मध्यस्थ को निष्पक्ष और स्वतंत्र होना चाहिए : अदालत

Delhi Court
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अदालत ने बंसल ब्रदर्स की ओर से पेश अधिवक्ता नमित सक्सेना की इन दलीलों को स्वीकार कर लिया कि मध्यस्थ की तटस्थता और उसकी स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता महत्वपूर्ण है। अदालत ने इस महीने की शुरुआत में पारित एक आदेश में कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया सहित कोई भी अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार होनी चाहिए।

नयी दिल्ली|  दिल्ली की एक अदालत ने कहा है कि मध्यस्थ को स्वतंत्र होने के साथ-साथ निष्पक्ष होना चाहिए तथा केवल एक पक्षकार द्वारा नियुक्त मध्यस्थ का फैसला अमान्य और निरस्त किए जाने योग्य होता है। जिला न्यायाधीश संजीव जैन ने केंद्रीय विद्यालय, नरेला में एक सड़क निर्माण की निविदा से संबंधित विवाद में भारत सरकार के खिलाफ बंसल ब्रदर्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।

अदालत ने बंसल ब्रदर्स की ओर से पेश अधिवक्ता नमित सक्सेना की इन दलीलों को स्वीकार कर लिया कि मध्यस्थ की तटस्थता और उसकी स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता महत्वपूर्ण है। अदालत ने इस महीने की शुरुआत में पारित एक आदेश में कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया सहित कोई भी अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के अनुसार होनी चाहिए।

याचिका के अनुसार, भारत सरकार ने 2017 में केंद्रीय विद्यालय ए-5, पॉकेट-11, नरेला, दिल्ली में सड़क निर्माण के लिए अच्छी मिट्टी की आपूर्ति और वाटर बाउंड मकैडम (डब्ल्यूबीएम) बिछाने के लिए निविदा आमंत्रित की थी, जो अंततः बंसल ब्रदर्स को प्रदान की गयी। याचिका में कहा गया है कि भुगतान के संबंध में विवाद पैदा होने के बाद मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा गया था।

इसने कहा कि मध्यस्थ की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा एकतरफा की गई, जिसने बंसल ब्रदर्स के खिलाफ फैसला सुनाया। अदालत ने कंपनी की याचिका यह कहते हुए स्वीकार कर ली कि मध्यस्थ द्वारा जारी निर्णय स्पष्ट रूप से अवैध था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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