एल एंड टी ने कार्यबल को जोड़े रखने के लिये प्रयास तेज किये: कंपनी सीईओ

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कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान भी कंपनी को इसी प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ा था। उस समय महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ से श्रमिक अपने घरोंको लौट गये थे।

नयी दिल्ली। इंजीनियरिंग और निर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने (एल एंड टी) ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के फैलने के बाद से अपने कार्यबल को जोड़े रखने के प्रयास तेज कर दिये हैं। कंपनी ने कहा कि महामारी के दौरान चिकित्सा सुविधाएं और अन्य उपायोंके जरिये वह विभिन्न परियोजनाओं पर अनुबंध पर काम कर रहे 2,45,000 श्रमिकों में से करीब 70 प्रतिशत को जोड़े रखने में कामयाब रही है। कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान भी कंपनी को इसी प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ा था। उस समय महामारी की रोकथाम के लिये लगाये गये देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ से श्रमिक अपने घरोंको लौट गये थे। 

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कंपनी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक एसएन सुब्रमणियम ने कहा, ‘‘पिछले साल कोविड-19 महामारी की पहली लहर के दौरान काफी संख्या में श्रमिक अपने गांवों और शहरों को लौट गये थे। हम अपने प्रयासों से उनमें से कइयों को काम पर वापस लाने में सफल रहे।’’ मौजूदा स्थिति के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘मार्च अंत तक करीब 2,45,000 श्रमिक हमारी विभिन्न परियोजना स्थलों पर काम कर रहे थे। यह संख्या घटकर अब 1,71,000 पर आ गयी है। यानी कुछ श्रमिक अपने घरों को चले गये हैं। लेकिन हमने उन्हें यह बताने के लिये वे यहां पूरी तरह सुरक्षित हैं, परियोजना स्थलों के साथ श्रमिकों के रहने वाले स्थानों पर चिकित्सा सुविधा समेत कई कदम उठाये हैं।’’ सुब्रमणियम ने कहा कि श्रमिकों को वापस आना चाहिए क्योंकि इस बार महामारी दूरदराज के क्षेत्रों में फैल रही है और ऐसी जगहों पर चिकित्सा संबंधी ढांचागत सुविधाओं के अभाव में उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि कई राज्य सरकारें भी लोगों से आग्रह कर रहे हैं कि वे जहां हैं, वहीं रहें। क्योंकि लोगों की आवाजाही से संक्रमण बढ़ने का जोखिम है। 

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एल एंड टी के प्रबंध निदेशक ने कहा कि महामारी की रोकथाम के लिये विभिन्न राज्यों खासकर पश्चिमी और दक्षिण राज्यों में ‘लॉकडाउन’ के दौरान लोगों की आवाजाही पर अंकुश लगाने के लिये कदम उठाये गये। इससे भी लोगों के एक जगह से दूसरी जगह जाने पर लगाम लगा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारों के इन उपायों से श्रमिकों को उसी स्थान पर रखने में मदद मिली है, जहां वे रह रहे हैं। सुब्रमणियम ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अगर मामले कम होते हैं, हम कर्मचारियों को जोड़े रखने और आगे बढ़ने में कामयाब होंगे।’’ एल एंड टी ने कहा कि मार्च 2021 की स्थिति के अनुसार हमारी विभिन्न परियोजनाओं में अनुबंध पर 2,45,000 श्रमिक कार्य कर रहे थे। कंपनी शिविरों मेंचिकित्सा सुविधाओं और साफ-सफाई की व्यवसथा कर फिलहाल करीब 70 प्रतिशत कामगारों को जोड़े रखने में कामयाब रही है। इसके अलावा जो लोग काम छोड़कर अपने गांव और शहर चले गये हैं, उन्हें फिर से नियुक्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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