा दंडात्मक ब्याज कर्जदारों से नहीं लिया जायेगा। यदि कोई ब्याज इस तरह का लिया गया है तो उसे रिफंड अथवा समायोजित किया जाना चाहिये। हालांकि, शीर्ष अदालत ने किस्त भुगतान की रोक अवधि को 31 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाने के फैसले में किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि यह नीतिगत निर्णय है वह इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़