इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि सरचार्ज के भुगतान में देरी से बिजली उत्पादकों का बकाया कम हो रहा है
विलंब भुगतान अधिभार नियम के अमल में आने से वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) द्वारा स्वतंत्र बिजली उत्पादकों के भुगतान में तेजी आई है।साख तय करने वाली और शोध एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने एक रिपोर्ट में यह बात कही।
विलंब भुगतान अधिभार नियम के अमल में आने से वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) द्वारा स्वतंत्र बिजली उत्पादकों के भुगतान में तेजी आई है।साख तय करने वाली और शोध एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने एक रिपोर्ट में यह बात कही। इसमें कहा गया है कि बिजली मंत्रालय के तीन जून, 2022 को जारी विलंब भुगतान अधिभार नियम से राज्य बिजली वितरण कंपनियों में अनुशासन आया है और वे तापीय और नवीकरणीय ऊर्जा पैदा कर रहे स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (आईपीपी) को समय पर भुगतान करने को प्रेरित हुए हैं। बयान के अनुसार, ज्यादातर राज्यों के मामले में वितरण कंपनियों के ऊपर बकाये में कमी आई है।
तेलंगाना, आंध्र प्रदेशऔर मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में 22 अक्टूबर की स्थिति के अनुसार बकाया प्राप्तियां 30 से 90 दिनों में प्राप्त हो रही हैं, जो मई, 2022 में 120 से 450 दिनों तक थी। इसके अलावा महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी स्थिति सुधर रही है। अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) के माध्यम से बिजली की आपूर्ति के लिये लघु और अंततः मध्यम या दीर्घकाल में पहुंच खोने के जोखिम को देखते हुए, यह योजना वितरण कंपनियों को समय पर भुगतान के लिये प्रोत्साहित करती है और उनमें अनुशासन लाती है। एजेंसी ने कहा कि बकाये में कमी के साथ आईपीपी के लिये केंद्रीय बिजली उपक्रमों के साथ भुगतान सुरक्षा को लेकर समान अवसर मिलेगा। साथ ही दबाव वाली परियोजनाओं में नकदी का दबाव कम होगा।
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